नीमचमनासा

शिव पार्वती विवाह में अल्हेड़ की बालिकाओं ने लिया संकल्प, आत्मरक्षा हेतु ले रही प्रशिक्षण

कथा वाचक पं. सुनील शर्मा ने विवाह में प्राप्त राशि बालिकाओं के आत्मरक्षा हेतु दी थी आईजी मात्रा मण्डल द्वारा की गई व्यवस्था

नीमच


अल्हेड़।
गुरूदेव का वचन, विधायक की घोषणा, ग्राम पंचायत की व्यवस्था, आयोजन समिति का सहयोग और बालिकाओं का संकल्प। फिर क्या था शुरू गई आत्मरक्षा की क्लास। जी हां हम बात रहे है ग्राम पंचायत अल्हेड़ की जहां 100 से अधिक बालिकाएं आत्मरक्षा का प्रशिक्षण ले रही है। नीमच की ट्रेनर रितू परमार उन्हें आत्मरक्षा के अलग अलग करतब सिखाए रही है।

आईमाताजी मित्र मण्डल द्वारा 19 अगस्त से 25 अगस्त तक शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया गया था। इसमें शिव पार्वती विवाह प्रसंग के दौरान कथा वाचक परम पुज्य गुरूदेव सुनील शर्मा नाहरगढ़ द्वारा ने कहा था विवाह में जो राशि प्राप्त होगी उसे बालिकाओं की आत्मरक्षा प्रशिक्षण पर खर्च किया जाएगा। इस अवसर उपस्थित मनासा विधायक अनिरूद्ध (माधव) मारू ने भी घोषणा की और कहा जो भी संसाधन सामग्री बालिकाओं के प्रशिक्षण में लगेगी वह मैं उपलब्ध कराऊंगा। इस पर आयोजन समिति ने बालिकाओं के प्रशिक्षण की योजना बनाई। प्रशिक्षण देने हेतु नीमच की ट्रेेनर रितु परमार से बात की और 4
सितम्बर 2025 से प्रशिक्षण शुरू किया। वर्तमान में गांव की 8 वर्ष से 30 वर्ष की तक की करीब 100 बालिकाएं आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। शाम करीब 5 बजे सभी बालिकाएं आईजी माता मंदिर परिसर स्थित डोम में एकत्र होती है और ट्रेनर रितु परमार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। ग्राम पंचायत सरपंच आनंद श्रीवास्तव ने बताया कई बार लव जिहाद और बालिका और बहन बेटियों से छेडछाड़ जैसी घटना सुनते है ऐसे में सनातन संस्कृति को दृष्टिगत रखते हुए बालिकाओं का आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक हो गया है। शिव-पार्वती
विवाह में 12 हजार रूपए की राशि कन्यादान में प्राप्त हुई थी। अन्य व्यवस्था विधायक माधव मारू और ग्राम पंचायत द्वारा की गई। बालिकाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की। 4 सितम्बर से बालिकाओं को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है। करीब 1 महीने तक प्रशिक्षण चलेगां इसमें बालिकाओं को आत्मरक्षा हेतु अलग अलग करतब सिखाए जाएंगे। बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण एक सराहनीय पहल है जिसका उद्देश्य उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाना है,
जिससे वे आपातकालीन स्थितियों में अपनी रक्षा स्वयं कर सकें। इस प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें मार्शल आर्ट जैसे जूडो, कराटे, लठ्ठ चलाना, नान चाकू, तलवार बाजी की तकनीकों का ज्ञान दिया जाता है, जिससे उनके भीतर आत्मविश्वास और आत्म.निर्भरता बढ़ती है। अल्हेड़ की बालिकाएं आत्मरक्षा के अलग अलग करतब सिखेगी और वह आत्मनिर्भर बनेगी।

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