धान की सीधी बुवाई में लागत कम, उत्पादन अधिक डॉ. राजेश कुमार सिंह

धान की सीधी बुवाई में लागत कम, उत्पादन अधिक डॉ. राजेश कुमार सिंह
महराजगंज महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के चौक बाजार उपकेंद्र में चौक छावनी के बाबा लक्ष्मण नाथ के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में धान की सीधी बुवाई तकनीक ने एक बार फिर अपनी सशक्तता साबित की। कृषि विशेषज्ञों की टीम ने सीड्रिल मशीन से की गई बुवाई वाली फसल का निरीक्षण किया, जिसमें कटाई, थ्रेशिंग और उत्पादन मूल्यांकन के दौरान प्रति एकड़ 40.20 क्विंटल शुद्ध धान प्राप्त हुआ। यह रिकॉर्ड उत्पादन न केवल लागत में भारी कटौती दर्शाता है, बल्कि किसानों के लिए एक क्रांतिकारी विकल्प के रूप में उभर रहा है।कार्यक्रम में संयुक्त कृषि निदेशक गोरखपुर मंडल डॉ. अरविंद सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र पीपीगंज गोरखपुर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. अवनीश कुमार सिंह, अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ. अजय, उप कृषि निदेशक महराजगंज डॉ. संजीव तथा लेखपाल सुनील कुमार शामिल थे। 28 मई 2025 को बुवाई के बाद 43.3 वर्ग मीटर क्षेत्र में की गई कटाई और थ्रेशिंग से प्राप्त परिणामों ने सभी को प्रभावित कर दिया।डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि पारंपरिक रोपाई वाली धान की फसलें समय से पहले ही प्रभावित हो रही हैं, जबकि सीधी बुवाई वाली फसल सबाना 7501 वैरायटी पूरी तरह सुरक्षित रही। उन्होंने कहा, “सीधी बुवाई वाले धान की बालियां लंबी, दाने चमकदार और कल्लों की संख्या अधिक होने से उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।”कृषि विज्ञान केंद्र गोरखपुर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार सिंह ने इस तकनीक की सराहना करते हुए कहा, “सीधी बुवाई में लागत बेहद कम आती है और उत्पादन अत्यधिक प्राप्त होता है। यह किसानों की आय दोगुनी करने का सशक्त माध्यम है।” वहीं, आईआरआरआई वाराणसी के डॉ. अजय ने इसे “किसानों के लिए संजीवनी” करार दिया, जो जल संरक्षण और श्रम बचत के साथ उच्च उपज सुनिश्चित करता है।उप कृषि निदेशक महराजगंज डॉ. संजीव ने भी इस विधि की प्रशंसा की और इसे उत्पादन बढ़ाने के लिए आदर्श बताया। कार्यक्रम में अभिमन्यु, धर्मवीर समेत दर्जनों किसान उपस्थित रहे, जिन्होंने इस तकनीक को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई।यह बुवाई कृषि विज्ञान केंद्र गोरखपुर और आईआरआरआई वाराणसी के संयुक्त प्रयासों से की गई थी। सूचना मीडिया प्रभारी डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने बताया कि ऐसी तकनीकों का प्रसार किसानों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सीधी बुवाई न केवल लागत घटाती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती का आधार भी बन रही है। क्षेत्र के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए आगे और प्रदर्शनों की योजना है।