प्रार्थना में दिखावा और आडंबर नहीं होना चाहिए, प्रार्थना अंतरात्मा से की जाए तो आत्म शक्ति प्राप्त होती है- पंडित श्री नागर

व्रत का मतलब भूखे रहने से नहीं है। व्रत दृढ़ संकल्प पूर्वक मन वचन कर्म से आगे बढ़ना – पंडित डॉ नागर



आपने कहा कि हम व्रत उपवास करते हैं व्रत का मतलब भूखे रहने से नहीं है। व्रत दृढ़ संकल्प पूर्वक मन वचन कर्म से अपने प्रियतम की दिशा में आगे बढ़ना ही सर्वोत्तम व्रत है। श्रावण मास शिव भक्ति का मास है। इस माह में शिव पुराण का श्रवण करना कई गुना फल देता है।
पंडित श्री नागर ने कहा कि जीवन में गुरु अवश्य होना चाहिए। गुरु के बिना गुना का संचार नहीं होता अपने गुरु को दक्षिणा में भौतिक वस्तुओं की बजाय अपनी एक बुराई गुरु चरणों में समर्पित करना चाहिए। अगर आप में श्रद्धा और विश्वास आ गया तो फिर ईश्वर दूर नहीं ईश्वर कहते हैं। जो मेरी शरण में आता है। मैं उसकी प्राणों की समान रक्षा करता हूं। कथा के दौरान पंडित श्री नागर ने मार्कडेय ऋषि की कथा का वृतांत श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि मार्कडेय ऋषि में अटूट विश्वास के कारण। यमराज को भी लौटना पड़ा था। जीव और ब्रह्म के बीच माया का पर्दा पडा हुआ है। माया का पर्दा हटने पर ही जीव को ब्रह्म के दर्शन होंगे शिव एक ही देवता है । जीनकी तीसरी आंख है। और शिव कथा जो दृढ़ विश्वास के साथ श्रवण करेंगे तो आपकी भी तीसरी आंख खुल जाएगी। और उसके बाद आप जो चाहोगे वह मिल जाएगा। कथा के दौरान उन्होंने भक्तजनों को बल्व पत्र, रुद्राक्ष के महत्व को विस्तार से समझाया। चौथे दिन की कथा में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में और पहुंच कर भक्त जनों ने कथा श्रवण का लाभ लिया।
प्रातः कालीन बेला में रुद्राभिषेक आयोजन में विधायक हरदीप सिंह डग अपनी धर्मपत्नी के साथ तथा जिला पंचायत अध्यक्ष दुर्गा पाटीदार और डॉक्टर विजय पाटीदार आदि के द्वारा रुद्राभिषेक किया गया।