यादें हुसैन बनाया गया, मातमी धुन पर निकला ताजियों का कारवां

यादें हुसैन बनाया गया, मातमी धुन पर निकला ताजियों का कारवां
सीतामऊ। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाने वाले मोहर्रम के ताजियों का चल समारोह हर साल की तरह इस साल भी परंपरागत रूप से मनाया गया।
उल्लेखनीय है कि हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे थे जिन्हें 1400 वर्ष पूर्व आज ही के दिन कुर्र और जालिम शासक यजीद की फोज के 30000 सैनिकों द्वारा 72 निहत्थे लोगों को शहीद कर दिया गया था शहादत की याद में यह पर्व हर साल मनाया जाता है।
ताजियों के चल समारोह की शुरुआत पानपुरिया मोहल्ले से दो ताजियों के साथ हुई, जैसे-जैसे चल समारोह आगे बढ़ता रहा और भी ताजिए चल समारोह में शामिल हुए और आठ ताजियों का एक कारवां बन गया।
सभी आठ ताजिए क्रमानुसार काजीवाड़ा, लखारा, पानपुरिया, मंसूरी, कागदीपुरा, शाह, सैयद, कुरैशी आदि पंचायत के चल रहे थे।
चल समारोह में सांवरिया बैंड धतुरिया, मास्टर बेंड मनासा, नवरंग बैंड बड़वन ने इमाम हुसैन की शान में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर उपस्थित जन समुदाय को मंत्र मुग्ध कर दिया। प्रत्येक ताजीये के साथ युवा वर्ग जोश के साथ ढोल बजाते हुए रहा था।
चल समारोह में नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र के मुस्लिम धर्मावलंबियों, महिला पुरुष और बच्चों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर अपनी आस्था का परिचय दिया नगर के एकांकी मार्ग पर मेले सा नजारा दिखाई दिया।
इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द के नजारे भी दिखाई दिए नगर के हिंदू मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने ताजिया के नीचे से निकल कर फुल,अगरबत्ती, लोबान, इत्र पेश कर मन्नत मांगी, मान्यता के अनुसार नवजात शिशुओं को ताजीये के नीचे से निकालने पर हर बला ,बीमारी से हिफाजत होती है।
चल समारोह के दौरान पुलिस एवं प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रही, एसडीएम शिवानी गर्ग, एसडीओपी दिनेश प्रजापति, तहसीलदार मोहित सीनम, थाना प्रभारी मोहन मालवीय सहित प्रशासनिक अधिकारी जुलूस मार्ग पर भ्रमण कर व्यवस्थाएं देखते रहे।
खबर लिखे जाने तक आठ ताजियों का कारवां अपने अंतिम पड़ाव भगोर गेट की तरफ बढ़ रहा था यहां से ताजियों को ठंडा करने के लिए कर्बला ले जाया जाएगा।