धर्म जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे , उमड़ रहा प्रतिदिन भक्त जनों का सैलाब

धर्म जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे , उमड़ रहा प्रतिदिन भक्त जनों का सैलाब
शामगढ़- पोरवाल मांगलिक भवन में चातुर्मास के अंतर्गत त्रैमासिक सत्संग प्रवचन में संत श्री ने सावन के इस पावन महीने में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पांच ज्योतिर्लिंगों का वर्णन विगत दिनों सत्संग के दौरान आपने और हमने सुनाl
भगवान भोलेनाथ के विषय में हम सब ने देखा की सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवों के देव महादेव है l
आज हम चर्चा करेंगे हमारा छठा ज्योतिर्लिंग स्वरूप भीमाशंकर जी के विषय में चर्चा करेंगे संतो द्वारा शास्त्र द्वारा इस विषय पर बहुत चर्चा होती हैl
परमात्मा को जीव तब याद करता है जब वह मुसीबत में दुनिया के सभी रिश्ते नाते वाले हाथ खड़े कर देते हैं l
जीव हताश निराश होकर सिर्फ परमात्मा को याद करता है परमात्मा भी सच्चे मन से कोई याद करता है चाहे कैसी भी मुसीबत हो परमात्मा जीव का साथ नहीं छोड़ते हैं
कल के प्रसंग में संत श्री ने बहुत अच्छा दृष्टांत जीव और शिव के विषय में दिया थाl
एक व्यक्ति भगवान का भक्त था हमेशा ईश्वर का नाम स्मरण करता था परमात्मा प्रसन्न हो गए और बोले तुझे क्या चाहिए भक्तl
उसने कहा मुझे एक वर चाहिए भगवान ने कहा बोल आप हमेशा मेरे साथ रहे और मुझे दिखना चाहिए कि आप मेरे साथ हो भगवान ने कहा तथास्तु तो उसे जीव ने कहा की आप हमेशा मेरे साथ रहे दो पैरों के निशान मेरे दो पैरों के निशान आपके होना चाहिए ईश्वर ने कहा ठीक है
कई बार उसभक्त ने उस जीव ने ईश्वर की परीक्षा ली बार-बार पीछे देखता उसेबराबर दो पैरों के निशान नजर आतेl
उसके भाग्य ने पलटा खाया उसकी धन संपत्ति जमीन मकान सब बिक गए वह व्यक्ति रोड पर आ गया
इस मुसीबत के समय उसका सब ने साथ छोड़ दिया और परमात्मा के जो दो पैरों के निशाने से नजर आते थे नजर नहीं आने लगे उसने सोचा संसार ने तो साथ छोड़ा पर भगवान तूने भी मुसीबत में मेरा साथ छोड़ दियाl
धीरे-धीरे जो उसने खोया था सभी प्राप्त कर लिया और फिर वह मंदिर गया और परमात्मा से बोला देख भगवान आज मैंने वह सब कुछ प्राप्त कर लिया जो खोया था किंतु मुसीबत में आपने भी मेरा साथ छोड़ दिया नाना प्रकार की बातें भगवान को खरी खोटी सुनता रहा सुनता रहा सुनता रहा परमात्मा को प्रकट होना पड़ा और उसके मन की शंका को दूर करने के लिए भगवान ने कहा जब तू समर्थ था तो मैं तेरे पीछे-पीछे चल रहा था जब तूअ समर्थ हो गया जब तेरा सब कुछ छीन गया तो इधर से उधर उधर से इधर भटकता रहता और बार-बार मुझे भला बुरा कहता पर सुन मुसीबत में मैंने तुझे उठा रखा था और जो तू दो पैरों के निशान अपने समझ रहा था वह मेरे थे और तू मेरे बाहों में था
भगवान की यह बात सुनकर बहुत रोया वह भक्त और बार-बार क्षमा याचना करने लगाl
परमात्मा तो सदा ही जीव के साथ है उसकी आत्मा में हैl उसके सुख में है दुख में है गरीबी में है अमीरी में है परमात्मा का साथ जीव अनुभव नहीं करता क्योंकि सांसारिक रिश्ते नाते मोह माया के इतने आवरण होते हैं कि व्यक्ति उसी में उलझा रहता हैl
परमात्मा सबके हृदय में है जैसे कोई जली हुई लकड़ी के ऊपर परत जम जाती है इस प्रकार सांसारिक परते हैं व्यक्ति को ईश्वर के दर्शन नहीं होने देती जिन जिन लोगों ने सांसारिक आवरण को हटा दिया वह भवसागर के पार हो गएl
आज संत श्री ने बड़े कठोर शब्दों में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार सनातन काल से आज तक हिंदू, हिंदू की संस्कृति, और हमारे ऊपर जो भी आक्रमणकारी आए उन लोगों ने धन से ज्यादा हमारी संस्कृति को हमारे ग्रंथो को हमारे शोधों को नष्ट किया मंदिर नष्ट किया पता नहीं कैसे-कैसे अत्याचार हिंदुओं के साथ हो रहे हैं l
अंग्रेजों ने हमारे गुरुकुल शिक्षा संस्थान आश्रम जहां पर वैदिक शिक्षा दी जाती थी उसके स्थान पर लॉर्ड मैकाले ने इसी शिक्षा पद्धति भारत में लागू की की हमारे सारे शिक्षा के संस्थान मृत प्राय हो गए l
आजादी के बाद भी हम लोग बाहरी आजादी प्राप्त कर सके आंतरिक आजादी का मतलब हमारी संस्कृति हमारे धर्म हमारी साधना पद्धति पूजा पद्धति पर ही प्रतिबंध हिंदुओं के देश में हिंदुओं के ऊपर लागू हो रहा हैl
