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कलाव्योम फाउंडेशन के कार्यक्रम में पद्मश्री कालूराम बामनिया की शानदार प्रस्तुति

कलाव्योम फाउंडेशन के कार्यक्रम में पद्मश्री कालूराम बामनिया की शानदार प्रस्तुति

सीतामऊ । कला, संस्कृति और लोक परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित कलाव्योम फाउंडेशन द्वारा ग्राम सेदरा माता में एक भव्य कबीर लोक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध था, बल्कि आध्यात्मिक चेतना और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम भी बन गया। इस विशेष अवसर पर पद्मश्री सम्मानित अंतरराष्ट्रीय लोकगायक कालूराम बामनिया ने कबीर की वाणी को अपनी विलक्षण शैली में प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी सादगीपूर्ण प्रभावशाली गायन शैली, निर्गुण भाव से ओतप्रोत दोहे और भजन, श्रोताओं के हृदय में गहरे उतरते चले गए। “मन लागो यार फकीरी में”, “जा मरने से जग डरे, मेरे मन आनंद” जैसे अमर भजनों ने उपस्थित जनसमूह को एक अनोखे आध्यात्मिक भाव से भर दिया। गांव के शांत वातावरण में कबीर की गूंज ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे सदीयों पुरानी परंपरा आज भी जीवंत हो। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी ओम सिंह भाटी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “कबीर जैसे संत कवियों की वाणी आज के समाज में नई दिशा देने में समर्थ है। इस प्रकार के आयोजन सामाजिक समरसता, आंतरिक शांति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के सशक्त माध्यम हैं।” उन्होंने कलाव्योम फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे जन-जन को जोड़ने वाला कार्य बताया। कलाव्योम फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीमाल ने बताया कि फाउंडेशन का उद्देश्य केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि गांव-गांव तक जाकर भारतीय लोक परंपरा और आध्यात्मिक सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा, “यह आयोजन ग्रामीण अंचलों में सांस्कृतिक चेतना फैलाने की दिशा में एक विनम्र किंतु प्रभावी पहल है। कबीर जैसे संतों की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उनके समय में थी।” कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, युवाओं, ग्रामीण प्रतिभाओं, विद्यार्थियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता रही। बच्चों और युवाओं ने विशेष उत्साह के साथ कबीर भजनों को सुना और कई लोगों ने इसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने वाला अनुभव बताया। कार्यक्रम के अंत में सभी श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों की गूंज से कलाकारों को सम्मानित किया। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि संस्कृति को सही मंच मिले तो वह समाज के हर स्तर पर चेतना जागृत कर सकती है। सेदरा माता गांव में सम्पन्न यह कबीर लोक गायन कार्यक्रम एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक यात्रा बन गया जहां लोक, आध्यात्म और सामाजिक सरोकार एक साथ गूंजते रहे।

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