आध्यात्महरियाणा

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का होता है नाश : श्री गौरी शंकर प्रिया 

श्री भागवत कथा के साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं निःशुल्क मिलेंगी डॉ ह्रदयेश कुमार 

फरीदाबाद (हरियाणा) : फरीदाबाद हरियाणा सेक्टर 3 जाट भवन के प्रांगण में 10 अगस्त 2025 से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा व ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जाएगा । इस श्री मद्भागवत कथा का आयोजन सेक्टर 3 के सभी स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है और अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ ह्रदयेश कुमार ने पूरे सात दिन तक सभी श्रद्धालुओं का फ्री स्वस्थ चैकअप कर उनको स्वस्थ के लिए दवाएं दी जाएंगी पथरी की आयुर्वेद दवाई दी जाएगी डॉ ह्रदयेश कुमार ने आप सभी को निवेदन किया है कि आप इस श्री मद्भागवत कथा में समर्पित भाव से सुनिए और अपने स्वास्थ्य सेवाएं निः शुल्क लीजिए इस कथा को अपने श्री गौरी शंकर प्रिया जी अपने श्री मुखार बिंदु से सीधा प्रसारण करने के लिए 23/24 घंटे का सफर तय कर के आप के पास पधारेगी ये हमारा सौभाग्य है इस कथा के माननीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मंत्री विपुल गोयल और मंत्री राजेश नागर जी अपने हाथों से फूलों की वर्षा कर व दीप प्रज्वलित कर शिरकत करेंगे इस कथा को सफल बनाने के लिए सपनों का आशियाना ट्रस्ट की संस्थापिका राधिका गुप्ता और उनके सभी टीम पूरे उत्साह से कार्य कर रहे हैं

 

श्री गौरी शंकर प्रिया जी को सिंगापुर से अवॉर्ड दिया गया है अब ये साध्वी विश्व विख्यात हो रही हैं और कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के वाचन व श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ती हो जाती है। संसार दु:खों का सागर है। प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है। कोई स्वास्थ्य से दुखी है, कोई परिवार, कोई धन, तो कोई संतान को लेकर परेशान है। सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की आराधना ही एकमात्र मार्ग है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय हरिभजन में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वत: ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को मन, बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से महापापी धुंधुकारी का भी उद्धार हो गया। कथा व्यास ने बताया कि धुंधुकारी अति दुष्ट था।

अपने कुकर्मों के फलस्वरूप वह प्रेत बन गया और भूख प्यास से व्याकुल रहने लगा। एक दिन व्याकुल धुंधुकारी अपने भाई गोकर्ण के पास पहुंचा और संकेत रूप में अपनी व्यथा सुनाकर उससे सहायता की याचना की। गोकर्ण धुंधुकारी के दुष्कर्मों को पहले से ही जानते थे, इसलिए धुंधुकारी की मुक्ति के लिए गया श्राद्ध पहले ही कर चुके थे। लेकिन इस समय प्रेत रूप में धुंधुकारी को पाकर गया श्राद्ध की निष्फलता देख उन्होंने पुन: विचार विमर्श किया। अंत में स्वयं सूर्य नारायण ने गोकर्ण को निर्देश किया कि श्रीमद्भागवत का पारायण कीजिए। उसका श्रवण मनन करने से ही मुक्ति होगी। श्रीमद् भागवत का पारायण हुआ। गोकर्ण वक्ता बने और धुंधुकारी ने वायु रूप होने के कारण एक सात गांठों वाले बांस के भीतर बैठकर कथा का श्रवण मनन किया। सात दिनों में एक-एक करके बांस की सातों गांठे फट गईं। धुंधुकारी भागवत के श्रवण मनन से सात दिनों में सात गांठे फोड़कर, पवित्र होकर, प्रेत योनि से मुक्त होकर भगवान के वैकुण्ठ धाम में चला गया। कथा के बाद प्रसाद के वितरण किया जाएगा। प्रसाद ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। आयोजन को सफल बनाने में

शिव शंकर राय, सुबोध कुमार साह, राधिका गुप्ता,धर्मेंद्र कुमार , रेनू देवी , लाली देवी आदि सक्रिय हैं।

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