समाचार मध्यप्रदेश नीमच 14 सितंबर 2025 रविवार

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दशहरे मेले में स्टाल हेतु निःशुल्क जगह उपलब्ध, स्थान सीमित
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आप भी हैं शामिल, एक अकेला जवाबदार नहीं – किशोर जेवरिया
नीमच को जिला बने सत्ताईस वर्ष हो गये याने इतना समय कि एक बच्चा या बच्ची पैदा होकर जवान हो जाए और शादी के बाद मां बाप बन जाए। 1998 में नीमच जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे। नीमच से नंदकिशोर पटेल, जावद से घनश्याम पाटीदार और मनासा से नरेन्द्र नाहटा। इनमें से नंदकिशोर पटेल को छोड घनश्याम पाटीदार और नरेन्द्र नाहटा प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री रहे हैं। 2003 से केवल मनासा के 2008 के चुनाव में तब कांग्रेस विधायक के रूप में विजेन्द्रसिंह मालाहेडा चुनाव जीते थे बाकी समय सभी जगह भाजपा के विधायक रहे हैं। 1998 से 2003 तक कांग्रेस के विधायकों ने जिला चिकित्सालय को जिला चिकित्सालय के अनुसार सुविधाएं दिलाने में कोई योगदान देकर चार चांद लगाए हों, मुझे तो याद नहीं। 2003 के बाद भाजपा के विधायक और भाजपा की सरकार रही तब से भी कहने को जिला बन गया है। तब से भी जिला चिकित्सालय में कोई बडा परिवर्तन आया हो, ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। अलबत्ता जो नए भवन बने हैं, एक ट्रामा सेन्टर और एक क्रिटिकल केयर यूनिट, बाकी अस्पताल वही पुराना है। ये भवन भले ही ट्रामा सेन्टर और क्रिटिकल केयर यूनिट के नाम से बने हैं, परन्तु इन दोनों कामों के लिए इनका कभी उपयोग नहीं हुआ। कारण यहां हमेशा से डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की कमी रही है, जिसे लाने में हमारे जिले के तीनों विधानसभा के विधायक नाकाम रहे हैं। इसका कारण यह जिला चिकित्सालय हमेशा रेफरल हॉस्पिटल बना रहा।
केवल भवन बनाना या मशीनें लाना ही पर्याप्त नहीं है, इलाज के लिए डॉक्टर, नर्स, कम्पाउण्ड, टेक्निशियन से लगाकर सफाईकर्मी तक का स्टाफ चाहिए होता है। मध्यप्रदेश सरकार का यह बहाना कि डॉक्टर या अन्य स्टाफ नहीं आते, झूठ है। पडोस के राज्य राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ है। छोटे बडे निजी चिकित्सालयों में स्टाफ तो है, मरीजों के लिए रोज विज्ञापन देने पड रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार को ही डॉक्टर क्यों नही ंमिल रहे हैं। कुछ तो कमी होगी, वो कमी दूर करो तो मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों की भरमार हो जाएगी।
जिला चिकित्सालय जिले की तीनों विधानसभाओं का है इसलिए तीनों विधायकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे यहां सर्वसुविधायुक्त जिला चिकित्सालय बनाने का प्रयास करते, परन्तु तीनों अपने अपने क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं को लाने की नाकामयाब कोशिश करते रहे। मनासा के विधायक अस्पताल का नया भवन बनाने में सफल रहे, परन्तु डॉक्टर की कमी यहां भी है। उसका हाल भी जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेन्टर और क्रिटिकल केयर यूनिट जैसा ही है। मनासा के विधायक तो अस्पताल का नाम अपने पिता के नाम पर नहीं रखवा पाए, उन्हें तो नाम का लगा हुआ बोर्ड भी हटाना पडा।
अगर तीनों विधायक मिलकर संयुक्त प्रयास करते तो जिला चिकित्सालय के सौ साल पुराने भवन की जगह चार मंजिला सर्वसुविधायुक्त जिला चिकित्सालय बनवा सकते थे, पर ये अपनी ढपली-अपना ही राग बजाते रहे।
