शामगढ़ में चातुर्मास के सत्संग प्रवचन के अंतर्गत संत श्री ने पशु की वफादारी का दृष्टांत दिया

शामगढ़ में चातुर्मास के सत्संग प्रवचन के अंतर्गत संत श्री ने पशु की वफादारी का दृष्टांत दिया
संत श्री ने कहा आदमी से ज्यादा वफादार कुत्ता जानवर होता है आज भी बात-बात में यदि वफादारी का उदाहरण देना हो तो हम कुत्ते का उदाहरण बड़े सहज भाव से देते हैंl
आप कुत्ते को एक बार भी रोटी देते हैं तो वह उस उपकार को नहीं भूलता है l
आपकी दी गई रोटी के बदले वह आपके घर की रक्षा सुरक्षा करता है ठीक इसके विपरीत आज मनुष्य के ऊपर कितने ही उपकार कर लो वह उनको भूल जाता है तथा उल्टे आपके ऊपर तरह-तरह के आक्षेप लगाकर आपको नीचा दिखाने का काम करता हैl
संत श्री ने बड़ा ही सुंदर दृष्टांत आज दिया एक शेर का बच्चा जो घायल हो गया था जिसके पंजे पर कांटा लगा हुआ था रक्त बह रहा था वह चिल्लाता हुआ जंगल की तरफ से गांव की तरफ आ रहा था वहीं पर एक चोर ने उस शेर की आवाज सुनी पहले तो बहुत डरा किंतु फिर हिम्मत करके वह शेर के बच्चे के नजदीक गया उसकी दशा देखकर यथासंभव उसका उपचार किया और शेर वहां से वापस जंगल में चला गयाl
समय बीतता गया वह चोर राजा के यहां चोरी करने के अपराध में पकड़ा गया राजा ने उसे मृत्युदंड दिया राजा के यहां मृत्युदंड का प्रावधान अपराधी को शेर के सामने खुला छोड़ दिया जाता था वह उसको मार डालता थाl
उसचोर के साथ भी वही होने वाला था उसे उस शेरके सामने छोड़ दिया गया शेर पहले दहाड़ लगाई और चोरके पास गया किंतु उसे करने के स्थान पर चुपचाप बैठ गया राजा आश्चर्यचकित हो गया सैकड़ो लोगों को मारने वाला शेर आज अहिंसक कैसे हो गया शेर ने पंजा सामने किया चोर को वह घटना याद आ गई आंखों में आंसू आ गए शेर ने भी अपने ऊपर किए गए उपकार का बदला उसकी जान बक्श कर अदा कर दियाl
कहने का मतलब आज के मनुष्यों से ज्यादा जानवर समझदार होते हैं अपने ऊपर किए गए एहसान को नहीं भुलते हैंl
इंसान आज इतना स्वार्थी हो गया है कि भगवान को भी बेवकूफ बनाने की कोशिश करता हैl
संत श्री ने आज बड़ा सुंदर दृष्टांत दिया एक बार एक गांव में वर्षा नहीं हुई एक भक्त ने भगवान की खूब सेवा अर्चना पूजा की भगवान प्रसन्न हो गए और कहा क्या चाहिए उस भक्त ने कहा प्रभु वर्षा करवा दीजिए भगवान ने बड़े सहज भाव से उसकी परीक्षा लेने के लिए कहा वर्षा तो मैं करवा दूंगा मुझे क्या दोगे उस व्यक्ति ने कहा प्रभु आप जो कहो आपको दूंगा
भगवान ने कहा जो भी फसल होगी नीचे का भाग में लूंगा
और ऊपर का भाग तुम रख लेना वह व्यक्ति होशियार था उसने गेहूं की फसल खेत में बो दी फसल तैयार हुई गेहूं गेहूं उसने रख लिए और भूसा भगवान को दे दिया अगले वर्ष फिर वही स्थिति हुई भगवान ने फिर कहा अब कैसे मैं ऊपर का रखूंगा किसान ने कहा ठीक है उसने मूंगफली की फसल खेत में बोदी किसान ने फिर मूंगफली रख ली और भगवान को भूसा दे दिया तीसरे साल फिर वही स्थिति हुई भगवान ने कहा ऊपर और नीचे का भाग में रखूंगा उसने फिर हां भर ली और मक्का की फसल खेत में बो दी फिर भगवान को भूसा ही मिला l
इंसान भगवान को भी नहीं छोड़ता है भगवान से भी होशियारी करने में शर्म महसूस नहीं करता हैl
आगे संत श्री ने महान भक्त धन्ना जाट की कथा का वर्णन किया कैसे अपने निर्मल मन से भगवान को प्राप्त कियाl धन्नाजीके पिता एक साधुसेवी, सरलहृदय साधारण किसान थे। पढ़े-लिखे तो थे नहीं, पर थे श्रद्धालु। उनके यहाँ प्रायः विचरते हुए साधु-संत आकर एक-दो दिन टिक जाते थे। धन्नाजीकी उस समय पाँच वर्षकी अवस्था थी। उनके घर एक ब्राह्मण पधारे। उन्होंने अपने हाथों कुएँसे जल निकालकर स्नान किया और तब झोलीमेंसे शालग्रामजीको निकालकर उनकी तुलसी, चन्दन – धूप-दीप आदिसे पूजा की। बालक धन्ना बड़े ध्यानसे पूजा देख रहे थे। उन्होंने ब्राह्मणसे कहा-‘पण्डितजी ! मुझे भी एक मूर्ति दो। मैं भी पूजा करूँगा। भला, जाटके लड़केको शालग्राम तो कौन देने चला था; परंतु बालकहठ करके रो रहा था ब्राह्मणने एक काला पत्थर पास उठाकर देते हुए कहा- ‘बेटा! यही तुम्हारे भगवान् हैं। तुम इनकी पूजा किया करो।’



