महाराज अग्रसेन जयंती विशेष- युवाओं को संस्कार से जोड़े बिना समाज का उत्थान संभव नहीं

महाराज अग्रसेन जयंती विशेष- युवाओं को संस्कार से जोड़े बिना समाज का उत्थान संभव नहीं
-मुकेश पार्टनर,
सहसचिव अग्रवाल समाज
नीमच, 9302066885
एक संपूर्ण समाजवादी साम्राज्य की स्थापना करके सूर्यवंशी महाराज अग्रसेन ने विश्व समुदाय के समक्ष एक नया आदर्श प्रस्तुत किया था, उन्होंने सब संपत्ति समाज की इस मान्यता को प्रस्तावित किया समाजवाद की इस नई अवधारणा का सूत्रपात करने के कारण महाराजा अग्रसेन श्री विष्णु अग्रसेन की संज्ञा से विभूषित किए गए । आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रथम को जन्मे महाराज अग्रसेन की जयंती पर मुकेश पार्टनर का आलेख….
महाराजा अग्रसेन भारतीय इतिहास के महानतम नायकों में से एक माने जाते हैं। नाम भारतीय समाज में व्यापार और उद्यमिता के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है। महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग 5200 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में हुआ था। वे सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा वल्लभ के वंशज थे और उनके परिवार में वीरता, धर्म, और न्याय का बहुत महत्व था।महाराजा अग्रसेन का जन्म महाभारत काल में हुआ माना जाता है। वे प्रतापनगर के राजा थे और उनके शासनकाल में राज्य में सुख-समृद्धि और शांति का वास था और वे अपने न्यायप्रियता और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे। महाराजा अग्रसेन ने 18 गौत्रों की स्थापना की थी, जो आज अग्रवाल समाज के रूप में जानी जाती हैं।
अग्रवाल समाज में विवाह के समय यह परंपरा है कि वे अपने गौत्र के भीतर विवाह नहीं करते, बल्कि अन्य गौत्रों में विवाह करते हैं। इस परंपरा का उद्देश्य था समाज में एकता और भाईचारा बनाए रखना। महाराजा अग्रसेन का यह कदम उस समय के सामाजिक ढांचे को बदलने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन में अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को प्रमुखता दी। उन्होंने युद्ध और हिंसा से दूर रहने का मार्ग अपनाया और अपने राज्य को भी इस दिशा में प्रेरित किया।
महाराजा अग्रसेन की जयंती पर, हमें उनके आदर्शों का अनुसरण करने और समाज में समानता और न्याय को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।
अग्रवाल समाज में घटती सहभागिता को बढाने के लिए युवाओं को संस्कारों से जोडने, सामाजिक कार्यों में उनकी रूचि जगाने, आधुनिक मंचों का उपयोग करने और समाज के विभिन्न संगठनों में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। युवा पीढी को अग्रसेन महाराज के सिद्धान्तों से अवगत कराना, उन्हें समाज की गतिविधियों में शामिल करना और शिक्षा व रोजगार के माध्यम से समाज को मजबूत बनाना जरूरी है। समाज के सभी उद्योगपति, व्यापारी, कम्पनी संचालक अपने फैक्ट्री संस्थान, दूकान में जब भी कर्मचारी की आवश्यकता हो, वैकेंसी निकालें, सभी वर्ग के आवेदन मंगाए लेकिन पहले समाज के व्यक्ति को ही प्राथमिकता देवें ताकि समाज में एकता का संचार हो सके, ताकि समाज का समाज द्वारा सहयोग हो सके। साधु-सन्तों के साधर्मिक भक्ति का दान इसमें स्वतः हो जाता है, क्योंकि रोजगार देकर किसी को आत्मनिर्भर बनाना भी एक निराश्रित को रोजगार प्रदान करना भी मानव सेवा का पुण्य कर्म है। कर्म ही पूजा को सार्थक करता है। इसके लिए, संगठनों को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए और युवाओं को आगे बढने के अवसर प्रदान करने चाहिए।
युवा पीढी पश्चिमी सभ्यता और आधुनिकीकरण के प्रभाव में आकर पारम्परिक संस्कारों और अपनी जडों से कटती जा रही है। युवाओं को महाराजा अग्रसेन के एक ईंट-एक रूपया के सिद्धान्त और समाजवाद के महत्व से अवगत कराएं ताकि वे उनकी शिक्षा से प्रेरित हों। समाज के संगठनों को सोशल मीडिया और अन्य डिजीटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर युवाओं से संवाद स्थापित करना चाहिए और समाज की गतिविधियों को उन तक पहुंचाना चाहिए। संयुक्त परिवार की भावना को बढावा देने और समाज में आपसी सहयोग और समन्वय बढाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करें। समाज में दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए जनचेतना अभियान चलाएं और युवाओं को प्रेरित कर इसमें शामिल करें।
समाज के उन युवाओं को सम्मानित करें और पहचान दें जो समाज के लिए कुछ नया कर रहे हैं। सभी अग्रवाल संगठनों को एकजुट होकर समाज के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए, जिससे संयुक्त प्रयासों से बडे लक्ष्यों को हांसिल किया जा सके।
युवाओं को उच्च शिक्षा और अच्छी नौकरियों के अवसर प्रदान करें ताकि वे समाज के विकास में योगदान दे सकें। महाराजा अग्रसेन की जयंती हर साल अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह दिन अग्रवाल समाज के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।



