बच्चा जन्म लेता है, तब उसकी पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां जागृत होती हैं: पं. नागर

बच्चा जन्म लेता है, तब उसकी पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां जागृत होती हैं: पं. नागर

पं. नागर ने कहा कि संत की वाणी और बरसात का पानी, इन दोनों की कदर जिसने की, उसका जीवन सफल हो जाता है। ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति केवल योग्य पात्र को होती है। शुकदेव जी ने परीक्षित जैसे पात्र को चुना, तो सात दिन में उसकी मुक्ति हो गई। उन्होंने कहा कि कथा सुनना एक बात है लेकिन उसे जीवन में उतारना सबसे उत्तम है। जिसने शिव कथा को जीवन में उतार लिया। उसकी 11वीं इंद्री जागृत हो जाती है। शब्द की चोट जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती है। द्रौपदी के एक शब्द ने महाभारत करा दिया। इसलिए शब्द बोलने से पहले उसे हृदय में तोलना चाहिए। शब्द ही मित्र और शत्रु बनाते हैं। पं. नागर ने कहा कि विश्वास दो प्रकार का होता है। एक दृढ़ विश्वास और दूसरा अंधविश्वास, ईश्वर के प्रति दृढ़ दृढ़ विश्वास होना चाहिए, अंधविश्वास नहीं। मनुष्य को पर निंदा और आत्मप्रशंसा से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में सच्चे गुरु की पहचान करना कठिन हो गया है। संत के वेश में कई कालनेमि घूम रहे हैं। हैं। शिक्षा देने वाले का चरित्र भी असर डालता है। कर्म को धर्म से जोड़कर किया जाए तो उसका फल अच्छा होता है। शिव महापुराण कथा 11 जुलाई से 17 जुलाई तक दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक हो हो रही रही है। है। सुबह 8 8 बजे से 11 बजे तक महा रुद्राभिषेक चल रहा है।