ईश्वर की कृपा होने पर मानव शरीर मिलता है और विशेष कृपा मिलने पर संत प्रवचन सत्संग मिलता है

ईश्वर की कृपा होने पर मानव शरीर मिलता है और विशेष कृपा मिलने पर संत प्रवचन सत्संग मिलता है


शामगढ़ में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत त्रैमासिक सत्संग प्रवचन में संत दिव्येश श्री राम जी राम महाराज का दिव्य सत्संग चल रहा है l
संत श्री ने आज त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के विषय में प्रवचन के दौरान विस्तार से भक्तजनों को बतायाlमहर्षि गौतम और उनकी पत्नी वन में रहते थे lअकाल पड़ गया कई वर्षों तक बारिश नहीं हुई चारों ओर हाहाकार मच गया जहां ऋषि रहते थे वहां पर भी हरियाली का एक भी पत्ता नहीं रहा सब सुख गएl
बिना पानी के जीवन संभव नहीं है यह जीवन की मूलभूत आवश्यकता है यदि यह नहीं मिले तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना मूर्खता है l
महर्षि गौतम का आश्रम और वहां के आसपास की सारी वनस्थली सुख गई उसवन क्षेत्र में निवास करने वाले ऋषि मुनि संत लोग भी अपने जीवन की आस छोड़ दीl
महर्षि गौतम ने कठोर तपस्या की वरुण देव की और उन्हें प्रसन्न किया वरुण देव ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा महर्षि गौतम ने कहा समूची पृथ्वी पर बारिश चाहिए वरुण देव विधाता द्वारा बनाई गई व्यवस्था को जानते हैं फिर भी वरुण देव ने कहा मैं तुम्हें वरदान देता हूं दो हाथ का गडा करोगे तो तुम्हें उसे गड्ढे से अक्षय पानी मिलता रहेगा कभी भी वहां पर पानी की कमी नहीं आएगीl महर्षि गौतम ने कहा ठीक हैl
महर्षि गौतम ने वहां गड्ढा किया और वहां पर वरुण देव स्वयं प्रकट हो गए महर्षि गौतम ने समूचे क्षेत्र में उस अक्षय गड्ढे से हरियाली कर दी वहां रहने वाले ऋषि मुनि जीव जंतु सभी सुखी प्रसन्न रहने लगेl
यहां पर ईर्ष्या वश वहां रहने वाले ऋषि मुनियों ने उनके अक्षय गड्ढे को देखकर जलन होती थी षड्यंत्र करके भगवान गणेश जी को प्रसन्न करके वरदान मांगा की यह गौतम ऋषि और इसकी पत्नी इस क्षेत्र में नहीं रहने चाहिए किंतु गणेश जी ने इस वरदान को देने से पहले उन सबको बहुत समझाया किंतु किसी के प्रति ईर्ष्या हो तो वह नहीं समझताl
गणेश जी ने वरदान दे दिया और अंतर ध्यान हो गए और सीधे गौतम ऋषि के आश्रम के पास एक दिन, हिन, दुबली कमजोर गाय का स्वरूप बनाया और वहां पर घास चरने लगी महर्षि गौतम ने उस गाय को देखकर घास का एक छोटा सा गट्ठर उठाकर गौ माता के स्पर्श किया तो वह माता वही मर गई l उस क्षेत्र में रहने वाले सभी पंडित जो भी वहां ऋषि मुनि थे इकट्ठे हो गए और महर्षि गौतम पर गो हत्या का दोष लगाकर उन्हें इस क्षेत्र से निष्कासित कर दियाl
महर्षि गौतम ने बार-बार अपनी बात करने की कोशिश की किंतु वहां न्याय करने वाले ईर्षा से भरे हुए थे निर्दोष होते हुए भी उन्हें सजा पश्चाताप के रूप में भुगतने के लिए कहा गया
महर्षि गौतम ने सभी शर्तें पूरी कर दी और भगवान को प्रसन्न करते हुए गोमती के तट पर भगवान त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वरूप में जहां पर महर्षि गौतम तपस्या करते थे सदा सदा के लिए मां गंगा प्रवाहित होती रहे गोदावरी गंगा का ही स्वरुप है और यहीं पर ज्योतिर्लिंग स्वरूप में देवाधिदेव महादेव निवास करते हैं दर्शन करने से शिव धाम की प्राप्ति होती हैl
