शामगढ़मंदसौर जिला

परिवार का मुखिया भगवान भोलेनाथ जैसा होना चाहिए सब कुछ दूसरों को समर्पित कर सबको खुश रखते- संत दिव्येशराम जी 

परिवार का मुखिया भगवान भोलेनाथ जैसा होना चाहिए सब कुछ दूसरों को समर्पित कर सबको खुश रखते- संत दिव्येशराम जी 

शामगढ़। नगर में चातुर्मास की अनवरत ज्ञान वर्षा पोरवाल मांगलिक भवन में हो रही है सैकड़ो की संख्या में दिन प्रतिदिन भक्तों की संख्या बड रही हैl

संत श्री दिव्येश श्री राम जी राम महाराज के मुखारविंद से ज्ञान और भक्ति रस की गंगा बह रही है l

आज के प्रसंग में संत श्री ने बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग की कथा अपने मुखारविंद से बड़े ही सुंदर ढंग से भक्तों को बताई

l संत श्री ने कहा रावण बहुत बड़ा शिव भक्त था शिव भक्ति में उसने कमल पुष्प की जगह अपने सर काट-काट कर समर्पित किए थे भगवान ने उसे 10 शीश और 20 भुजाओं को समर्पित कर वरदान प्राप्त किया। उसके बाद और कठोर तपस्या कि फिर भगवान को प्रसन्न किया।

भगवान ने रावण को वरदान मांगने की कहा रावण ने कहा प्रभु आप लंका में मेरे साथ निवास करिए और बार-बार विनती करता रहा भगवान ने उसे अपना एक लिंग स्वरूप देकर कहा इसे ले जाओ और लंका में स्थापित कर देना किंतु एक शर्त है कैलाश पर्वत से लंका तक इसे नीचे मत रखना वरना यह वही स्थापित हो जाएगाl

भगवान भोलेनाथ का ज्योतिर्लिंग स्वरूप लेकर वह कैलाश पर्वत से निकला आधे रास्ते में उसे लघु शंका करना आवश्यक था उसने आसपास देखा एक चरवाहा जिसका नाम बैजु था उसको वह लिंग स्वरूप देकर लघु शंका को चला गया इधर देवताओं ने मंत्रणा करके श्री हरि को किसी भी स्थिति में भगवान भोलेनाथ का ज्योतिष स्वरूप लिंग लंका में स्थापित नहीं होना चाहिए अन्यथा सदा सदा के लिए यह अजय अमर हो जाएगा वैसे भी भगवान भोलेनाथ ने रावण को 14 चौकड़ी वर्ष तक इस पृथ्वी पर शासन करने का वरदान भी दिया थाl

श्री हरि ने अपनी लीला स्वरूप धारण करके रावण के विघ्न डालने के लिए उसे लघु शंका हो इसलिए अपनी लीला का प्रयोग किया श्री हरि अपनी लीला में सफल भी हुए क्योंकि उसे चरवाहे ने अचानक उस लिंग स्वरूप का वजन इतना भारी हो गया कि उसे उठाना असंभव हो गया और उसने उसे लिंग को वहीं जमीन पर रख दिया कुछ समय बाद रावण आया और उसने यह दृश्य देखा और चरवाहे को खरी खोटी सुनाते हुए लिंग को जमीन पर रखने का कारण पूछने लगा चरवाहे ने कहा अचानक इस पार्थिव लिंग का वजन बहुत भारी होने लगा जिसे मैं उठाने में असमर्थ था इसलिए नीचे रख दिया रावण को अपने बल पर अपनी 20 भुजाओ पर बहुत घमंड था उसे लिंग को उठाने की बहुत कोशिश की किंतु वह वहां से नहीं उठा सका रावण लंका को चला गया देवता ऋषि मुनि सबने वहां पर भगवान भोलेनाथ का पूजन किया और उसे ज्योतिर्लिंग स्वरूप को बार-बार नमन करते हुए वही निवास करने लगेl इस प्रकार वहां पर बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य हुआ।

कल प्रवचन में संत श्री ने भगवान भोलेनाथ की बड़ी सुंदर कथा में संत श्री ने कहा शिव परिवार कितना विचित्र है एक दूसरे के विपरीत होते हुए भी सभी एक साथ रह रहे हैं उनका आशय था भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी महाराज पार्वती माता की सवारी शेर कार्तिक की सवारी मोर है और भगवान गणेश महाराज की सवारी मूषक है l

इस प्रकार आप देखें सब एक दूसरे के विपरीत एक दूसरे को मारने वाले एक दूसरे का भोजन होते हुए भी भोलेनाथ रह रहे हैंl

हम भोलेनाथ को गांजा भांग चरस आंकड़ा धतूरा सभी विषैला पदार्थ चढाते हैंl भोलेनाथ बड़ी प्रसन्नता से सब कुछ स्वीकार करते हैं इसका मतलब परिवार का मुखिया भी भगवान भोलेनाथ जैसा होना चाहिए सब कुछ दूसरों को समर्पित कर सबको खुश रखते हैं जोश ब्रह्मांड का मालिक है जितनी धन संपदा मोती माणिक्य हीरे जवाहरात यहां तक की भगवान विष्णु की उत्पत्ति और ब्रह्मा जी की उत्पत्ति भी भगवान भोलेनाथ से मानी जाती है इस प्रकार ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव है

त्रिदेव संपूर्ण सृष्टि का संचालन पालन त्रिदेव किया जाता है और प्रलय के द्वारा सृष्टि का विनाश होता हैl

विनाश भोलेनाथ द्वारा किया जाता है

भगवान भोलेनाथ जैसा उदार व्यक्ति परिवार का मुखिया होना चाहिए जो सब कुछ समर्पित करके भी अपने लिए तपोवन का स्थान चुनेl

रोज संत श्री व्यक्ति की काम क्रोध मद लोभ मोह जैसे विकारों के विषय में प्रत्येक अपने विचार रखकर इस जीव को धर्म की ओर इस प्रकार ले जाकर भवसागर को पार किया जाएl

नागार्जुन ज्योतिर्लिंग के विषय में भी आज संत श्री ने प्रकाश डाला संत श्री ने कहा की दारूक, और दारु की नाम की रक्षस राक्षसी भगवान भोलेनाथ की तपस्या कर कर 16-16 कोश चारों ओर की जमीन पर मायावी वन का वरदान लेकर वहां रहने वाले संत महात्मा मुनि तपस्वी और हर प्रकार से लोगों पर अत्याचार अनाचार करने लगे भगवान भोलेनाथ की इन सब ने मिलकर कठोर तपस्या करें भगवान प्रसन्न हुए और उसे दारूक और दारू की राक्षसी का वध करके उसे पूरे वन्य क्षेत्र को मुक्त कियाl समुद्र के अंदर भी इन दोनों ने बहुत से निर्दोष जीवन की हत्या कीl

भगवान नागार्जुन के रूप में ज्योतिर्लिंग स्वरूप लिंग स्वरूप में स्थापित हो गया देवता ऋषि मुनि सभी ने पूजा अर्चना कीl

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