आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश
राम भक्ति से राष्ट्र भक्ति कम नहीं है- पू. भीमाशंकरजी

गोवर्धन पूजा प्रसंग पर गिरीराज को लगाया 56 भोग
मन्दसौर। श्री सांवलिया गौशाला कुंचड़ौद में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा षष्ठ दिवस कथा प्रवचन में व्यासपीठ पर विराजित पूज्यनीय पं. भीमाशंकरजी शास्त्री ने भगवान बालकृष्ण द्वारा भाटी (ब्रज रज) खाने के प्रसंग में कहां कि जहां ब्रज के राजा नंदबाबा के यहां 9 लाख गाये होकर दूध दही का अपार भण्डार था वहां कृष्ण को मिट्टी खाने की आवश्यकता क्यों पड़ी ? कृष्ण ने अपनी जन्म-राष्ट्र भूमि की यह महिमा बताने के लिये कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपी गुरमिसी’’ अर्थात जननी जन्म देने वाली मॉ और जन्म भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। इसलिये वह हमारे लिये पूज्यनीय-वंदनीय है। हमें श्रद्धा से सर्वप्रथम अपनी मातृभूमि का सम्मान और श्रद्धा से प्राणाम कर शीश झुकाना चाहिये।
रामभक्ति से कम नहीं है राष्ट्रभक्ति-
रामभक्ति के साथ ही राष्ट्र भक्ति-राष्ट्र प्रेम नहीं है तो समझो हमारी राम भक्ति अधूरी है। जो राम से प्रेम और राष्ट्र के प्रति उदासीन है उससे राम कभी खुश नहीं होंगे। राष्ट्र भक्ति का पुण्य भी उतना ही मिलता है जितना राम भक्ति करने से मिलता है।
सैनिक वेतन भोगी नहीं राष्ट्र योगी है-
एक सैनिक को जो पगार मिलती है वह कभी यह नहीं सोचता की यह उसे कम मिल रही है या ज्यादा । तनख्वाह बढ़ाने के लिये कभी सैनिकों ने हड़ताल रखी हो एक भी उदाहरण नहीं मिलता है। सैनिक के मन में पगार नहीं अपने राष्ट्र-अपनी मातृभूमि से प्रेम-सेवा-समर्पण-लक्ष्य होता है। चाहे खून जमाने वाली सर्दी हो या चाहे शरीर जलाने वाली भयंकर गर्मी हो अथवा मूसलाधार वर्षा हो सैनिक कोई आयरन मेन नहीं होता परन्तु इन सबकी परवाह नहीं करते हुए सीमा पर डटे सैनिक की निगाह 24 घण्टे इस ओर लगी रहती है कि दुश्मन की दृष्टि उसकी मातृभूमि की ओर उठ नहीं सके।
शहीद शब्द का उपयोग बंद हो-
मातृभूमि पर मिटने वालों के लिये प्रचलन में शहीद शब्द के स्थान पर हुतात्मा, अमर बलिदानी, वीरगति प्राप्त प्रयोग होना चाहिये।
सिन्दूर ऑपरेशन-
नापाक पाकिस्तान ने आतंक के सहारे जिन मॉ बहनों का सिन्दूर मिटाया, हमारे वीर जवान-सैनिकों ने नराधमों को बता दिया कि सिन्दूर क्या होता है। काश 2 दिन और सिन्दूर ऑपरेशन जारी रहा होता तो निश्चित ही पाकिस्तान का नाम नक्शे से विलुप्त हो जाता।
सैनिक माता-पिता का हुआ सम्मान-
गांव के जो युवा सेना में भर्ती है। कथा में उपस्थित उनके माता-पिता अन्य परिजनों का व्यास पीठ से सम्मान कराया गया।
युवाओं ने रक्तदान कर लिया संकल्प-
जो सैनिक घायल हो जाते है। उनके लिये कम से कम 1000 यूनिट रक्त के लिये व्यासपीठ से आव्हान होने पर 18 से 50 साल तक के युवाओं एवं अन्य ने रजिस्ट्रेशन कराया। रक्तदान करने से कमजोरी नहीं बल्कि कभी दिल की, कोलेस्ट्रोल आदि की समस्या नहीं होती।
रामभक्ति से कम नहीं है राष्ट्रभक्ति-