दुर्जन व्यक्ति के विषय में आज संत श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि दुर्जन व्यक्ति जिंदा भी दुर्जन होता है और करने के बाद भी दुर्जन होता है
संत श्री ने कहा गांव में एक व्यक्ति जो हमेशा काम अच्छा हो या बुरा हो अपनी टांग फसाते हैं l उस व्यक्ति ने मरना सन अवस्था में अपने लड़कों से कहा जा गांव के सभी लोगों को बुलाकर ले आ जाओ मैं उनसे आखरी बार मिलना चाहता हूं लड़के गांव में गए सबको पिताजी का संदेश तथा उनका अंतिम समय चल रहा है यह कहा गांव वालों ने सोचा चलो मिलो उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी सब गांव वाले इकट्ठे हो गए उस मरते हुए व्यक्ति ने कहा मैंने जिंदगी भर तुमको बहुत परेशान किया मेरा अंतिम समय चल रहा है मैं चाहता हूं कि तुम सब मिलकर मेरे मरने के बाद मेरी छाती में एक किला लोहे का दो ढाई फीट का डाल देना ताकि में प्रायश्चित कर सकूं l
कुछ ही देर में वह व्यक्ति मर गया उसको दिए गए वचन के अनुसार गांव वालों ने उसकी छाती में कील ठोक दिया और उसको विधि विधान से मुक्तिधाम ले जा रहे थे रास्ते में पुलिस चौकी थी पुलिस वालों ने देखा इस मुर्दे को ले जा रहे हैं किंतु छाती के यहां कफन इतना ऊंचा क्यों पुलिस ने उनको रोक कफन को हटाया छाती में किला दिखा और कहा मार कर जलाने जा रहे हो और उस मरने वाले के लड़कों ने कहा दरोगा जी दरोगा जी आप सत्य कह रहे हैं इन सब लोगों ने मिलकर मेरे पिताजी को मारा हैl
दरोगा जी ने सब गांव वालों को ब्लॉकअप में डाल दिया इसका मतलब दुर्जन व्यक्ति हमेशा दुर्जन ही होता है सत्संग प्रवचन संत की बातों को शंका की दृष्टि से देखना दुर्जनों की श्रेणी में ही आता हैl
संत श्री ने प्रवचन में कहा की व्यक्ति जीव हमेशा दृष्टि भ्रमित हो जाता हैl
संत श्री ने और भी कई उदाहरण दृष्टांत सविस्तर से जीव के कल्याण के लिए शास्त्र संवत बात कही
संसार में कोई भी रिश्ता स्वयं के जीवन से अधिक नहीं होता है चाहे माता-पिता का हो पत्नी का हो पुत्री का हो पुत्र का हो उसकी जान पर बात आएगी तो रिश्ते कितने दूर हो जाते हैं आप और हम रोज देख रहे हैंl
सत्प्रेरणा चातुर्मास के अंतर्गत धर्म के साथ-साथ मानव संस्कारों मानव विकारों के विषय में प्रतिदिन हमको खरी-खरी सुना कर जागृत कर रहे हैं l
सैकड़ो की संख्या में प्रतिदिन पोरवाल नागरिक भवन में माताएं बहने भाई बुजुर्ग बच्चे जीवन को सुधारने की जो कोचिंग संत श्री ने मांगलिक भवन में लगा रखी है जहां पर दक्षिण के रूप में राम नाम के साथ-साथ जीवन की बुराइयां काम क्रोध मद लोभ मोह भी चाहिए जीव का ताकि जीवन के इस भवसागर में वापस दोबारा नहीं आना पड़ेl
संत श्री ने कहा ईश्वर की कृपा होने पर मानव शरीर मिलता है और विशेष कृपा मिलने पर संत प्रवचन सत्संग मिलता है यहां बैठे हुए सभी भक्त माताएं बहने यहां जो भी जीव उपस्थित है भगवान के यहां उसका नाम वेटिंग लिस्ट में है जहां पर कंफर्म होना निश्चित होता है मतलब आवागमन से मुक्त अपार ज्ञान संत श्री के प्रवचनों में हम सबको प्राप्त हो रहा है हमारा सौभाग्य है कि हमें 3 महीने तक जीवन सुधारने की कोशिश के साथ-साथ प्रभु की ओर आसक्ति और दुनिया से विरक्ति की ओर बड़े l