अब आते हैं नीमच में बने मेडिकल कॉलेज पर। यह कॉलेज कैसे बना यह सर्वविदित है। इसे दोहराने की जरूरत नहीं। नीमच में बने मेडिकल कॉलेज का नाम जावद के विधायक अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्रकुमार सकलेचा के नाम पर रखवा सकते हैं। अभी हाल में मेरा मेडिकल कॉलेज जाने का काम पडा, वहां जितने कमरे नहीं हैं, उससे ज्यादा जगह स्व.वीरेन्द्रकुमार सकलेचा का नाम लिखा है। जब आप इतना कर सकते हैं तो क्यों नहीं आपने वहां पर्याप्त स्टाफ के लिए प्रयास किए। पूर्व स्वीकृत मेडिकल की सौ सीटों को 150 करवाने की घोषणा को क्यों नहीं क्रियान्वित करवा पाए। मेडिकल कॉलेज के 300 बेड के अस्पताल के लिए आपने क्या प्रयास किए ? नर्सिंग कॉलेज के लिए आपने कितनी बार पत्र लिखे, कितनी बार मुख्यमंत्री से इसके लिए मिले ? वित्तमंत्री को कितनी बार इसके लिए बजट स्वीकृत करने का अनुरोध किया ? आाप जब मंत्री थे, तो जब जावद आते थे, तो अखबार में यह जरूर छपता था कि आज मंत्री सकलेचा जावद में, परन्तु यह कभी नहीं पढा कि केबिनेट मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा के अथक प्रयासों से नीमच जिले के जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज को यह सुविधा मिली। नीमच जिला चिकित्सालय की सुविधाओं के लिए नीमच और मनासा के विधायक तो जवाबदार हैं ही आप उनसे भी ज़्यादा जवाबदार है, क्योंकि आप तो मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे है।
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इंदिरा नगर में दशहरा उत्सव की तैयारियां जोरो पर
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71 किलो अफीम की तस्करी करने वाले दो तस्करों को 14-14 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो-दो लाख रूपयों का अर्थदण्ड
नीमच। श्रीमान् जितेन्द्र कुमार बाजोलिया, विशेष न्यायाधीश (एन.डी.पी.एस. एक्ट) जिला-नीमच द्वारा 71 किलोग्राम अवैध मादक पदार्थ अफीम की अंतरराज्यीय तस्करी करने वाले दो आरोपीगण (1) धर्मेन्द्र पिता वीरम गुर्जर, उम्र-30 वर्ष, निवासी-भगवानपुरा, ग्राम-डिकेन, थाना-रतनगढ़, जिला-नीमच एवं (2) भारत पिता रामनारायण गुर्जर, उम्र-43 वर्ष, निवासी-ग्राम देथल, थाना-कुकड़ेश्वर, जिला-नीमच को धारा 8/18(बी) एन.डी.पी.एस. एक्ट के अंतर्गत 14-14 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 200000-200000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी ए.डी.पी.ओ. रितेश कुमार सोमपुरा द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 27.05.2017 को पुलिस थाना नीमच सिटी में पदस्थ एस.आई. के. के. वसुनिया को मुखबीर सूचना प्राप्त हुई कि एक ट्रेलर में चालक धर्मेन्द्र एवं उसके साथ भारत व गोपाल सोया डीओसी के सफेद कट्टों के बीच में अवैध मादक पदार्थ अफीम छिपाकर भाटखेड़ा तरफ बायपास से होते हुवे पंजाब की तरफ तस्करों देने के लिये ले जा रहें हैं। मुखबीर सूचना विश्वसनीय होने से उनके द्वारा फोर्स के साथ मुखबीर द्वारा बताये गये स्थान फोरलेन पर पँहुचकर नाकेबंदी की गई। कुछ समय पश्चात् मुखबीर द्वारा बताया गया ट्रेलर आता हुवा दिखाई दिया, जिसको फोर्स की सहायता से रोका, जिसमें उक्त तीनो व्यक्ति बैठे हुवे थे। ट्रेलर की तलाशी लिये जाने पर उसमें डीओसी के सफेद कट्टों के बीच में दो प्लास्टीक की पोलीथीन में कुल 71 किलोग्राम अवैध मादक पदार्थ अफीम छिपाकर रखी हुई थी, जिसको वाहन सहित जप्त कर व तीनो आरोपीगण को गिरफ्तार किया जाकर अपराध पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण में अन्य शेष आवश्यक विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान आरोपी गोपाल के फरार हो जाने से उसके संबंध में निर्णय पारित नहीं किया गया हैं।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान कराकर अंतरराज्यीय अफीम तस्करी किये जाने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराते हुवे आरोपीगण को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिस पर से माननीय न्यायालय द्वारा आरोपीगण को उपरोक्त दण्ड से दण्डित किया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक श्री चंचल बाहेती द्वारा की गई।