सम्मानमंदसौर जिलासीतामऊ
छोटी काशी के साहित्य मनीषी पण्डित गौरीशंकरजी दुबे का हुआ सम्मान

छोटी काशी के साहित्य मनीषी पण्डित गौरीशंकरजी दुबे का हुआ सम्मान
सीतामऊ। श्री हांडिया बाग लघु तीर्थ स्थल अंतर्गत गायत्री प्रज्ञापीठ सीतामऊ में आयोजित सम्मान समारोह में पंडित गौरीशंकर जी दुबे ने बताया कि “साहित्य सुधा बिन्दु” जो अभी पुस्तक प्रकाशित हुई है। उसमें अधिकांश दुर्लभ पाण्डुलिपी मेरे पूज्य पिता पण्डित किशनलालजी दुबे द्वारा संग्रहित विपुल साहित्य भण्डार से ली गई है। जैसे – कुलपति मिश्र द्वारा रचित “रस रहस्य, कवि रसिक बिहारी रचित काव्य “राम रसायत” गोस्वामी तुलसीदास पर महाकाव्य “देर्वाचन संस्कृत काव्यों में स्वभावोक्ति “कालिदास का बाल चित्रण ” आदि तथा वर्तमान मालवा के महाकवियों पर भी प्रकाश डाला है। यह कृति साहित्य जगत के प्रेमियों के लिये रोचक व ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी ऐसा मुझे विश्वास है। श्री दुबे ने उपस्थित गणमान्य महानुभावों के प्रति कृतिज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि आप सबने जो हमें सम्मान दिया उसके लिये में आभारी हूँ।इस कार्यक्रम के प्रारंभ में पण्डित गौरीशंकरजी दुबे ने दीप प्रज्वलित कर माँ गायत्री, पण्डित श्रीराम शर्मा तथा माँ भगवतीदेवी के चित्रों पर माल्यार्पण किया । इसके पश्चात पण्डित दुबे का श्री ओमसिंह भाटी हल्दूनी, श्री गोविन्द सिंह पंवार, श्री अमरसिंह कुशवाह, श्री गोविन्द सांवरा, श्री मनीष नीमा, सुश्री अर्चना व्यास, श्री मुकेश कारा, श्री चन्द्रबिहारी सिंह चौहान, पंडित श्यामा प्रसाद जोशी, श्री इस्माइल खां पठान, श्री राजेश जैन, श्री ललिताशंकर, श्यामलाल अमराजा, श्री नरेन्द्रकुमार जैन, अशोक राठौर आदि समाजसेवी विद्वत जनों गणमान्य नागरिक ने पुष्पाहार से स्वागत अभिनंदन किया।
कार्यक्रम में श्री अमरसिंह कुशवाह ने अपने उदबोधन में बताया कि हमें गर्व है कि सीतामऊ के मूल निवासी पण्डित कि गौरीशंकरजी दुबे लगभग 9 वें दशक में अनवरत साहित्य सृजन में लीन हैं और आपकी सांतवी कृति “साहित्य सुधा बिंदु” अभी हाल में प्रकाशित हुई है। हम सब आपके शतायु होने की मंगल कामना करते हैं।
गणमान्य जन श्री ओम सिंह भाटी हल्दूनी, श्री गोविन्दसिंह पंवार लदुना, श्री मुकेश कारा तथा सुश्री अर्चना व्यास ने पंडित श्री दुबे के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। आपके लेखन की वक्ताओं ने भूरि-भूरि प्रशंशा की।
इस अवसर पर पं. गौरीशंकरजी दुबे ने उपस्थित महानुभावों को “साहित्य सुधा बिन्दु पुस्तक भेंट की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री गोविन्द सांवरा ने अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हुए कहा कि हमारी गुरू की लेखनी इसी प्रकार शाश्वत चलती रहे और हम उन्हें सीतामऊ उन्हें बुलाते रहें और हमें आशीर्वाद मिलता रहे। अंत में अमरसिंह कुशवाह ने उपस्थित महानुभावों का आभार व्यक्त किया ।



