धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलासीतामऊ
अंहकार को समाप्त कर, आत्मा से आत्मा और आत्मा से परमात्मा के बीच बंधन, रक्षा और प्रेम का त्योहार है रक्षाबंधन -बीके श्यामा दीदी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सीतामऊ में मैत्री दिवस और रक्षाबंधन पर्व मनाया गया


इस अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी श्यामा दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अभी पुरा भारत शिवमय है। अभी हर गांव में कावड़ यात्री शिव बाबा कि भक्ति में लीन हैं। और ऐसे में सावन मास कि पूर्णिमा को रक्षाबंधन पर्व आता है। राजा बलि कि कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि भक्त प्रह्लाद के पोते और विरोचन के पुत्र राजा बलि एक शक्तिशाली असुर राजा थे, जिन्होंने देवताओं को पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।राजा बलि को घमंड था वह यज्ञ करा कर राजा बन रहा था तो भगवान ने सोचा कि जब यह चक्रवर्ती सम्राट बन जाएगा। ब्रह्मांड में त्राहि-त्राहि मच जाएगी तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी, वामन ने अपना आकार बढ़ाया और एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया। तीसरा पग बलि के सिर पर रखने को कहा।बलि ने अपना सिर झुका दिया और वामन ने तीसरा पग उनके सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज कर अहंकार को समाप्त किया अहंकार मुक्त राजा बलि के महादानी होने पर का पाताल का राजा बना दिया।
इंद्र को इंद्राणी को रक्षा सुत्र इंद्र का बार बार राक्षसों से पराजित होने पर बांधा था।पहले पंडित घर घर जाकर रक्षा सुत्र बांधते थे।
श्यामा दीदी ने रक्षाबंधन पर थाली में रखने वाली पांच सामग्रीयों का महत्व बताते हुए कहा कि दूबी चांवल केशर चंदन कंकु,दुबी मतलब प्रकृति , चांवल आध्यात्मिक और अक्षय है।केशर सुगंधित और शक्तिशाली, चंदन तो खुशबू देता ही है। और कंकु जहां लगाते इसे लगाने से ज्ञान का आभास कराता है।
पहले भाई बहन को रक्षा सुरक्षा के बंधन के लिए बांधते हैं। पर आज रक्षा बंधन फेशन बन गया है। यह रक्षा बंधन आत्मा से आत्मा का बंधन है यह शरीर तो आज हैं कल नहीं हैं नाश्वर है।एक तरफ रक्षा हो बंधन भी हो, तो रक्षा और बंधन किसका आत्मा कि रक्षा और बंधन का पर्व है। देह आत्मा से मुक्त होने पर शरीर का कोई महत्व नहीं रहता है।आत्मा को परमात्मा कि संतान कि याद दिलाने के लिए रक्षा सुत्र बांधते हैं। अपने भीतर के अहंकार को समाप्त कर आत्मा से आत्मा और आत्मा से परमात्मा के बीच बंधन रक्षा और प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन है। तिलक लगाना ज्ञान का आभास कराता है चांवल अक्षत जो अक्षय है। जिससे कोई क्षय नहीं हो। इसलिए तिलक के साथ चांवल लगाते हैं।
श्यामा दीदी ने कहा कि सबेरे उठकर बाबा से गुड मॉर्निंग बोलने से सरल कोई मंत्र नहीं है। निरंतर करने से बाबा से लगाव हो जाता है। और अकाल मृत्यु नहीं होती है। भगवान रक्षा करते हैं। ब्रह्मा कि वाणी को निरंतर धारण करने वाले ब्रह्म ब्राह्मणी भगवान ने बनाया है।आज बाबा ने चार बातें निर्मल स्वभाव, निर्मल वाणी ,निमित, जो हम कर रहे हैं वह हम नहीं बाबा करा रहे हैं। हम निमित्त मात्र है। और चौथा मिठा बनना है। मिठाई खाते हैं तो थोड़ी देर मुह मिठा रह सकता है पर मिठा रहने और बोलने से सदैव मिठा रहते हैं।
बधाईयां शुभकामनाएं दी।
संचालिका ब्रह्माकुमारी कृष्णा दीदी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि ओम शांति बोलने से ही शांति हो जाती है। रक्षा बंधन का त्योहार जब आता तब चारों ओर हरियाली हो जाती है। हरियाली जब चारों ओर दिखाई देने लग जाती है तो आनंद कि अनुभूति होती है। ब्रह्माकुमारी में आने के लिए आपका भाव लगा रहता है।ये बाबा से आपका लगाव है।एक मात्र ऐसा स्थान सीतामऊ में ये प्रभु उपहार भवन जहां मेडिटेशन कर आत्म शांति प्राप्त होती है।
जब बुराईयां प्रारंभ हुई तब इंद्र को इंद्राणी ने भी रक्षाबंधन इन्द्र को बांधा था। पहले रक्षा सुत्र रक्षा करने लिए बांधते थे। फिर धीरे धीरे भाई बहनों का त्योहार रक्षाबंधन त्योहार बन गया। भाई बहन को रक्षा सुत्र बांध कर रक्षा संकल्प लेते हैं। पर कही भाई छोटा है तो बहिन ही उसकी रक्षा का संकल्प निभाती है। समय जब आता है तो हमको परमात्मा पर भरोसा कर आगे बढ़ना चाहिए।
गोविंद सिंह पंवार ने कहा कि मन में कुछ करने का संकल्प हो तो ईश्वर भी साथ देता है।18 वर्ष पहले से अब तक आपकी तन मन समर्पित भाव से सेवा से हमें उपहार भवन के रुप में उपहार मिला है। भारत त्योहारों का देश है पर उनमें मुख्य दिपावली लक्ष्मीजी कि प्राप्ति तथा होली मनोरंजन और रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन कि रक्षा करने का संकल्प लेने और रक्षा करते रहने का त्योहार है। हम कथा भागवत मंदिर कहीं भी जाये बच्चों को भी ले जाएं। इससे बच्चों में भी संस्कार बढ़ते हैं।

इस अवसर पर सभी उपस्थित बहनों भाईयों को श्यामा दीदी और कृष्णा दीदी के द्वारा राखी बांधी गई तथा उपहार कार्ड दिए गए। इस अवसर पर बहिनों ने रक्षा बंधन गीत पर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी प्रिती दीदी,पुजा दीदी गौरव जैन गोविंद सिंह पंवार लक्ष्मीनारायण मांदलिया मोहनलाल भोई, दिलीप राठौर, दशरथ लाल पाटीदार, दिनेश सेठिया, अनिल ओस्तवाल,रमेशचंद्र लौहार, गोपाल सिलावट,रवि भाई सहित भाई एवं बहिनें मातृशक्ति उपस्थित रहें।