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मध्यप्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी संशोधन 2025: नया कानून और उसके प्रभाव

मध्यप्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी संशोधन 2025: नया कानून और उसके प्रभाव

-राजेश पाठक

समाजसेवी अधिवक्ता मंदसौर

 

भारत में स्टाम्प ड्यूटी लंबे समय से सरकारी राजस्व का महत्वपूर्ण स्त्रोत रही है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में संशोधन कर भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2025 लागू किया है। यह अधिनियम 3 सितम्बर को राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद 9 सितम्बर 2025 को राजपत्र में प्रकाशित हुआ।

संशोधन से जुड़े बदलाव- नए अधिनियम में विभिन्न दस्तावेज़ों पर लगने वाले शुल्क में व्यापक परिवर्तन किया गया है। इसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से आम नागरिकों, विधिज्ञों, रियल एस्टेट क्षेत्र, उद्योगपतियों और खनन व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों पर पड़ेगा।अनुच्छेद 5: शुल्क 50 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया गया। अनुच्छेद 6: संविदा शुल्क 1,000 रुपये से बढ़कर 5,000 रुपये, और बड़े लेन-देन पर 0.2% अतिरिक्त शुल्क। अनुच्छेद 24 व 32: 1,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये। अनुच्छेद 38: खनन पट्टों पर अब कुल मूल्य का 2% शुल्क। अनुच्छेद 41-ए: शुल्क सीमा 2,000 – 5,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 – 10,000 रुपये। अनुच्छेद 49, 50, 53, 60 और 63: सभी में शुल्क वृद्धि की गई है।

पुरानी और नई दरों की तुलना-नए प्रावधानों से स्पष्ट है कि शुल्क कई स्थानों पर दोगुना या उससे अधिक कर दिया गया है। जैसे, अनुच्छेद 50 में 1,000 – 2,000 रुपये की जगह अब 2,000 – 5,000 रुपये लागू होंगे।विवाह पंजीकरण, लीज़ डीड, बंधक और उत्तराधिकार संबंधी दस्तावेज़ भी अब महंगे साबित होंगे।इसका अर्थ है कि सरकार के खजाने में वृद्धि तो होगी, लेकिन आम नागरिकों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ सहन करना पड़ेगा।

सरकार का तर्क और व्यावहारिक असर- राज्य सरकार का मानना है कि इस संशोधन से राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी और दस्तावेज़ी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी। उत्तराधिकार प्रावधानों में अब अधिक पारिवारिक सदस्यों को वैधानिक मान्यता मिलेगी।हालांकि, छोटे-मोटे दस्तावेज़ों पर भी अधिक शुल्क देना अनिवार्य हो गया है।उद्योगपतियों और व्यापारियों को संविदा व खरीद-फरोख्त पर अतिरिक्त व्यय उठाना पड़ेगा। खनन कंपनियों पर 2% शुल्क से निश्चित रूप से लागत का दबाव बढ़ेगा।

विशेषज्ञों की राय-कानूनी विशेषज्ञ और समाजसेवी राजेश पाठक का कहना है कि – “यह संशोधन न्यायालयीन कार्यवाहियों में पारदर्शिता तो लाएगा, लेकिन आम जनता को अधिक वित्तीय दबाव झेलना होगा।”अन्य विधि विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह निर्णय सरकार के राजस्व को सुदृढ करेगा, लेकिन नागरिकों के लिए दस्तावेजी कार्यवाही महंगी सिद्ध होंगी।

भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2025 सरकार के लिए अतिरिक्त आय का साधन बनेगा, जबकि आम जनता और उद्योग जगत के लिए यह बढ़ी हुई लागत का नया बोझ है। इसे एक “द्विमुखी तलवार” कहा जा सकता है—एक ओर राज्य के वित्तीय संसाधनों में वृद्धि और दूसरी ओर जनता की जेब पर भार। अब देखना यह है कि यह निर्णय विकास को गति देता है या असंतोष की लहर को जन्म देता है।

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