नदियों के उद्गम स्थल पर ही व्यापक चुनौतियाँ, केवल दिखावे के लिए पौधारोपण ना करें

मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के रूबरू कार्यक्रम में
इंदौर। नदियों का उद्गम स्थल दुर्गम स्थान पर होता है। नदी चट्टानों जंगलों में अपने उद्गम से लेकर धरती को सींचने और लोगों की प्यास बुझाने के अपने प्रवाह में तमाम चुनौतियों का मुकाबला करती है। अब सबसे बड़ी चुनौती नदियों के उद्गम स्थल पर ही है। वीरान होते जंगल नदियों के सूखने का सबसे बड़ा कारण है।
यह विचार मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के आयोजन ‘रूबरू’ में म.प्र. के पंचायत-ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नदियां पहले बारह मासी होती थीं। अब उजड़ते जंगलों के कारण उद्गम स्थल से उनका संघर्ष प्रारंभ हो जाता है इसलिए नदियों के संरक्षण के साथ जंगलों का संरक्षण भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हर स्तर पर जल, वन, जमीन का संरक्षण, एक सतत पर्यावरणीय विकास की नींव है।
श्री पटेल ने कहा कि हमारा फोकस एरिया नदियों को कम से कम प्रदूषित करने के साथ सकारात्मक वृक्षारोपण करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग के कर्मचारी पौधों को बड़ा करने में बहुत मेहनत करते हैं इसलिए केवल दिखावे के लिए वृक्षारोपण कर पौधों का जीवन नष्ट ना करें, वृक्षों के संरक्षण का संकल्प भी लेवें।
उन्होंने बताया कि पंचायत-ग्रामीण विकास मंत्रालय जिनके पास जमीन है उन्हें विभिन्न फल एवं छायादार वृक्षों को लगाने के लिए सहायता तथा मार्गदर्शन देता है। तीन वर्ष आयु के लगाये पौधे आगामी 3-4 वर्ष में वृक्ष बनकर फल भी देने लगते हैं।
श्री पटेल ने बताया कि नदियों से उनका सरोकार बचपन से रहा है। सार्वजनिक जीवन में आने के बाद भी वे नदियों के सानिध्य में रहते हैं। उन्होंने बताया कि गंगा संवर्धन अभियान में मध्य प्रदेश की नब्बे से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों पर गए हैं। यह यात्रा निरंतर जारी है। श्री पटेल ने बताया कि हमारे आदिवासी भाई आज भी साल में कम से कम तीन बार नदी के उद्गम स्थल पर जाकर पूजन करके अपनी प्राचीन परंपराओं से जुड़े हुए हैं।
प्रारंभ में श्री पटेल का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, पंकज क्षीरसागर, रवि चावला, आकाश चौकसे एवं गणेश चौधरी ने किया। रचना जौहरी, मीना राणा शाह एवं सोनाली यादव ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।