नीमच

वर्ष भर तो पत्रकार उनके लिए PRO है और दीपावली के समय अजनबी ऐसे दोगले लोगों को हाशिए पर लाने की हे आवश्यकता

वर्ष भर बिना वेतन के काम करवाने वालों को श्रम के महत्व को समझाने की है आवश्यकता

नीमच। वर्ष भर पत्रकार कभी खबरों के लिए तो कभी विज्ञप्ति और विज्ञापनों के लिए समाज में सक्रिय रहता है, पत्रकारिता पूर्ण रूप से समाज सेवा है इससे आय करना उचित नहीं है लेकिन जैसा कि हम जानते ही हैं कि बिना अर्थ के सब व्यर्थ हो जाता है ठीक इसी प्रकार पत्रकारों को भी जीवन निर्वहण के लिए आय की आवश्यकता होती है, पत्रकार किसी को डरा धमका कर पैसा नहीं लेता और ना ही वह पैसा लेकर कोई समाचार प्रकाशित करता है ऐसे समय में सिर्फ एक ही माध्यम बचता है जिससे पत्रकारिता में की गई आय उचित और प्रासंगिक लगती है और वह है, विज्ञापन। यह बात वीडियो को दी गई जानकारी में पेश क्लब अध्यक्ष अजय चौधरी ने कहीं। श्री चौधरी ने पत्रकारिता में विज्ञापन की महत्वता को परिलक्षित करते हुए कहा कि हर पत्रकार का अपना एक मीडिया संस्थान है, जिसमें वह कार्य करता है और इस मीडिया संस्थान के जितने भी खर्च होते हैं वह विज्ञापन की आय से संचालित होते हैं। दीपावली एक बड़ा त्यौहार है जब समाज के समृद्ध जन, राजनेता, व्यापारी, अधिकारी और अन्य प्रभावी लोग विज्ञापन के माध्यम से पत्रकारिता को संबल प्रदान कर सकते हैं और आशा भी की जाती है। वर्ष भर में कुछ ही ऐसे अवसर होते हैं जब पत्रकार खुले मन से अपने आर्थिक विकास के लिए प्रचार प्रसार के माध्यम को आधार बनाकर विज्ञापन लेते हैं लेकिन देखने में आ रहा है कि साल भर जो अधिकारी, कर्मचारी, राजनेता और व्यापारी स्वहितो के लिए पत्रकारिता का दुरुपयोग करते हैं, पत्रकारों को बेगार का श्रमिक बनाकर साल भर अपने हितों को साधकर खबरें प्रकाशित कर वाते हैं और हमारे पत्रकार साथी भी पत्रकारिता की सुचिता का पालन करते हुए उनसे किसी भी प्रकार के प्रतिफल की आशा ना करते हुए जनहित के मापदंड पर खरे उतरने पर उन्हें प्रकाशित करते हैं।
ऐसी स्थिति में मात्र विज्ञापन ही पत्रकारिता को समाज में जीवित रखने का माध्यम होते है और दीपावली पर सभी पत्रकार और मीडिया संस्थान विज्ञापन की आशा करते हैं, नीमच में पिछले दो तीन दिनों में देखने में आ रहा है कि जो लोग अपने या अपने व्यवसाय के प्रचार प्रचार के लिए वर्ष भर मीडिया के बीच अपने निजी कार्यक्रमों को भी जन जागरूकता के समाचार के रूप में प्रकाशित करवाते आए हैं, वे भी दीपावली के इस पावन अवसर पर पत्रकारों को विज्ञापन देने से कतरा रहे है, जब उन्हें अपने समाचार प्रकाशित करवाने होते हैं तो उन्हें नीमच में केवल 25-30 पत्रकार ही सक्रिय दिखते हैं और जब विज्ञापन देने की बात आती है तो उन्हें यह संख्या 10 गुना अधिक दिखने लग जाती है जो की पूरी तरह से सत्य से परे है। अपवाद स्वरूप कोई एक या दो व्यक्ति साल भर पत्रकारिता में सक्रिय ना होते हुए भी संबंधित व्यापारी अधिकारी के पास विज्ञापन की आशा में चला जाता है लेकिन बाकी जितने भी पत्रकार साथी है वे अपने स्वाभिमान के साथ संबंधित व्यापारी से, अधिकारी से, राजनेता से विज्ञापन की मांग करते हैं वह वर्ष भर में सामाजिक पत्रकारिता, राजनीतिक पत्रकारिता, वाणिज्यिक पत्रकारिता जैसे अनेक पत्रकारिता के आयामों पर सक्रिय रहते हैं। कोई कम तो कोई ज्यादा लेकिन सक्रियता के इस स्वरूप का पालन सभी पत्रकार करते हैं ऐसे में अगर सक्षम तंत्र पत्रकारों को उपेक्षित करता है तो यह निःसंदेह विचारनीय है क्योंकि पत्रकार वर्ग अपनी अति महत्वपूर्ण मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के निमित्त ही विज्ञापन पर निर्भर रहता है।
