नगर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर भव्य आयोजन, कही गुरु पूजन, सम्मान तो कहीं हवन, पूजा अर्चना होगी

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नगर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर भव्य आयोजन, कही गुरु पूजन, सम्मान तो कहीं हवन, पूजा अर्चना होगी
सीतामऊ। धर्म की नगरी छोटे काशी में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर भव्य आयोजन किए जा रहे हैं कहीं गुरु पूजन गुरु सम्मान समारोह तो कहीं हवन पूजा अर्चना कर गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा।
आज 10 जुलाई को गुरुवार गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर नगर में कई जगह गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। जिसमें भक्त जनों द्वारा हनुमान जी मंदिरों पर हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमानजी का दर्शन आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
वही गायत्री परिवार द्वारा श्री हांडियां बाग लघु तीर्थ स्थल पर गायत्री प्रज्ञा पीठ में सुबह 08 बजे वेदमाता गायत्री कि हवन पूजा अर्चना तथा गुरुदेव का ध्यान दिव्य दर्शन आशीर्वाद का आयोजन किया जाएगा तत्पश्चात सुबह 09 बजे समाज में निरंतर ज्ञान कि ज्योत जगाने वाले आचार्य शिक्षक गुरुवरों का सम्मान समारोह आयोजित कर सम्मान किया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव की इसी कड़ी में केसरिया हिंदू वाहिनी सनातन कल्याण समिति के तत्वाधान में श्री चारभुजा नाथ मंदिर रतन कुंड पर पूज्य गुरुदेव साकेतवासी महंत रामधनी दास जी के आशीष में प्रातः 7 बजे हवन पूजन 8 बजे गुरु पूजन एवं संगीत में सुंदरकांड 11 बजे पूर्णाहुति एवं भगवान चारभुजा नाथ व गुरुदेव कि महाआरती तत्पश्चात 11 से भोजन महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव की सी कड़ी में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन नगर परिषद सभागार में शाम 7 बजे से भगवा ध्वज पूजन समर्पण बोद्धिक एवं प्रार्थना कर कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा उत्सव के महत्व को लेकर महंत जितेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में अपने माता-पिता और शिक्षा दीक्षा प्रदान करने वाले गुरु पुज्यनीय होते हैं। जिन्हें जीवन में कभी नहीं भूलना चाहिए। महंत जी ने कहा कि जिस परिवार में धर्म आध्यात्मिक और संस्कार है वे परिवार आनंद की जीवन जीते हैं और जहां ज्ञान विवेक और संस्कार की कमी है वहां दुखों का डेरा लगा रहता है। महंतजी ने गुरु की महिमा बताते हुए कहा कि जिस प्रकार से शरीर एक बस है और उसमें आत्मा चलायमान इंजन है और उनको रास्ते पर चलने के लिए ज्ञान विवेक को जागृत बनाने के लिए ड्राइवर के रुप में गुरु होता है।वह गुरु ही बस वहां को सही मार्ग दिशा की ओर ले जाने का कार्य कर सकता है। बिना ज्ञान विवेक के जिस प्रकार से बिना ड्राइवर के बस वाहन कहीं पर भी जा सकता है वैसा ही मनुष्य विवेक ज्ञान कि कमी पर जीवन में भटकाव की ओर बढ़ता जाता है। और दुख कष्ट बाधाओं के साथ जीवन जीता है। इसलिए मनुष्य को समय- समय पर अपने-अपने गुरुदेव इष्ट के दर्शन ज्ञान योग आध्यात्म प्राप्ति के लिए निरंतर जाना चाहिए।
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