आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश

आज नामदेव समाज सुबह में दामाद एवं गुणों का प्रतीक रावण कि लच्छा बांधकर पुजा करेंगे

वहीं शाम को गोधुलि बेला में बुराई के प्रतिक रावण का वध किया जाएगा

 

मंदसौर। ऐसी मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की थी, इसी लिहाज से मंदसौर रावण की ससुराल है। मंदसौर में नामदेव समाज की महिलाएं आज भी रावण की मूर्ति के सामने घूंघट करती हैं और रावण के पैरों पर लच्छा (धागा) बांधती हैं।

ऐसा माना जाता है कि धागा बांधने से बीमारियां दूर होती हैं। यहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। प्रतिवर्ष दशहरे पर रावण के पूजन का आयोजन मंदसौर के नामदेव समाज द्वारा किया जाता है। हर साल दशहरे पर नामदेव समाज दशपुर नगरी के दामाद रावण की पूजन करती हैं।लंका नरेश रावण को यहां का दामाद माना जाता है। दशहरे पर क्षमा मांगकर वध किया जाता है। नामदेव समाज लंका नरेश रावण को दामाद के रूप में पूजता है। दशहरे पर उनकी पूजा होती है। उन्हें लछा बांधा जाता है। सुख- समृद्धि की कामना की जाती है। इसके बाद क्षमा मांगते हुए गोधुली बेला में रावण वध होता है। खानपुरा क्षेत्र में रावण की 20 फीट ऊंची प्राचीन प्रतिमा है। प्रतिमा स्थल करीब 500 साल पुराना माना जाता है।

मंदसौर।श्री नामदेव छीपा समाज मंदसौर द्वारा प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी दशहरा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा जिसमें 02 अक्टूबर गुरुवार प्रातः 9 बजे ढोल नगाड़े के साथ श्री लक्ष्मीनाथ बड़ा मंदिर खानपुरा से समाज बंधु एवं धर्म प्रेमी बंधु महाज्ञानी और विद्वान रावण महाराज को दशहरा मैदान खानपुरा पर लच्छा बांधने जाएंगे एवं मंदसौर शहर एवं देश की खुशहाली के लिए रावण महाराज से प्रार्थना करेंगे तथा रावण महाराज की आरती कर प्रसाद वितरण किया जाएगा।

सांय को 6 बजे श्री राम रथ श्री बलवीर व्यायाम शाला के साथ श्री लक्ष्मीनाथ बड़ा मंदिर खानपुरा से प्रारंभ होकर दशहरा मैदान खानपुरा पर पहुंचेगा एवं भव्य आतिशबाजी सांय 6.30 बजे प्रारंभ होगी तथा रावण वध गोधूलि वेला सांय 7 बजे किया जाएगा।

श्री नामदेव छीपा समाज मंदसौर अध्यक्ष श्री अशोक बघेरवाल ने बताया कि खानपुरा मंदसौर में स्थित महाज्ञानी और विद्वान रावण महाराज की प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी एवं प्राचीन है यहां पर एक दिन छोड़कर आने वाला बुखार जिसे एकात्रा बुखार कहते हैं रावण महाराज के पैर में लच्छा बांधने से दूर होता है यहां पर पूरे वर्ष जो इस बुखार से पीड़ित होते हैं आते रहते हैं एवं रावण महाराज को लच्छा बांधकर बुखार से आराम होने पर दशहरे के दिन दिनभर दर्शनार्थी दर्शन करने के लिए सुबह से ही आने लगते हैं एवं रावण महाराज की पूजा अर्चना का दौर दिनभर चलता रहता है।

02 अक्टूबर गुरुवार प्रातः 9 बजे ढोल नगाड़े के साथ श्री लक्ष्मीनाथ बड़ा मंदिर से महाज्ञानी और विद्वान रावण महाराज को दशहरा मैदान खानपुरा पर लच्छा बांधने जाएंगे। श्री बघेरवाल ने आगे बताया कि समाज के लोग खानपुरा क्षेत्र के बड़ा मंदिर पर एकत्र होते हैं। मंदिर में पूजा के बाद राम सेना का जुलूस निकलता है। समाजजन रावण प्रतिमा के सामने प्रार्थना करते हैं। आपने सीता हरण की गलती की, इसलिए राम सेना आपका वध करने आई। वध होते ही अंधेरा कर दिया जाता है। कुछ देर बाद रोशनी होती है और राम सेना जश्न मनाते हुए लौटती है।

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