भक्ति/ आस्थामंदसौरमध्यप्रदेश

पहाड़ी पर विराजित जय अम्बें, कालिका, नवरात्री में लगता भक्तों का तांता, 151 सीढ़ियां चढ़कर भक्त आते माता के दर्शन करने

देवडूंगरी माता मंदिर का इतिहास 500 सो साल पुराना, शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मनोकामना आते हैं


मंदसौर। प्राकृतिक सौंदर्य में विराजमान प्राचीन माता देवडूंगरी मन्दिर मंदसौर के प्रचिनतम् मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर मुख्यालय से दूर रेवास-देवडा मार्ग पर एक पहाड़ी पर लगभग 9 कि.मी दुरी पर स्थित है। माता देवडुंगरी पहाड़ी पर लगभग 151 सीढ़ियां उपर चड़ कर मंदिर मे माता के दर्शन के लिए आना होता है। इस देवडूंगरी माता मंदिर का इतिहास 500 सो साल पुराना बताया जाता है। प्राकृतिक वातावरण में स्थापित मंदिर का उल्लेख भाट समाज की पोथी में भी पाया गया है। खास बात यह है कि यहां प्रति रविवार को पुरुष द्वारा महिला के वस्त्र पहनकर आगंतूक दर्शनार्थीयों के पुछे गये मनभाव के न्याव (माताजी) द्वारा किया जाता है। देव डूगंरी माता के दरबार मे शहर सहित दुर दुर के दर्शनार्थी मंदिर पहूंच कर माता के दर्शनलाभ ले रहे।

माता के दरबार मे कल्पना का घर बनाते, सन्तान प्राप्ति कि मनोकामना करते
यह मंदिर शहर के आसपास के मंदिरों मे से एक खास प्राकृतिक सौंदर्य, पहाड़ी पर चमत्कारीक स्थल देवडूंगरी माता का मंदिर है जो प्रकृति की गोद में 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थापित है। देव डूगंरी माता को लेकर मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना माता पूरी करती हैं। भक्त यहां पर सच्चे मन से कल्पना का घर बनाते है, माता को याद करते है जिसपर माता उनकी मनोकामना पूरी करती हैं वहीं सन्तान प्राप्ति के लिए शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां प्रति रविवार को 10.30 बजे महाआरती होती है। देव डूगंरी माता भक्त मंडल के राधेश्याम मारू व ट्रस्ट कोषाध्यक्ष बंशीलाल राठौर ने बताया कि यह मंदिर तेली समाज का है। इसका उल्लेख भाट समाज की चारण पोथी में भी है। माता के मंदिर का जीर्णोद्धार पिछले 7 साल से चल रहा है। देवडूंगरी माताजी 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजित माता है।

वाड़ी व घट स्थापना के साथ ही कन्यापुजन तथा 9 दिवसीय देवी भागवत कथा वाचन
नवरात्री पर्व के नौ दिवसीय आयोजन मे वाड़ी व घट स्थापना, कन्या पुजन, वाड़ी विसर्जन (खप्पर यात्रा) व 9 दिवसीय कथा, प्रसादी वितरण होगा। नवरात्री में 22 सितंबर सोमवार से नियमित 9 दिवस तक महाआरती प्रातः 10.30 बजे होगी। 28 सितंबर तक नियमित श्रीमद देवी भागवत कथा का आयोजन हो रहा। पं.प्रियाशराज व्यास भटपचलाना वाले के श्रीमुख द्वारा यहां दुसरी बार कथा वाचन किया जा रहा है। देव डूगंरी माता मंदिर पर घटावदा निवासी बंशीलाल महिला के वस्त्र पहनकर न्याव करते हैं। वे पिछले 9 साल से यहां माता रानी की सेवा में लगे हैं। वे अपने निवास से ही रूप बदलकर मंदिर पहुंचते हैं और दोपहर 12 बजे तक श्रद्धालुओं का न्याव करते हैं। स्थानिय पंडा (भोपाजी) स्व.मानसिंह के सुपुत्र ईश्वर मीणा द्वारा वाड़ी, घट स्थापना से लेकर वाड़ी विर्सजन तक नौ दिन नियमित माता के दरबार मे सेवा दी जा रहा है। भक्त मंण्डल के सभी सदस्यों के सहयोग से नव रात्री पर्व मे मेला जैसा आयोजन इस वर्ष किया जा रहा है। नवरात्री के पुर्व से ही देव डूगंरी माता मंदिर परिसर क्षेत्र मे छोटे छोटे व्यवसायी इस वर्ष यहां लगने वाले मेले मे अपना व्यापार व्यवसाय करने के लिए ठेला, दुकाने लगाकर अपान व्यवसाय कर रहे है। इस वर्ष माता के दरबार मे भक्तों का सैलाब उमड़ रहा, आने वाले दिनों मे भक्तों का तांता लगेंगा।

बालागंज से डूंगरी माता मंदिर तक ध्वजा वाहन यात्रा 28 रविवार को
मंदसौर-बालागंज से देवी माता के भक्तो द्वारा देश मे सुख शांति और समृद्धि के लिए 28 सिंतबर रविवार को प्रातः बालागंज अम्बे माता मदिंर से घ्वजा यात्रा वाहनों के माध्यम से निकाली जाऐगी। टूव्हीलर और फार व्हीलर के माध्यम से ध्वजा यात्रा रेवास देवड़ा रोड देव डूगंरी मंदिर पहूॅचकर मातारानी को ध्वज चढ़ाया जाऐगा। 28 सिंतबर रविवार को प्रातः बालागंज अम्बे माता मदिंर से ध्वजा यात्रा वाहनों के माध्यम से डूंगरी माता मंदिर तक मंदिर पहूॅचेगी, जिसमे संत, महात्मा, धर्मप्रमी समाजिक संगठन, भक्तजन व आमजन शामिल रहेगें।

जय अम्बें मां के 9 रूपों के अलग-अलग बीज मंत्रों का जाप
देव डूगंरी माता मंदिर के पंडित द्वारा नवरात्रि के दौरान माता जय अम्बें दुर्गा मां के 9 रूपों के अलग-अलग बीज मंत्र हैं, जो आरती के पुर्व जाप किए जाते हैं, इन मंत्रों में शैलपुत्री के लिए ’हीं शिवायै नमः’ और ब्रह्मचारिणी के लिए ’ हीं श्री अम्बिकायै नमः’ शामिल हैं, जबकि चंद्रघंटा के लिए ’ऐं श्रीं शक्तयै नमः’, कूष्मांडा के लिए ’ऐं हीं देव्यै नमः’, स्कंदमाता के लिए ’ हीं क्लीं स्वमिन्यै नमः’, कात्यायनी के लिए ’क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः’, कालरात्रि के लिए ’क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः’, महागौरी के लिए ’श्री क्लीं हीं वरदायै नमः’ और सिद्धिदात्री के लिए ’ हीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः’ मंत्र हैं।

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