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कर्मों का बंधन खत्म किये बिना मोक्ष मिलना संभव नहीं हैं-साध्वी श्री अमितगुणाश्रीजी म.सा

कर्मों का बंधन खत्म किये बिना मोक्ष मिलना संभव नहीं हैं-साध्वी श्री अमितगुणाश्रीजी म.सा.
मन्दसौर। स्थानीय नयापुरा रोड़ स्थित आदिनाथ जैन मंदिर (दादावाड़ी) पर प्रतिदिन प्रातःकाल आयोजित चातुर्मास प्रवचन माला में साध्वी श्री अमितगुणाश्रीजी म.सा. ने कहा की हमारी आत्मा को सिद्धालय की और ले जाना हैं तो महापुरुषों के बताये मार्ग पर चलना होगा। हमारी आत्मा को कर्मों ने घेर रखा हैं कर्मों का बंधन खत्म किये बिना मोक्ष मिलना संभव नहीं हैं। हम संसार के मोह के फंसे है,ं चरित्र संयम लिए बिना सिद्धशिला पर पहुंचना नामुमकिन हैं। श्रद्धा और संयम दोनों दुर्लभ हैं। संसार दुःखों से भरा हैं संयम सुखों से परिपूर्ण हैं।
साध्वीजी ने कहा कि हमें ज़ब भी समय मिले साधू साध्वी भगवतों की अनुमोदना कर लेना चाहिये। अनुमोदना करते करते-व्यक्ति के कर्म टूट जाते हैं। 25वें तीर्थंकर की उपमा श्रावक श्राविकाओं श्री संघ की दी गई हैं।
आपने कहा की जन्म भले मेरा मेटरनिटी होम में हो लेकिन मृत्यु महावीर के होम में हो।
जन्म माँ की गोद मे हो लेकिन मृत्यु गुरु की गोद में हो। मेरे जन्म के समय कलर कपड़े हो पर मृत्यु श्वेत वस्त्र में हो। ऐसी साधु साध्वी भगवंतो की अनुमोदना करना चाहिये। जिससे मेरी आत्मा सक्षम बने करण करावत संघ समाज में अच्छे कार्य करने वालों की अनुमोदना करनी चाहिये।
आपने कहा कि जिन वाणी को आचरण मे लाये बिना आत्म कल्याण नहीं हो सकता। बेटे बेटियों को व्यवहारिक शिक्षा के साथ धर्म के संस्कार की शिक्षा भी दे। जिससे उनका जीवन प्रज्वलित होकर धर्म के मार्ग पर चलकर आत्म कल्याण की ओर बढ़े।
धर्मसभा में अशोक मारु, अभय चोरडिया, दिलीप लोढ़ा, अशोक मेहता, प्रकाश कोठारी, ईश्वर भावनानी, समरथ लोढ़ा, शिखर धारीवाल, रिषभ धारिवाल, पूनम चंद भंडारी, धीरज लोढ़ा आदि उपस्थित रहे। संचालन कमल कोठारी ने किया।
साध्वीजी ने कहा कि हमें ज़ब भी समय मिले साधू साध्वी भगवतों की अनुमोदना कर लेना चाहिये। अनुमोदना करते करते-व्यक्ति के कर्म टूट जाते हैं। 25वें तीर्थंकर की उपमा श्रावक श्राविकाओं श्री संघ की दी गई हैं।
आपने कहा की जन्म भले मेरा मेटरनिटी होम में हो लेकिन मृत्यु महावीर के होम में हो।
जन्म माँ की गोद मे हो लेकिन मृत्यु गुरु की गोद में हो। मेरे जन्म के समय कलर कपड़े हो पर मृत्यु श्वेत वस्त्र में हो। ऐसी साधु साध्वी भगवंतो की अनुमोदना करना चाहिये। जिससे मेरी आत्मा सक्षम बने करण करावत संघ समाज में अच्छे कार्य करने वालों की अनुमोदना करनी चाहिये।
आपने कहा कि जिन वाणी को आचरण मे लाये बिना आत्म कल्याण नहीं हो सकता। बेटे बेटियों को व्यवहारिक शिक्षा के साथ धर्म के संस्कार की शिक्षा भी दे। जिससे उनका जीवन प्रज्वलित होकर धर्म के मार्ग पर चलकर आत्म कल्याण की ओर बढ़े।
धर्मसभा में अशोक मारु, अभय चोरडिया, दिलीप लोढ़ा, अशोक मेहता, प्रकाश कोठारी, ईश्वर भावनानी, समरथ लोढ़ा, शिखर धारीवाल, रिषभ धारिवाल, पूनम चंद भंडारी, धीरज लोढ़ा आदि उपस्थित रहे। संचालन कमल कोठारी ने किया।