मेडिक्लेम से प्राप्त राशि मिलने के पश्चात भी दावेदार को मोटर यान अधिनियम के तहत पुनः राशि प्राप्त करने का अधिकार

मेडिक्लेम मामले मे महत्वपूर्ण ख़बर –
मेडिक्लेम से प्राप्त राशि मिलने के पश्चात भी दावेदार को मोटर यान अधिनियम के तहत पुनः राशि प्राप्त करने का अधिकार
मंदसौर | न्यायालय प्रथम मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मंदसौर ने एक ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। विद्वान न्यायाधीश श्री आसिफ अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि यदि किसी आहत को उसके मेडिक्लेम से उपचार का व्यय मिल चुका हो, तब भी वह मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत पुनः राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा। यह निर्णय न केवल दावेदार के लिए, बल्कि भविष्य में अन्य पीड़ितों के लिए भी महत्वपूर्ण मिसाल सिद्ध होगा।
अदालत का तर्क और निर्णय
मामला वाहन दुर्घटना में घायल विपिन से संबंधित था। उनके पक्ष से अधिवक्ता नन्दलाल राठौर, संजय राठौर और गोवर्धनलाल राठौर ने दावा आवेदन प्रस्तुत किया। दुर्घटना में विपिन को पैर में गंभीर फ्रैक्चर हुआ और उन्होंने इंदौर में उपचार कराया। उपचार हेतु उनकी मेडिक्लेम पॉलिसी से लगभग 4 लाख रुपये की राशि पहले ही प्राप्त हो चुकी थी। तथापि, उनके अधिवक्ता संजय राठौर ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पूर्व न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि दावेदार मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत उपचार व्यय की राशि पुनः प्राप्त करने का हकदार है। न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताई और यह अभिनिर्धारित किया कि मेडिक्लेम से प्राप्त राशि और मोटर यान अधिनियम के तहत प्राप्त राशि, दोनों एक साथ मिल सकती हैं।
पहला मामला और ऐतिहासिक महत्व
मंदसौर न्यायालय में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें मेडिक्लेम से प्राप्त राशि को वाहन दुर्घटना के दावे में पुनः दिलाया गया है। न्यायालय ने अन्य मदों को जोड़ते हुए घायल विपिन के पक्ष में कुल ₹13,27,942/- का अवार्ड पारित किया और इस पर ब्याज भुगतान के आदेश भी दिए। इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि दावेदार को उसकी हानि की वास्तविक भरपाई सुनिश्चित करने हेतु कानून का सहारा उपलब्ध है, भले ही उसे पहले से किसी अन्य स्रोत से आंशिक राशि मिल चुकी हो। पिछले रिकॉर्ड अवार्ड्स भी उल्लेखनीय मंदसौर जिले में पूर्व में भी कई महत्वपूर्ण फैसले सामने आ चुके हैं। वर्ष 2018 में जिले का अब तक का सबसे बड़ा अवार्ड पारित हुआ था, जब एक मामले में ब्याज सहित ₹1,15,00,000/- (एक करोड़ पंद्रह लाख रुपये) का मुआवजा दिया गया। वहीं वर्ष 2024 में अविवाहित छात्र की मृत्यु से जुड़े एक मामले में अधिवक्ता संजय राठौर की पैरवी से ₹1,75,00,000/- (एक करोड़ पिचहत्तर लाख रुपये) का अवार्ड पारित किया गया था। ये दोनों ही फैसले अब तक के रिकॉर्ड माने जाते हैं और हालिया निर्णय भी इन्हीं ऐतिहासिक निर्णयों की कड़ी में शामिल हो गया है।
कानूनी दृष्टि से नई दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भविष्य में मोटर दुर्घटना दावों को नई दिशा प्रदान करेगा। अब यह स्पष्ट हो गया है कि मेडिक्लेम प्राप्त करने के पश्चात भी मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत दावा करना दावेदार का मौलिक अधिकार है। यह न्यायालय की उस संवेदनशीलता को भी दर्शाता है जो आमजन के वास्तविक नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करने की दिशा में कार्यरत है। यह जानकारी हमारे कानूनी मामलों के जानकार अधिवक्ता राजेश पाठक द्वारा प्रदान की गई।



