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पुलिस कांस्टेबल और एसआई भर्ती परीक्षा में आंखें स्कैन कर ही मिलेगा प्रवेश

पुलिस कांस्टेबल और एसआई भर्ती परीक्षा में आंखें स्कैन कर ही मिलेगा प्रवेश

 

भोपाल। वर्ष 2023 में हुई आरक्षक भर्ती परीक्षा में आधार के बायोमैट्रिक डाटा में बदलाव कर फर्जीवाड़े के बाद मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) इस बार अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है। अक्टूबर-नवंबर में होने जा रही उप निरीक्षक (एसआइ) और आरक्षक भर्ती परीक्षा में ऐसा फर्जीवाड़ा रोकने के लिए तीन स्तरीय जांच प्रणाली बनाई जा रही है। इसके तहत अब परीक्षार्थियों की आंखों की पुतली (आइरिस) को स्कैन करने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस विभाग में आरक्षक व एसआइ सहित कुल 8589 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। 29 सितंबर तक आवेदन की प्रक्रिया चलेगी। 30 अक्टूबर से प्रदेश के 11 शहरों में बनाए गए केंद्रों पर परीक्षा शुरू हो जाएगी। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए इन केंद्रों पर फेस रिकोग्निशन (चेहरे की पहचान) मशीन लगाई जा रही है। इस मशीन में ऐसे साल्वरों का भी डाटा रहेगा, जो अकसर प्रतियोगी परीक्षाओं में दूसरों के नाम पर परीक्षा देने बैठते हैं। अभ्यर्थियों के फिंगर प्रिंट और आइरिस स्कैन करने वाली मशीन भी लगाई जाएगी, ताकि उनकी पूरी बायोमैट्रिक पहचान की पुष्टि की जा सके। व्यक्तिगत पहचान की इन तीन प्रणालियों के बाद केंद्रों पर सीसीटीवी की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी, ताकि उनकी प्रत्येक गतिविधि पर कंट्रोल रूम से भी नजर रखी जा सके।

फर्जीवाड़ा रोकने एआई का भी इस्तेमाल-:

ईएसबी फर्जीवाड़ा रोकने के लिए एआई का भी इस्तेमाल करेगा। एआइ चार प्रकार से डाटा एनालिसिस कर ईएसबी को भेजेगा। इसमें परीक्षार्थियों द्वारा हल किए गए सवालों पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से नजर रखी जाएगी कि एक अभ्यर्थी एक प्रश्न कितनी देर में हल कर रहा है। यदि कोई अविश्वनीय पैटर्न सामने आता है तो अभ्यर्थी को चिह्नित किया जाएगा।

पिछली बार बायोमैट्रिक पहचान में लगाई थी सेंध-:

वर्ष 2023 की पुलिस भर्ती परीक्षा में कई उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी (साल्वर) को बैठाने के लिए आधार के बायोमैट्रिक डाटा में अपडेट करवाया गया। मूल अभ्यर्थी के स्थान पर साल्वर के फिंगर प्रिंट अपडेट करवा वह परीक्षा में शामिल हो गया। भर्ती के पहले मूल अभ्यर्थी ने फिर बायोमैट्रिक अपडेट करवा अपना डाटा फीड करवा लिया। शारीरिक दक्षता परीक्षा और ज्वाइनिंग के समय 20 से अधिक अभ्यर्थियों को पकड़ा गया।

आइरिस की जांच पर इसलिए भरोसा-:

ईएसबी के अधिकारियों का कहना है कि आइरिस स्कैन को अंगुलियों के निशान से कहीं अधिक सुरक्षित माना जाता है। यह एक ऐसी बायोमैट्रिक तकनीक है, जो बेहद सटीक होती है। हर व्यक्ति की आइरिस का पैटर्न बेहद अनोखा और जटिल होता है, जिसमें बदलाव की संभव नहीं है।

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