देश में जितने भी धर्म है सबको अपने धर्म को अपने धर्म के अनुसार पूजा पद्धति से कर सकता है सिखमुसलमान हो इसी हो फारसी हो और भी कोई हो तो सबको अपने धार्मिक ग्रंथो के अनुसार पूजा पद्धति का अधिकार है किंतु हिंदुओं को नहीं आजादी के बाद शिक्षा मंत्री जो बने उन्होंने तो हमारे महापुरुषों के संतो के ऋषियों के महर्षियों के स्थान पर अकबर बाबर हुमायूं औरंगज़ेब का इतिहास हमारे बच्चों को सिखाया गया राणा प्रताप शिवाजी कबीर दास सूरदास तुलसीदास का जीवन चरित्र शिक्षा की किताबों से गायब हो गया या जानबूझकर इन्हें गुमनाम करके उन्हें चर्चित भारत के हितेषी महिमामंडित किया गयाl
इस प्रकार से हिंदुओं के लिए आजादी का कोई मतलब नहीं हैl
संत श्री ने भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के विषय में बताया कि भीम नाम का राक्षस आप आप इस राक्षस का नाम सुनकर यह अंदाज मत लगाना की महाभारत वाला है भीम हैl
यह भीम कुंभकरण का लड़का था इसकी मां का नाम करकटी था
मां बेटे दोनों अकेले वर्तमान में जो असम है उस क्षेत्र में रहते थेl
एक दिन भीम ने अपनी मां से अपने परिवार पिता के विषय में पूछा तो मां ने उसे सारी कहानी बताई है पिता को राम द्वारा मार दियागया और भी जो घटनाएं हुई उसे बताएं भीम ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वर प्राप्त करके ऋषि मुनि संत आश्रम इनको नष्ट करने लगा धीरे-धीरे वह राक्षस राज बन गया l
परेशान सभी भक्त संत ऋषि मुनि भगवान भोलेनाथ के पास पहुंचे भगवान भोलेनाथ ने उनकी प्रार्थना सुनी और उनको राक्षस से मुक्ति का वरदान दे दिया जहां पर यह सब घटनाक्रम चल रहा था उसे देश का राजा बहुत बड़ा शिव भक्त था राक्षस राजा की जनता को की परेशान करता किंतु राजा हमेशा भगवान पर भरोसा करके अपनी भक्ति पर भरोसा करके कुछ नहीं कहता l
एक दिन राक्षस को पता लगा कि यहां का राजा बहुत बड़ा शिव भक्त है उसने उसके राज्य में आकर जहां वह भगवान की भक्ति कर रहा था शिवलिंग के सामने बैठा था वह राक्षस आया और उसने तलवार से वार करने की कोशिश की तो तुरंत भगवान प्रकट हो गए और हुंकार भरकर उसे राक्षस को वही भस्म कर दिया और भगवान भोलेनाथ ऋषि मुनियों को दिए गए वचनों के कारण यहां ज्योतिर्लिंग स्वरूप में जिनको हम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से पुकारते हैं इनके दर्शन पूजन करने मात्र से व्यक्ति भवसागर पार हो जाता है l
बोलिए भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की जय
संत श्री ने धर्म के ऊपर बहुत अच्छा दृष्टांत दियाl
एक सेठ जी थे धन संपत्ति मान सम्मान कीर्ति यश चारों तरफ फैली हुई थी किंतु सेठ जी भगवान के बहुत बड़े भक्त थे सब काम वक्त परमात्मा का समय पर करतेl
एक दिन रात को उनके घर से बहुत ही खूबसूरत व्यक्ति निकलते हुए सेठ जी ने देखा सेठ जी ने उस व्यक्ति से पूछा तुम कौन हो उस व्यक्ति ने कहा मैं भाग्य हूं तुम्हारे दिन खराब आने वाले हैं इसलिए मैं जा रहा हूंl
कुछ समय बाद एक सुंदर महिला घर से बाहर जाते हुए देखी सेठ जी ने पूछा आप कौन हैं उस मैं महिला ने कहा मैं लक्ष्मी हूं तुम्हारे घर से जा रही हूं सेठ जी ने हाथ जोड़ कोई बात नहीं धीरे-धीरे यश कीर्तिमान सम्मान सब कुछ चला गया धन संपत्ति सब कुछ बिक गई सब धीरे-धीरे करके सेठ जी के घर से विदा हो गए आखिर में धर्म भी सेठ जी के घर से जाने लगा सेठ जी ने कहा सब कुछ चला गया कोई बात नहीं जीवन से धर्म कभी नहीं जाना चाहिए धर्म बचा रहा तो हम सब कुछ कर लेंगे जब धर्म ही नहीं बचा तो फिर हम मुर्दे के समान सिर्फ खाने पीने और जीने के लिए इस धरती पर बोझ की तरह होl
धर्म के सामने सेठ जी ने बहुत विनती की धर्म ने कहा ठीक है मैं आपके घर से नहीं जाऊंगा सेठ जी का धर्म बचा रहा धीरे-धीरे एक-एक करके घर से गए हुए सभी वापस आ गए तो व्यक्ति को हमेशा धर्म बचाना चाहिए धन संपत्ति तो आती जाती रहती है धर्म चला गया तो फिर सब कुछ चला गयाl
आप धर्म की रक्षा करेंगे निश्चित धर्म आपकी रक्षा करेगा इसमें कोई संशय नहीं है इसलिए धर्म के लिए हमेशा संतो के लिए मंदिरों के लिए गुरुकुल के लिए हमारी सनातन संस्कृति के विकास के लिए हमें हमेशा सकारात्मक रुख रखना चाहिएl
और भी कई बातें संत श्री ने बताई है इसके विषय में हम कल चर्चा करेंगे l