भक्ति/ आस्थामंदसौर जिलासीतामऊ

हांडिया बाग लघु तीर्थ में शनिवार को दर्शनार्थीयों का लगी भीड़

ऋषि कि तपस्थली,न्याय के देवता शनि देव और हनुमान जी के विराजमान होने से हो रही भक्तों कि मनोकामना पूरी 

सीतामऊ। धर्म कि नगरी छोटी काशी प्राचीन समय से शिक्षा के साथ साथ पूजा पाठ धर्म आस्था कि नगरी रहीं हैं। यही कारण है कि लगभग 125 से अधिक वर्षों पूर्व यहां के तत्कालीन महाराजा द्वारा श्रीराम विद्यालय प्रारंभ कर शिक्षा को बढ़ावा दिया वहीं नगर में पांच अति प्राचीन मंदिरों के साथ बड़ी संख्या में मंदिर तथा संत महात्माओं कि तपस्थली है। उनमें ही एक तपस्थली श्री हांडिया बाग है जहां पर वर्षो पूर्व हांडिया नामक संत महात्मा तप करते थे।इसी स्थान पर रियासत के महाराजा भी भगवान शिव कि भक्ति करने आते थे।आज यही तपस्थली श्री हांडिया बाग लघु तीर्थ स्थल के रुप में स्थापित हो गया है।

यहां पर वेदमाता गायत्री अन्नपूर्णा माता, अंबे माता विराजमान हैं तो दुसरे स्थान पर हनुमान जी महाराज और तीसरे स्थान पर बाबा भोलेनाथ विराजमान हैं। यहां पर गौ माता का रमणीय स्थल गौ शाला भी अपनी सुंदरता और सेवा के लिए पहचान रखतीं हैं।इसी परिसर में हनुमान जी के ठीक सामने न्याय के देवता शनि देव और अपने परिवार नौ ग्रहों के साथ विराजमान हैं। यहां साई बाबा भी विराजमान हैं। ऐसे में हनुमान जी महाराज के सामने न्याय के देवता शनि देव के विराजमान होने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं। यही कारण है कि प्रति शनिवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

शनि देव के भक्त लालसिंह राठौर दिनेश कुमावत राकेश सेन संजय चौहान, श्रीमती कृष्णा बाई, पूजा आदि ने बताया कि यहां आने से आत्म शक्ति मिलती है। वही सच्ची निष्ठा से दर्शन पुजन करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। हनुमान जी और शनि देव कि कृपा से बिगड़े काम बन जाते हैं।

शनि देव पुजारी पंडित जगदीश चन्द्र जोशी राणा ने बताया कि शनिवार के दिन शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सरसों का तेल शनिदेव को अर्पित करें। आप दीपक में काले तिल भी डाल सकते हैं। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है।

ज्योतिष में सभी नौ ग्रह अलग अलग राशि में भ्रमण करते हैं। ऐसे ही शनि देव भी हर राशि में प्रवेश करते है शनि देव एक राशि पर साढ़े सात साल तक रहते हैं। साढ़े साती तीन हिस्सों में होती है। शनि देव न्याय के देवता हैं जो भटके हुए व्यक्ति को रास्ते पर लाने राक्षसी स्वरूप से मानव के स्वरूप में लाने का काम करते हैं। इसलिए पहले ढाई वर्ष में शनि व्यक्ति मस्तिष्क पर आते हैं और मानसिक रूप से परेशान हैं दूसरे ढाई वर्ष यानी 31 वें महिने से आर्थिक, शारीरिक, विश्वास इत्यादि रूप से क्षति पहुंचाता है, और तीसरे ढाई वर्ष 61 वें महिने से 90 वे माह तक पांच साल बाद के ढाई वर्ष में शनि महाराज, अपने कारण जो जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करवाते है। यह वो समय होता है, जब व्यक्ति को सत्य का ज्ञान होता है।

पंडित आशिष द्विवेदी ने बताया कि आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। वहीं शनिवार का दिन भी है और विनायक चतुर्थी का व्रत भी रखा जा हा है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो सकती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में शनिदेव का वास होता है।इसलिए यह उपाय बहुत लाभकारी माना जाता है।

पंडित श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि शनिदेव हनुमान जी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें या हनुमान मंदिर जाकर हनुमान जी की पूजा करें। ऐसा करने से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

शनिवार के दिन काले रंग की वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। आप काले तिल, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काला कपड़ा, जूते आदि का दान कर सकते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

कौवों को शनि का प्रतिनिधि माना जाता है। शनिवार के दिन कौवों को काले चने, गुड़ और सरसों मिलाकर खिलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी शांत होता है।

शास्त्रों के अनुसार कुंडली में शनि देव नकारात्मक होने पर-शनि देव अपनी महादशा में कैसा फल व्यक्ति को देंगे। तो ये इस बात पर निर्भर करता है कि शनि देव व्यक्ति की कुंडली में कैसे स्थित हैं। अगर शनि कुंडली में निगेटिव (नीच) विराजमान हैं तो व्यक्ति को शनि की दशा में मानसिक और धन को लेकर समस्या का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को झूठ आरोप लगते हैं और जेल हो सकती है। वहीं व्यापार में घाटा होता है। वहीं अगर शनि देव कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ स्थित हैं तो पैसोंं की हानि होती है। मान- सम्मान की हानि होती है। साथ ही अगर कुंडली में शनि देव अगर मंगल ग्रह के साथ स्थित हैं तो सेहत खराब रहती है। साथ ही दुर्घटना के योग बने रहते हैं। क्योंकि शनि देव और सूर्य, मंगल ग्रह में शत्रुता का भाव विद्यमान है।

शनि अगर शुभ स्थित हों तो- शनि देव जन्म कुंडली में शुभ या उच्च के स्थित हैं, तो शनि की महादशा में व्यक्ति को आकस्मिक धनलाभ के योग बनते हैं। साथ ही व्यक्ति को संपत्ति की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति लोकप्रिय होता है। साथ ही मेहनत के साथ- साथ उसको किस्मत का भी साथ मिलता है। व्यापार अच्छा चलता है। राजनीति के क्षेत्र में सफलता मिलती है। अगर आपका काम शनि ग्रह से रिलेटिड है जैसे- लोहा, पेट्रोल, खनिज, शराब से जुड़ा है तो विशेष लाह के योग बनते हैं। वकील, जज, और प्राइवेट कंपनी से जुड़े लोगों को अच्छा धनलाभ होता है।

शनि देव जन्म कुंडली में शुभ या उच्च के स्थित हैं, तो शनि की महादशा में व्यक्ति को आकस्मिक धनलाभ के योग बनते हैं। साथ ही व्यक्ति को संपत्ति की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति लोकप्रिय होता है। साथ ही मेहनत के साथ- साथ उसको किस्मत का भी साथ मिलता है। व्यापार अच्छा चलता है। राजनीति के क्षेत्र में सफलता मिलती है। अगर आपका काम शनि ग्रह से रिलेटिड है जैसे- लोहा, पेट्रोल, खनिज, शराब से जुड़ा है तो विशेष लाह के योग बनते हैं। वकील, जज, और प्राइवेट कंपनी से जुड़े लोगों को अच्छा धन लाभ होता है।

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