मंदसौरमध्यप्रदेश

संघ घोष के साथ कदमताल मिलाकर मन्दसौर में स्वयंसेवकों का निकला अद्भुत पथ संचलन 

 

वसुधैव कुटुंबकम का संस्कार देने वाली पारिवारिक व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना-श्री नवाथे

मन्दसौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मंदसौर नगर के तत्वावधान में संघ स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर ऐतिहासिक पथ संचलन मन्दसौर नगर में  5 अक्टूबर,रविवार को उत्कृष्ट विद्यालय मैदान से निकला। मैदान  में गणमान्य नागरिकों, बहनों ,बच्चों,बुजुर्गों को प्रांत कार्यवाह श्री विनीत नवाथे का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ।
संचलन नगर के विभिन्न  मार्गो चौराहों से होते हुवे गंतव्य स्थान पर समापन हुआ,आज का संचलन मन्दसौर नगर के इतिहास का सबसे बडा संचलन था। पिछले तीन माह से मन्दसौर नगर की विभिन्न बस्ती और शाखाओं के स्वयंसेवकों से सतत सम्पर्क और ऐतिहासिक संचलन में चलने का आग्रह किया गया था संचलन का  प्रथम छोर और अंतिम छोर दर्शनीय रहा, स्वयंसेवकों की चार की लाइन में संघ घोष के साथ कदम ताल मिलाकर समाज जनों के बीच  में निकले। नगर वासियों ने स्वागत द्वार लगाकर दोनों और रंगोली सजाकर, लाल कालीन किया, आतिशबाजी कर स्वयंसेवकों का  उत्साहवर्धन किया।
उत्कृष्ट क्रीड़ा मैदान से शुरू हुवा संचलन गाँधी चौराहा, भारतमाता चौराहा,गजा महाराज काम्प्लेक्स, सदर बाजार, वीर सावरकर मार्ग,वरुणदेव मंदिर होते हुवे,हेमू कॉलोनी चौराहा,सब्जी मंडी रोड,आंनद गरबा मंडल ,श्री राम मोहन हॉस्पिटल, सरदार वल्लभ भाई पटेल चौराहा से उत्कृष्ट मैदान तक भरपूर ऊर्जा और जोश के साथ  संघ घोष से कदम ताल किये,सबकी सामुहिक मेहनत का परिणाम आज जमीन पर उतरते आमजन ने देखा,संघ के इस शताब्दी वर्ष की यह खासियत रही कि कई परिवारों की तीन पीढियां भी आज संचलन में साथ मे कदम ताल करते दिखी। मन्दसौर की जनता का स्नेह और संघ के प्रति निष्ठा प्रत्येक चौराहे पर उनके द्वारा फूलों से स्वागत ,माताओं और बहनों द्वारा की गई आरती और भारत माता के नारे ,वंदे मातरम का घोष,युवाओं का फटाखे फोड़कर स्वागत करना और इतने खूबसूरती से रांगोली और तोरण द्वार सजाए गए वह अद्भुत और अकल्पनीय रहे।
पथ संचलन के पूर्व उत्कृष्ट विद्यालय में हुवे बौद्धिक में  प्रांत कार्यवाह श्री विनीत नवाथे  ने कहा कि “अभी यात्रा पूरी नहीं हुई है, बहुत काम बाकी है। हमने विजयादशमी पर शून्य से शतक की यात्रा पूरी की है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। जो आज  स्वागत करने के लिए आतुर हैं, वे संघ को स्वीकार करें. गणवेश पहन कर साथ चलें तब ही हमारी यह संघ यात्रा  पूरी होगी  इससे लगता है कि अभी काम बहुत बाकी है।”
उन्होंने कहा, “आसुरी शक्ति का नाश विजयादशमी पर हुआ था। राम ईश्वर के अवतार थे, लेकिन उन्होंने समाज के स्वाभिमान को जगाया और संगठित कर समुद्र पर सेतु बनवाकर रावण का वध किया। जब स्वार्थ और जाति भेद से समाज ऊपर उठेगा, तभी धर्म की स्थापना होगी। जब-जब समाज कमजोर हुआ है, तब-तब समाज की विभूतियों ने समाज को जागृत कर धर्म की रक्षा की है।”
उन्होंने कहा, “आज संघ के 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं, लेकिन हिंदू समाज का अभी भी जातियों में बंटा होना समाज हित में नहीं है। मुगलों के बाद अंग्रेज आए, अंग्रेजों ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त किया। हमें अपने अंदर के दोषों को दूर करना होगा और शत्रु को पहचानना होगा। हमें वसुधैव कुटुंबकम का संस्कार देने वाली पारिवारिक व्यवस्था को पुनर्स्थापित करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी ने शून्य से संघ की यात्रा शुरू की और छोटे बच्चों के साथ उन्होंने नींव रखी। 1940 मै डॉ सा नें अपने जीवनकाल में  ही इसे पुरे भारत में पहुँचाया।  गुरुजी ने संघ के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया । गांधीजी की हत्या के बाद संघ को बदनाम करने के लिए उस पर प्रतिबंध लगाया, दूसरी बार इंदिरा गांधी ने भी संघ को समाप्त करने का प्रयास किया, आपातकाल लगाया, दोनों ही प्रतिबंध से संघ और निखरा, तेजी से आगे बढा। हर आपदा में स्वयंसेवक अपनी सेवाएं देता रहता है राष्ट्र सर्वोपरि के भाव के साथ स्वयंसेवक कार्य करता है।
श्री नवाथे ने अंत में कहा, “आज हम संयुक्त परिवार से लिव इन तक आ गए हैं, यह समाज हित में नहीं है। परिवार के संस्कारों पर ध्यान देना होगा। स्व का भाव सभी में होना चाहिए। सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य इन पंच परिवर्तनों को अपने जीवन में आत्मसात करना ही सच्ची धर्म की स्थापना होगी।”
उद्बोधन के पश्चात संघ प्रार्थना हुई और उसके बाद संचलन प्रारंभ हुआ, जिसका नगर के सभी नागरिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं, निजी विद्यालयों, मातृशक्तियों और सामाजिक संगठनों द्वारा फूलों से भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम में अध्यक्षता डॉ  आशीष पी भट्ट ने की तथा इस अवसर पर मंचासीन दशरथ सिंह झाला जिला संघचालक , विकास आचार्य नगर संघचालक  थे ।उक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख शिवाजी सैनी ने दी।

यह रही विशेषताएं-

-6300 स्वयंसेवक
-20 बस्तियां
-44 वाहिनियां
-सैकड़ो स्थानों पर स्वागत
-13 घोष दल
-1 ध्वज वाहिनी
-11 बजे से 12:20 बजे तक 5 किमी की दूरी तय की
-2 माह से चल रही थी तैयारियां, 600 वॉलिंटियर लगे
-80 वॉलिंटियर बाहर थे, 
-एक स्थान से गुजरने में 22 मिनट का समय लगा

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon
Whatsapp
ज्वॉइन करें
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}