सामाजिकमंदसौर जिलासीतामऊ

पोरवाल समाज द्वारा शरद पूर्णिमा महोत्सव पर गरबा नृत्य का आयोजन किया गया

शरद पूर्णिमा महोत्सव से हमें शीतलता आनंद उल्लास में जीवन जीने कि शिक्षा मिलती- श्री फरक्या 

सीतामऊ।पोरवाल समाज सीतामऊ के मार्गदर्शन में पोरवाल युवा संगठन के तत्वाधान में महिला मंडल द्वारा शरद पूर्णिमा महोत्सव पर गरबा नृत्य का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि युवा संगठन राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री निर्मल कुमार फरक्या समाज अध्यक्ष श्री कैलाश घाटिया काका वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण मांदलिया उपाध्यक्ष रामगोपाल घाटिया कोषाध्यक्ष श्री बगदीराम उदिया महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती अनुसिया घाटिया युवा अध्यक्ष श्री दिपक घाटिया आदि अतिथि गणों द्वारा भगवान श्रीनाथ जी कि पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। महोत्सव में राजेश घाटिया , पवन वेद,भागीरथ धनोतिया, सुरेश गुप्ता, सेठिया , मेहता शुभम मांदलिया राजेन्द्र घाटिया पवन गुप्ता, जगदीश घाटिया, जितेश घाटिया रमेश चंद्र मेहता, रजनीश धनोतिया अश्विन फरक्या घनश्याम कामरिया विनोद गुप्ता कैलाश घाटिया केसी, सौरभ सेठिया, चेतन काला अतुल वेद प्रकाश मांदलिया कपिल घाटिया मनीष फरक्या, राकेश सेठिया, अरुण मेहता, आयुष मेहता, दिलीप वेद राहुल घाटिया, दीपक पोरवाल, तरुण घड़िया दिपक मेहता,किशोर रतनावत मेहुल घाटिया अर्पित घाटिया सचिन घाटिया अनिल सेठिया पवन फरक्या , राकेश धनोतिया, पंकज डपकरा आशिष मेहता,नितेश घाटिया मनीष डपकरा, अभिषेक मांदलिया, अक्षय घाटिया, दिनेश गुप्ता, मुकेश घाटिया कृष्णकांत घाटिया रतनावत पवन धनोतिया सहित समाज के महिला पुरुष बच्चे उपस्थिति रहें।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री निर्मल फरकिया ने कहा कि
हमारा शरीर परमात्मा कि अनुपम कृति है। हमने इतिहास और शास्त्रों से ज्ञान कि अनुभूति मिलती है कि जो जैसा सोचता है वो वैसा बन जाता है। रामायण में राम और रावण दोनों का वर्णन है। एक कि अच्छाई मानवीयता और दुसरे कि बुराई दुष्टता एक पुज्यनीय दुसरा तिरस्कार का भागी बन गया। भगवान राम के आदर्श युगों-युगों से प्रेरणास्पद बने हुए हैं। शरद पूर्णिमा महोत्सव से हमें शीतलता आनंद उल्लास में जीवन जीने कि शिक्षा मिलती है इसलिए हम मन में सबके लिए अच्छाई सोचें मुख से अच्छा बोलें हाथों से अच्छा कार्य हो।

हिंदू सनातन धर्म शास्त्रों में कहा गया कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि देवी मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं। अतः शरद पूर्णिमा पर भक्ति भाव से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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