रीवामध्यप्रदेश

सबसे पुराना पेट्रोल पंप मप्र शासन का हुआ, कोर्ट से पक्ष में आया था फैसला

हजारों लीटर पेट्रोल, डीजल जमीन में दफन भड़की आग तो धमाके में उड़ जाएंगे कई घर

रीवा। जिला प्रशासन की लापरवाही कई लोगों की जान पर भारी पड़ने वाली है। जय स्तंभ चौक में जमीन के नीचे हजारों लीटर डीजल और पेट्रोल टैंक में दफन है लेकिन उसे निकाला नहीं गया। अब उसी टैंक के ऊपर दुकानें, ठेले लग रहे हैं। आग सुलगाई जा रही है। यदि एक चिंगारी भी भड़की तो आसपास का पूरा क्षेत्र ही साफ हो जाएगा। इस गंभीर मामले को जिला प्रशासन नजर अंदाज कर रहा है। कहीं इसका खामियाजा रीवा की जनता को न चुकाना पड़ जाए। आपको बता दें कि जिला का सबसे पुराना पेट्रोल पंप बंद हो गया है। जय स्तंभ चौक पर संचालित भारत पेट्रोलियम का पेट्रोल पंप आजादी के पहले खुला था। राजशाही के समय का यह पेट्रोल पंप है। वर्ष 1939 से तीन साल पहले तक यह पेट्रोल पंप चला। अब इस पेट्रोल पंप की जमीन भी भूमि स्वामी हार गया। अब यह जमीन जिला प्रशासन के नाम कोर्ट ने कर दी है। मामला जीते प्रशासन को तीन साल हो गया लेकिन जमीन के नीचे दबा हजारों लीटर डीजल और पेट्रोल अब तक बाहर नहीं निकाला गया है। जिला प्रशासन ने पेट्रोल पंप तो कब्जे में ले लिया लेकिन इसके जमीन के नीचे दफन पेट्रोलियम पदार्थ को बाहर निकालना भूल गया। कई मर्तबा शासन को भी पत्र लिखा गया। पेट्रोलियम कंपनी को भी पत्र लिखा गया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब भी स्थिति जस की तस है। यह रीवा शहर के लिए खतरनाक बनता जा रहा है। पेट्रोल पंप के ऊपर ही अभी नोजल यथावत है। इसका कनेक्शन सीधे टैंक से है। अब इसके आसपास भी दुकानें लग रही है। बीड़ी, सिगरेट भी यहीं पर खड़े होकर लोग पीते हैं और यहीं पर फेंकते हैं। इसके कारण कभी भी यहां हादसा हो सकता है।

सिविल न्यायालय ने नहीं मानी थी दलीलें-:

राजशाही के समय जमीन मामनचंद्र को मिली थी। आजादी के बाद राजशाही की अधिकांश जमीनें मप्र शासन के नाम दर्ज कर दी गई। यह जमीन भी मप्र शासन के नाम दर्ज कर दी गई। जमीन पर कब्जा मामनचंद्र का था लेकिन रिकार्ड में मप्र शासन दर्ज था। इस जमीन को लेकर मामला सिविल कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला दे दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में भी सत्य नारायण रामनिवास पेट्रोल पंप के पार्टनर ने अपील की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया था। वर्ष 2022 में हाईकोर्ट ने प्रकरण खारिज कर दिया था।

वर्ष 1939 में खुला था पेट्रोल पम्प-:

मामनचंद्र अग्रवाल पिता मामचंद्र अग्रवाल ने वर्ष 1939 में रीवा राज्य के तत्कालीन शासक गुलाब सिंह जूदव से एक पाट पीएएटी के माध्यम से एक प्लाट संख्या 3512, 1.96 एकड़ प्लाट संख्या 3513,0.92 एकड़ का अध्रिगहण किया था। इस पर 6 रुपए मासिक किराए पर भूमि का स्वामित्व विलेख जमा कर वर्ष 1939 में वर्मा सेल कंपनी को उक्त भूमि का एक हिस्सा पट्टे पर आवंटित करके एक पेट्रोल पंप स्थापित किया था। वर्ष 1973-74 में वर्मा शेल कंपनी का भारत पेट्रोलिमय कापेरिशन लिमिटेड में विलय हो गया। तब से भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड 200 रुपए मासिक किराए पर पट्टेदार बन गया। जो आज तक जारी रहा।

निकालने का कोई विकल्प ही नहीं-:

जय स्तंभ चौक में स्थापित पेट्रोल पंप के नीचे टैंकर में कई हजार लीटर पेट्रोल डीजल भरा हुआ है। इसमें पेट्रोल और डीजल डालने का विकल्प तो है लेकिन इसे बाहर निकालने का विकल्प नहीं है। इसे नोजल से ही बाहर निकाला जा सकता है। इसी में मामला फंसा हुआ है। पेट्रोलियम कंपनी को इसे निकालने के लिए जिला प्रशासन ने पत्राचार किया था लेकिन कंपनी ने कोई पहल नहीं की। विधानसभा, लोक सभा चुनाव भी हुए। इसमें भी जिला प्रशासन ने इस पेट्रोल डीजल का उपयोग वाहनों में नहीं किया। अब तक जस का तस पेट्रोलियम पड़ा हुआ है जो खतरा बन रहा है। इसी टेक के ऊपर ही अब चना भूजने वाले ठेले लगाते हैं। आग के हर समय टैंक संपर्क में रहता है। इससे खतरा बढ़ रहा है। जिला प्रशासन का लचर रवैया लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है।

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