अपने निजी स्वार्थ के चलते अपना भविष्य बनाकर समाज के इस ऊंचे तबके की तुलना पत्रकारों से करें तो यह उनके सामने नगण्य लगेंगे क्योंकि पत्रकार अपना सर्वस्व समर्पित कर कर ही समाज सेवा के इस यज्ञ में उतरता है उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता और पाने के लिए समाज का विकास होता है जबकि व्यापारी, अधिकारी और राजनेता चाहे जितनी समाज सेवा की बातें कर ले मूल में उनका स्वहित होता है क्योंकि वे अपने पुरुषार्थ के बदले वेतन या लाभ प्राप्त करते हैं जबकि पत्रकार सिर्फ समाज में अपनी सेवाएं देता है कभी किसी से एक चाय की आशा भी नहीं करता, अपना सर्वस्व समाज के लिए समर्पित कर देता है। कभी समाज सोचकर देखें तो पाएगा कि जिस आयु में एक व्यक्ति अपने आप को स्थापित कर सकता है, आर्थिक रूप से सक्षम हो सकता है परिवार की नजरों में अपना स्थान मजबूत कर सकता है वह अपना स्वार्थ न देखते हुए समाज को देखता है, समाज में निरंकुश हुए अधिकारी तंत्र को देखता है, समाज में भ्रष्ट हुई राजनीति को देखता है, समाज में अपने छोटे-छोटे निम्न स्तरीय स्वार्थ के लिए वृहद स्तर पर लोगों का अहित करने वालों की सक्रियता को देखता है तो वह अपना सर्वस्व त्याग कर, पत्रकार का चोला ओढ़ कर, समाज सेवा में उतर जाता है इस कीचड़ से भी ज्यादा काली पड़ चुकी गंदगी को साफ करने का बेड़ा उठाता है।
देखने में तो लगता है कि पत्रकार हर किसी को डरा सकता है, चमका सकता है, अवैध वसूली कर सकता है लेकिन वास्तव में जिसने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया उसे धन का मोह क्या, उसके मन में तो सिर्फ यही रहता है कि किस प्रकार से समाज में समानता लेकर आए और शोषित वर्ग को शोषण की आग से बचाए।
ऐसे में पत्रकारिता से जुड़े और पत्रकारिता पर निर्भर लोगों के लिए दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार को मनाना अब इतना आसान नहीं रह गया है, चंद्र रूपयों के विज्ञापनों को देने में भी सक्षम वर्ग आनाकानी करते हैं और मनमानी संख्या के आंकड़े बतला कर पत्रकारिता पर भी आरोप लगाने से बाज नहीं आते हैं।
जो पत्रकार उनकी आंखों की किर किरी बने होते हैं अगर वास्तव में पत्रकारिता को अलविदा कर दें तो यह लोकतंत्र तीन पैरों पर खड़ा नहीं रह पाएगा क्योंकि इन तीन में से दो पैर बुरी तरह से भ्रष्टाचार रूपी दीमक के चलते अंदर से खोखले हो गए है। अगर पत्रकारिता को निष्क्रीय कर दिया जाए तो समाज में अव्यवस्थाओं का विराट रूप देखने को मिलेगा, ना कहीं सफाई होगी और ना कहीं सुनवाई जिनके हाथ में सत्ता होगी वे निरंकुशता के साथ शासन करेंगे और जिनके हाथ में कानून व्यवस्था होगी वे इसका दुरुपयोग करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। केवल चार दिन अगर पत्रकार समस्याओं को मुखरता के साथ नहीं उठाएं तो आप पाएंगे कि देश के हालात क्या हो जाएंगे। देश कितना बेबस हो जाएगा, ना कहीं सुधार होंगे और ना कहीं सुधार की आशा। जिसे लोग चाय की चुस्कियां के साथ मजाक में ले लेते हैं यह वही पत्रकारिता है जो उनको चाय की टपरी पर स्वतंत्र बैठकर चाय की चुस्कियां के साथ खुद पर हंसी उड़ाने का मौका देती है।
प्रेस क्लब जिला नीमच के अध्यक्ष अजय चौधरी ने सभी पत्रकार साथियों से आहवान किया है कि अगर सक्षम वर्ग आज उनकी दीपावली मनाने में उनका सहयोग नहीं करता है तो कोई बात नहीं, वे भी साल भर ऐसे लोगों की राजनीति चमकाने और समाज में स्थापित करने में अनावश्यक सहयोग करना बंद करें। अगर उनके प्रयास वास्तव में सराहनीय हो तभी समाज के बीच लाएं केवल उनके चाहने भर से उन्हें समाज में स्थापित ना करें। जो समाज के लिए दानव है, असुर हैं जो आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं उन्हें मुखरता से सामने लाएं प्रेस क्लब जिला नीमच उनके प्रयासों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा।

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