आध्यात्ममंदसौर जिलासीतामऊ

इस कलयुग में भगवान की कृपा प्राप्त करना हो तो सिर्फ एक ही मार्ग गो माता की सेवा -पंडित नारायण जी 

इस कलयुग में भगवान की कृपा प्राप्त करना हो तो सिर्फ एक ही मार्ग गो माता की सेवा -पंडित नारायण जी 
खेजड़िया । श्री चिंताहरण बालाजी की असीम कृपा से ग्राम खेजड़िया के समस्त ग्राम वासियों के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का सुंदर आयोजन किया जा रहा है श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिवस में व्यासपीठ से विराजित श्री हनुमंत भागवत कर्मकांड परिषद के संस्थापक श्री मुकेश शर्मा नारायण जी मंदसौर वाले ने कहा कि यदि आज के समय में भगवान की कृपा प्राप्त करना है तो एक ही मार्ग बचता है वो सिर्फ और सिर्फ गो माता की रक्षा और सेवा क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म गो माता की सेवा के लिए ही हुआ था , अपना पूरा बाल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण ने गोमाता की सेवा में समर्पित किया गो माता के पावन शरीर में तेंतीस करोड़ देवी देवताओं का वास होता है यदि इस युग में गो माता की ही सच्चे मन से सेवा करली तो समस्त देवी देवताओं का आशीर्वाद स्वयं ही प्राप्त हो जाएगा। गो माता की सेवा अपनी यथा शक्ति अनुसार भी हो सकती है। अपने घर की दहलीज पर आने वाली गो माता को कभी भी बिना रोटी के ना लौटाएं जितनी बार गो माता हमारे घर आती है उतनी बार साक्षात ही भगवान हमारे घर आगमन करते है। गो माता को गरम रोटी का भोग लगाना भी साक्षात भगवान को भोग लगाने के बराबर है लेकिन आज कल तो शहर तो ठीक गांव में भी उचित स्थान नहीं छोड़ा जारा है यदि हमने गो माता के भोजन को एवं उनकी गोचर भूमि को सुरक्षित नहीं रखा तो हमारे लिए भी भगवान के घर में उचित स्थान मिले इस भ्रम को ना पाले इस कारण यदि भगवान की कृपा को एवं भगवान के द्वार में उचित स्थान चाहते हो तो अपने जीवन में नियमित गो माता की सेवा करे
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुंदर वर्णन करतें हुए पं नारायण जी ने कहा कि मथुरा के राजा कंस के द्वारा अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव जी के साथ किया जाता है लेकिन योगमाया अवगत कराती है की देवकी की आठवीं संतान की कंस का काल बनेगी इस कारण वह अपनी बहन देवकी और वसुदेव जी को कारागृह में बंद करके एक एक संतान को मारने लगता है। भादवा माह की अष्टमी को कंस के कारागृह में भगवान श्री कृष्ण का जन्म होता है योग माया की कृपा से वासुदेव जी कृष्ण को अपने पालने में सुलाकर नंद बाबा की नगरी में छोड़ आते है। लेकिन कंस भगवान के बाल स्वरूप में भी भगवान के ऊपर आक्रमण करने के लिए भी कई राक्षसों को भेजता है जिनका भगवान उद्धार करते है और अपनी बाल लीलाओं से माता यशोदा एवं नंद बाबा का मन मोहित करते है माखन मटकी फोड़ की लीला से सभी भक्तों का मन मोहित करते है। गो माता की रक्षा के लिए यमुना नदी से कालिया नाग को निकालकर जल को जहर मुक्त करते है अपने भक्तो की रक्षा के लिए गिरिराज पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर
देवराज इंद्र के प्रकोप से अपने भक्तो की रक्षा करतें है। अंत में अपने मामा के छल भरे आमंत्रण को स्वीकार करते हुए मथुरा को आगमन करते है ।
मथुरा नगरी में  भगवान का इंतजार करने वाले भक्तो को दर्शन देकर उनका भी उद्धार करते है एवं मामा कंस से युद्ध कर मामा कंस का भी मोक्ष करतें है। श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में समस्त
भक्तजनों के द्वारा भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भव्य उत्साह के साथ मनाया गया। भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की आरती प्रसादी राघूवीर जी परमार के द्वारा की गई एवं भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अतिथि के रूप में अरविंद सारस्वत भाजपा मंडल  अध्यक्ष मंदसौर मंडल महामंत्री बंसीलाल राठौर, केसरीमल जटिया, निधान बग्गा, राम अटेला के द्वारा भागवत पोथी की आरती कर व्यास पीठ से विराजित गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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