आध्यात्ममंदसौर जिलासीतामऊ

बच्चा जन्म लेता है, तब उसकी पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां जागृत होती हैं: पं. नागर

बच्चा जन्म लेता है, तब उसकी पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां जागृत होती हैं: पं. नागर

 सीतामऊ।रामेश्वर महादेव मंदिर में चल रही शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन शिवभक्तों को संबोधित करते हुए पं. मिथिलेश नागर ने कहा कि जब बच्चा जन्म लेता है, तब उसकी पांच कर्मेद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां जागृत होती हैं। 11वीं इंद्री सुप्त रहती है। जब गुरु के शब्द कानों पर पड़ते हैं, तब यह इंद्री जागृत होती है। उन्होंने कहा कि आज से 30-35 साल पहले न तो धार्मिक चैनल थे, न ही इतनी कथाएं होती थीं। अब दिनभर आस्था और संस्कार चैनल पर कथा चलती है। गांव-गांव में कथा हो रही है। इसके बाद भी पाप और दुराचार क्यों बढ़ रहे हैं। इसका कारण है कि हम कथा तो सुन रहे हैं पर उसे जीवन में नहीं उतार रहे। यही इसका दुष्परिणाम है।

पं. नागर ने कहा कि संत की वाणी और बरसात का पानी, इन दोनों की कदर जिसने की, उसका जीवन सफल हो जाता है। ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति केवल योग्य पात्र को होती है। शुकदेव जी ने परीक्षित जैसे पात्र को चुना, तो सात दिन में उसकी मुक्ति हो गई। उन्होंने कहा कि कथा सुनना एक बात है लेकिन उसे जीवन में उतारना सबसे उत्तम है। जिसने शिव कथा को जीवन में उतार लिया। उसकी 11वीं इंद्री जागृत हो जाती है। शब्द की चोट जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती है। द्रौपदी के एक शब्द ने महाभारत करा दिया। इसलिए शब्द बोलने से पहले उसे हृदय में तोलना चाहिए। शब्द ही मित्र और शत्रु बनाते हैं। पं. नागर ने कहा कि विश्वास दो प्रकार का होता है। एक दृढ़ विश्वास और दूसरा अंधविश्वास, ईश्वर के प्रति दृढ़ दृढ़ विश्वास होना चाहिए, अंधविश्वास नहीं। मनुष्य को पर निंदा और आत्मप्रशंसा से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में सच्चे गुरु की पहचान करना कठिन हो गया है। संत के वेश में कई कालनेमि घूम रहे हैं। हैं। शिक्षा देने वाले का चरित्र भी असर डालता है। कर्म को धर्म से जोड़कर किया जाए तो उसका फल अच्छा होता है। शिव महापुराण कथा 11 जुलाई से 17 जुलाई तक दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक हो हो रही रही है। है। सुबह 8 8 बजे से 11 बजे तक महा रुद्राभिषेक चल रहा है।

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