मंदसौरमंदसौर जिला

अभिषेक शुल्क 500 रू. के बजाय 100 रू. किये जाना उचित- टांक

भगवान पशुपतिनाथ मनोकामना अभिषेक की वर्षों पुरानी साख को निरंतर बनाये रखने के लिये सर्वप्रथम समस्त समाज प्रमुखों की बैठक और अभिषेक शुल्क 500 रू. के बजाय 100 रू. किये जाना उचित- टांक

मन्दसौर। भगवान पशुपतिनाथ की महिला को राष्ट्रव्यापी पहचान के लिये वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रबंध समिति के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर श्री जी.के. सारस्वतजी ने पशुपतिनाथ मंदिर परिसर को नवीन भव्य रूप देने की कल्पना को साकार रूप देने के उद्देश्य से मनोकामना अभिषेक प्रारंभ किया था प्रारंभ में आर्थिक दृष्टि से अभिषेक में प्रयोग की गई सामग्री आदि के लिये दान की राशि का प्रावधान किया गया था।
कलेक्टर श्री सारस्वत के स्थानांतरण के बाद 2011 तक प्रबंध समिति स्वयं अभिषेक कराती रही। 2011 के बाद मनोकामना अभिषेक का दायित्व स्थानीय गायत्री परिवार ने लेकर लगातार 2012 से 2018 तक निःशुल्क अभिषेक को जारी रखा और देखते-देखते 350 जोड़ों की क्षमता वाला सभागार (वर्तमान आराधना सभागार) अभिषेकार्थियों से जहां पूरा भर जाता था वहीं प्रति सोमवार सभागार के अतिरिक्त सभागार के नीचे दोनों परिसर भी पूरे भर जाते थे और तब एक नहीं तीन-तीन पारियों में अभिषेक होता था। अभिषेक में नगर ही नहीं आसपास क्षेत्रवासियों से ही नहीं म.प्र. और भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रांतों के दर्शनार्थी अभिषेक में सम्मिलित होते थे। वर्ष 2011 में तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान सपत्नीक पूरे समय मनोकामना अभिषेक में बैठे थे बाद में एक बार और अभिषेक प्रारंभ से पूर्व मनोकामना अभिषेक मंच पर स्थानीय भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिमा की पूजा की थी।
गायत्री परिवार के बाद मनोकामना अभिषेक प्रबंध समिति ने अपने हाथों में लेकर अभिषेक पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला बटुकों को सौंपा गया।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रविन्द्र पाण्डेय ने अपने मन की पीड़ा बताते हुए कहा कि सम्पूर्ण श्रावण का हजारों अभिषेकार्थियों को समूह में एक साथ अभिषेकार्थियों का जो गरिमामय इतिहास रहा है वह धीरे-धीरे प्रबंध समिति की उदासीनता से सामाजिक संगठनांे की बैठक कर उनको सहभागिता बनाकर उत्तरदायित्व नहीं सौंपते हुए और अभिषेक राशी मंे काफी वृद्धि करने से विगत 2 वर्षों से जब से प्रबंध समिति ने एकदम राशि 500 रू. कर दी है। उससे संख्या कम होकर गत वर्ष किसी दिन एक भी अभिषेकार्थी के नहीं बैठने से अभिषेक कराने वाले पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला के बटूकों को और प्रबंध समिति कार्यालयीन कर्मचारियों नेे अभिषेक का क्रम परम्परा नहीं टूटे, मजबूरी में अभिषेक में बैठना पड़ा।
नगर में आम चर्चा है कि जब प्रतिमाह पशुपतिनाथ मंदिर दान पेटी से लाखों रूपये संग्रहित हो रहे है तो फिर सामग्री के लिये 500 रू. की रसीद काटने का क्या औचित्य है। राशि केवल 100 रू. होना चाहिये।
प्रारंभ से लेकर गत वर्ष तक पूरे श्रावण मास प्रतिदिन अभिषेक में निस्वार्थ सहयोगी के रूप में सेवा देने वाले योग गुरू बंशीलाल टांक का कहना है कि श्रावण मास प्रारंभ होने से 2-3 सप्ताह पूर्व प्रबंध समिति द्वारा नगर के समस्त समाज के प्रमुखों की बैठक आयोजित की जाकर उनके सुझाव लिये जाकर और प्रतिदिन क्रमवार समाजजनों के अभिषेक करने से उपस्थिति बरकरार रहती थी परन्तु समाज प्रमुखों की बैठक आहूत नहीं करने से और राशि एकदम 500 रू. करने से अभिषेक अभिषेकार्थियों से नगण्य होता जा रहा है।
गत माह प्रबंध समिति अध्यक्ष कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग की अध्यक्षता में हुई बैठक में श्रावण मास पशुपतिनाथ कार्यक्रमों में मनोकामना अभिषेक को सम्मिलित करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने परन्तु समाज प्रमुखों की बैठक में नहीं बुलाने पर टांक ने जब इस संबंध में प्रबंधक श्री राहुल रूनवाल से चर्चा की तो उन्होंने गत माह के अंतिम सप्ताह में सभी समाज प्रमुखों की बैठक की कहा था परन्तु गत माह समाप्त हो गया। इस माह जुलाई का प्रथम सप्ताह भी आधा हो गया। श्रावण मास जो कि 11 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है जिसमें मात्र 8 दिन शेष रहे हैं परन्तु फिर भी अभी भी समय है प्रबंध समिति अध्यक्ष कलेक्टर श्रीमती गर्ग को तत्काल समाज प्रमुखों की बैठक आहूत करना चाहिये, जिससे मनोकामना अभिषेक का 15 वर्षों पुराना जो ऐतिहासिक गरिमापूर्ण गौरव गरिमा है वह खण्डित होकर टूटने नहीं पाये और अभिषेक की राशि 500 के स्थान पर 100 रू. करने पर कोई भी साधारण आम दर्शनार्थी भी लाभ ले सकेगा।

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