
फिर चर्चाओ में….. अक्सर विवादो में घिरा रहता आलोट सिविल अस्पताल….?
राजेन्द्र देवड़ा
आलोट सिविल अस्पताल में डाॅक्टर व कर्मचरियों के अनुपस्थित पर बीएमओ देवेन्द्र मौर्य को कारण बताओ नोटिस से नवाजा गया है। ऐसा इसे पहले भी नोटिस नोटिस का खेल चलता रहा कोई सुधार होता दिखाई नही दिया सिविल अस्पताल परिसर में गंदगी हो या पीने के टंकी में जानवर मरा मिलने का मुसीबतो से जूझता आया सिविल अस्पताल में कई स्टाफ नर्स सहित डाॅक्टर के रिक्त पद पड़े है। जनप्रतिनिधियों का भी इस और ध्यान नही है। स्थानीय कर्मचारियों के रहते दिन प्रतिदिन सिविल अस्पताल का बाड़ा बिगड़ रहा है। सिविल अस्पताल हमेशा से ही सुर्खिया बटोर रहा है। सोशल मिडिया पर इनदिनों युवाओ ने जो सक्रियता देखाई उसे बीएमओ डाॅक्टर देवेन्द्र मौर्य की मुसीबते बढ़ सकती है। नगर में चर्चो है कि सिविल अस्पताल में जब कोई बवाल होता है स्थानीय प्रशासन हरकत में आता है और आन फान में सिविल अस्पताल की हालत देखकर बीएमओ को कारण बताओ नोटिस इतिश्री कर लेता है जिला स्वास्थ्य विभाग क्यों निरन्तर निरीक्षण नही करता बताया जाता है कि जिला स्वास्थ्य विभाग में वर्षो से एक ही जगह बैठे अधिकारी की पकड़ सिविल अस्पताल के कुछ स्थानीय स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों से मिलीभगत है। *ऐसे में आम नागरिको की शिकायतों की जांच का प्रश्न ही नही उठता जांच के पहले नस्ति बंद करने का खेल जारी है। आईटीआई में मांगी जाने वाली जानकारी नही देकर सूचना के अधिकार अधिनियम का मखौल उड़ाते हुए असत्य आधारहीन नियम विरुद्ध पत्र देकर गुमराह करते है। गबन भ्रष्टाचार से संबंधित जानकारी जानबूझकर नही दि जाती है। यदि जानकारी भ्रष्टाचार गबन की पब्लिक के समक्ष आती है तो इनकी भ्रष्टाचारियों से सांठ गांठ मेल मिलाप खुलकर सामने आएगा सिविल अस्पताल आलोट में आईटीआई के आवेदन को पूरी तरह से दबाने का प्रयास किया जाता रहा है। विश्वसनीय सूत्रो का कहना है कि बीएमओ डाॅक्टर देवेन्द्र मौर्य ने खुद अपनी गाड़ी बिना टेंडर के उन्ही के पास अटेज है जिसके हर माह बिल लग रहे है।
आशा कार्यकर्ताओ का बवाल पहले से ही माथें पड़ा है सिविल अस्पताल के नित नए-नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा शासकीय सिविल अस्पताल नगर तथा विकासखंड स्तर पर कुकुरमुत्तो की तरह चलने वाली झोलाछाप नौसिखिए डाॅक्टर के क्लिनिको की शिकायत के बाद जिले भर में इन झोलाछाप अनाधिकृत मेडिकल के खिलाफ कार्यवाई होने पर आलोट विकासखंड स्तर पर एक टीम बनाई गई जिसको दो दिन में ही भंग कर दी गई क्या कारण था।
संकट में बीएमओ देवेन्द्र मौर्य एक और माथें पड़े आशा कार्यकर्ताओ की मुसीबतें जो लोकायुक्त तक जाने वाली है अपनी शिकायत को वही अब सिविल अस्पताल की समस्याओं से लेकर अन्य कई मुसीबतें माजरा बड़ा है। क्या गांधी जी के तीन बदर बीएमओ देवेन्द्र मौर्य के डुबती नय्या में सवार होगे या पिक्चर उलझा कर दुरी बनाऐ क्या स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के कमाई पुत्रो की भी इस सिविल अस्पताल से रवानगी होगी या फिर कोई नया बवाल होगा कब-तक आलोट सिविल अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसु बहाता रहेगा।