एक पेड़ मां के नाम अंतर्गत उदिया कालेज में लगाए गए फलदार वृक्ष के पौधे

एक पेड़ मां के नाम अंतर्गत उदिया कालेज में लगाए गए फलदार वृक्ष के पौधे
गरोठ। श्री शिवनारायण उदिया शासकीय महाविद्यालय गरोठ में ‘एक पेड़ मॉं के नाम’ अभियान के अंतर्गत मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं श्रीमती मोहन बाई बैरागी, श्रीमती सुनीता बैरागी एवं विशेष अतिथी श्री नरेन्द्र बैरागी ने महाविद्यालय को फलदार वृक्ष भेंट किए। कार्यक्रम में बैल, सीताफल, अशोक एवं शीशम के वृक्ष लगाए गए। जहाँ मुख्य अतिथि श्रीमती मोहन बाई बैरागी ने सीताफल का वृक्ष अपनी माताजी अवंती बाई को श्रद्धांजलि स्वरूप अर्पित किया। वहीं 3 वर्ष की नन्हीं बालिका अनुश्री बैरागी ने बैल का वृक्ष अपनी माँ सुनीता बैरागी को समर्पित किया।
कार्यक्रम में श्री नरेंद्र बैरागी एवं डॉ. अशोक बैरागी एबी ने भी अपनी माताजी श्रीमती मोहन बाई बैरागी को वृक्ष समर्पित किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती मोहन बाई बैरागी ने कहा कि हमें अपने जन्मदिन, त्योहार या किसी खास अवसर पर पौधारोपण करना चाहिए और उनकी देखभाल भी करनी चाहिए।
विशेष अतिथि श्री नरेन्द्र बैरागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। इन समस्याओं का सबसे सरल और प्रभावी समाधान अधिक से अधिक वृक्षारोपण है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि कम से कम एक वृक्ष जरूर लगाएं।
विशेष अतिथि श्रीमती सुनीता बैरागी ने कहा कि वृक्ष हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये हमें जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, वायु को शुद्ध करते हैं, पर्यावरण का संतुलन बनाए रखते हैं और बाढ़, मिट्टी के कटाव जैसी समस्याओं से भी बचाते हैं।
प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि कार्यक्रम में पधारे अतिथियों द्वारा महाविद्यालय को दी गई यह भेंट सभी को वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने बताया कि 3 वर्ष की नन्हीं बालिका अनुश्री बैरागी भी अपनी मॉं के नाम से पेड़ लगा रही हैं। यह सराहनीय कार्य है। अतिथियों ने वृक्षारोपण के साथ-साथ पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भी भेंट किए। संपूर्ण कार्यक्रम प्राचार्य महोदय की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का संचालन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अशोक बैरागी ‘एबी’ ने किया एवं आभार स्वयंसेवक रोहित सूर्यवंशी और आशीष गेहलोत ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ प्राध्यापक गण और स्टाफ सदस्य भी शामिल हुए।