जिला आबकारी अधिकारी खुद कर रहे शराब बिक्री का प्रचार ? ,विधायक विपिन जैन पर टिकी जनता की निगाह

अजब आबकारी अधिकारी के गजब कारनामे

फ़ैज़ान खान
मन्दसौर के प्रमुख चौराहों पर आबकारी विभाग द्वारा लगाए गए फ्लेक्स का गहराई से अवलोकन किया जाए तो, आबकारी विभाग मान रहा है कि मन्दसौर में जहां पुर्णतः शराबबंदी है वहां जहरीली शराब बिक रही है। प्रतिबंधित क्षेत्र में आबकारी विभाग जनता को प्रेरित कर रहा है कि शराब लाइसेंसी दुकान से क्रय करें हमारे द्वारा संपूर्ण जिले में हो रही शराब तस्करी और विभाग में हो रही अनिमितताओ को लेकर कई बार खबरों के माध्यम से शासन प्रशासन को अवगत कराया समय रहते शासन प्रशासन को नियम अनुसार कार्रवाई करना चाहिए
मन्दसौर। जिले में इन दिनों आबकारी विभाग के कारनामों को लेकर नगर की गलियों से लेकर चौपालों तक चर्चाओं का बाजार गर्म है..! शहर के प्रमुख चौराहों पर आबकारी विभाग द्वारा लगाए गए शराब संबंधित फ्लेक्स ने न केवल आम जनता को चौंका दिया है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी विरोध की लहर पैदा कर दी है..! इन फ्लेक्स में आबकारी विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे केवल लाइसेंसी दुकानों से ही शराब क्रय करें। फ्लेक्स पर साफ लिखा गया है कि जहरीली शराब से बचने के लिए विभाग (शासन) के लाइसेंसधारी ठेकेदारों की दुकानों से शराब खरीदना ही सुरक्षित है।
लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जिस मन्दसौर नगर पालिका क्षेत्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद शराबबंदी का आदेश दिया है, ओर शराब बंदी ही चुकी हैं, वहां सरकारी खर्च से ऐसे फ्लेक्स कैसे लगाए जा सकते हैं?
जनता में आक्रोश और चर्चा
मन्दसौर की जनता इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं कर रही है। लोग खुलेआम कह रहे हैं कि आबकारी विभाग आम जनता को शराब पीने के लिए तो नहीं, लेकिन ठेकेदारों से शराब खरीदने के लिए अवश्य प्रेरित कर रहा है।बात यहीं खत्म नहीं होती। शहरवासियों का आरोप है कि विभाग स्वयं लाइसेंसधारी ठेकेदारों का प्रचार-प्रसार कर रहा है, और इसमें सरकारी खजाने का पैसा खर्च किया जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि अगर विभाग को यह मालूम है कि नगर में प्रतिबंधित क्षेत्र में भी शराब बिक रही है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? केवल फ्लेक्स लगाकर लोगों को ठेके से शराब खरीदने की नसीहत देना क्या विभाग का काम है..! या ठेकेदारों को परोक्ष लाभ पहुँचाने की कोशिश?
धार्मिक नगरी की भावनाओं से खिलवाड़
मन्दसौर एक पवित्र नगरी के रूप में जानी जाती है। यहां भगवान पशुपतिनाथ का विश्वविख्यात मंदिर है और प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। ऐसे धार्मिक माहौल में आबकारी विभाग का यह कदम लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना जा रहा है…!
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए मन्दसौर नगर पालिका क्षेत्र में शराबबंदी लागू की थी। लेकिन जिला आबकारी अधिकारी खुलेआम उस आदेश को ठेंगा दिखाकर,शराबबंदी क्षेत्र में फ्लेक्स लगाकर लाइसेंसधारी दुकानों के विज्ञापन सरकारी धन से करवा रहे हैं। यह केवल आदेशों की अवहेलना ही नहीं, बल्कि सीधा-सीधा धार्मिक भावनाओं का अपमान भी है।
विधायक विपीन जैन से उम्मीद जनता को
इस पूरे मामले में नगरवासियों की निगाहें स्थानीय विधायक विपिन जैन पर टिकी हैं। लोगों का कहना है कि विधायक को इस मामले में सामने आकर जनता की आवाज को उठाना चाहिए। क्योंकि नगर की पवित्रता और जनता की भावनाएं किसी भी ठेकेदार या अधिकारी से बड़ी हैं।
आबकारी अधिनियम और कानूनी पहलू
अगर कानूनी नजरिए से देखा जाए तो मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 की कई धाराएं इस संदर्भ में लागू होती हैं। अधिनियम के अनुसार, प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मदिरा की बिक्री, प्रचार-प्रसार या उपभोग कानूनन अपराध है।
जनता पुछ रही हैं क्या आबकारी अधिकारी पर नियमानुसार कारवाही होगी या पूरे कुएं में भांग घुली हैं।
इसके साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य का दायित्व है कि वह जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नशीले पदार्थों और मदिरा की खपत पर रोक लगाए। इतना ही नहीं, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने कई आदेशों में यह स्पष्ट किया है कि नशीले पदार्थों और शराब का प्रचार-प्रसार किसी भी रूप में अनुमत नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय का 1996 का ऐतिहासिक आदेश (आईए नो. 1431/1996) कहता है कि सरकार और उसके विभाग किसी भी प्रकार से शराब का विज्ञापन या प्रचार नहीं करेंगे। यह आदेश बार-बार दोहराया गया है और राज्य सरकारों को इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे में आबकारी विभाग के जिला प्रमुख आबकारी अधिकारी द्वारा फ्लेक्स लगवाना न केवल मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना है, बल्कि आबकारी अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवमानना भी है।
विभाग पर ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने का आरोप
जनता में यह भी चर्चा है कि आबकारी अधिकारी जानबूझकर ठेकेदारों को लाभ पहुँचा रहे हैं। सरकारी खर्च से लगे ये फ्लेक्स सीधे-सीधे शराब की लाइसेंसी दुकानों का प्रचार करते नजर आ रहे हैं।
कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि शासकीय अधिकारी ठेकेदारों से मिले हुए हैं और उनके लिए विज्ञापन का काम कर रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब शासन ने खुद मन्दसौर नगर पालिका क्षेत्र को शराबबंदी क्षेत्र घोषित कर रखा है।
मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग
नगर वासियों की आम राय यही है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस मामले का तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। लोग मांग कर रहे हैं कि जो आबकारी अधिकारी इस तरह से आदेशों की अवहेलना कर, जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है, उसे तत्काल हटाया जाए।मन्दसौर में आबकारी विभाग द्वारा लगाए गए फ्लेक्स ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है—क्या सरकारी अधिकारी जनहित और धार्मिक भावनाओं की परवाह किए बिना, ठेकेदारों के हित साधने के लिए काम कर रहे हैं?जहां शराबबंदी लागू है, वहां शराब की बिक्री और उसका सरकारी प्रचार एक तरह से कानून और न्यायपालिका दोनों की अवमानना है। साथ ही, यह मुख्यमंत्री के आदेशों की खुली अनदेखी भी है।
जनता की आवाज अब साफ है—मन्दसौर जैसी पवित्र नगरी में शराब का कोई प्रचार-प्रसार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव सख्त कार्रवाई करेंगे और आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल हटाकर जनता की भावनाओं का सम्मान करेंगे।
इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी बी एल दांगी से चर्चा करना चाही उनका मोबाइल बिज़ी आ रहा था।