रामभक्ति के साथ ही राष्ट्र भक्ति-राष्ट्र प्रेम नहीं है तो समझो हमारी राम भक्ति अधूरी है। जो राम से प्रेम और राष्ट्र के प्रति उदासीन है उससे राम कभी खुश नहीं होंगे। राष्ट्र भक्ति का पुण्य भी उतना ही मिलता है जितना राम भक्ति करने से मिलता है।
सैनिक वेतन भोगी नहीं राष्ट्र योगी है-
एक सैनिक को जो पगार मिलती है वह कभी यह नहीं सोचता की यह उसे कम मिल रही है या ज्यादा । तनख्वाह बढ़ाने के लिये कभी सैनिकों ने हड़ताल रखी हो एक भी उदाहरण नहीं मिलता है। सैनिक के मन में पगार नहीं अपने राष्ट्र-अपनी मातृभूमि से प्रेम-सेवा-समर्पण-लक्ष्य होता है। चाहे खून जमाने वाली सर्दी हो या चाहे शरीर जलाने वाली भयंकर गर्मी हो अथवा मूसलाधार वर्षा हो सैनिक कोई आयरन मेन नहीं होता परन्तु इन सबकी परवाह नहीं करते हुए सीमा पर डटे सैनिक की निगाह 24 घण्टे इस ओर लगी रहती है कि दुश्मन की दृष्टि उसकी मातृभूमि की ओर उठ नहीं सके।
शहीद शब्द का उपयोग बंद हो-
मातृभूमि पर मिटने वालों के लिये प्रचलन में शहीद शब्द के स्थान पर हुतात्मा, अमर बलिदानी, वीरगति प्राप्त प्रयोग होना चाहिये।
सिन्दूर ऑपरेशन-
नापाक पाकिस्तान ने आतंक के सहारे जिन मॉ बहनों का सिन्दूर मिटाया, हमारे वीर जवान-सैनिकों ने नराधमों को बता दिया कि सिन्दूर क्या होता है। काश 2 दिन और सिन्दूर ऑपरेशन जारी रहा होता तो निश्चित ही पाकिस्तान का नाम नक्शे से विलुप्त हो जाता।
सैनिक माता-पिता का हुआ सम्मान-
गांव के जो युवा सेना में भर्ती है। कथा में उपस्थित उनके माता-पिता अन्य परिजनों का व्यास पीठ से सम्मान कराया गया।
युवाओं ने रक्तदान कर लिया संकल्प-
जो सैनिक घायल हो जाते है। उनके लिये कम से कम 1000 यूनिट रक्त के लिये व्यासपीठ से आव्हान होने पर 18 से 50 साल तक के युवाओं एवं अन्य ने रजिस्ट्रेशन कराया। रक्तदान करने से कमजोरी नहीं बल्कि कभी दिल की, कोलेस्ट्रोल आदि की समस्या नहीं होती।
कथा का उद्देश्य समाज में बदलाव होना-
जिस कथा से समाज में परिवर्तन नहीं होता वह कथा नहीं व्यथा है। पत्रकार-कथाकार और कलाकार सत्यम शिवम सुंदरम के प्रतीक है।
ललाट पर तिलक अवश्य होना चाहिये- जिस प्रकार जो शादीशुदा माताएं बहने सिर पर सिन्दूर नहीं भरती वे विधवाएं-अभागन समझी जाती है इसी प्रकार जो सनातनी धर्मी हिन्दू अपने ललाट पर तिलक नहीं लगाता है वह अभागा कहा जायेगा। कहा है जिसका करम (ललाट) सूना उसका किस्मत सूना।
दाढ़ी जेहाद से युवकों को बचना चाहिए-
आजकल युवाओं में जो आधी दाढ़ी-सिर पर आधे बाल रखना और मूंछे नीचे की ओर रखना यह अपसंस्कृति है। चेहरे पर या तो दाढ़ी पूरी होना चाहिये। छत्रपति शिवाजी जैसे वीरों जैसी या फिर पूरी साफ होना चाहिए। सिर पर से आधे बाल कटवाना और आधे रखना उचित स्वरूप नहीं है। इसी प्रकार मूंछे नीचे की ओर नहीं बल्कि महाराणा प्रताप की तरह तनी हुर्ह ऊंची होना चाहिये।
कथा प्रसंग में भगवान गिरीराज को 56 भोग का नैवेद्य लगाया। कथा में भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित, पूर्व मण्डल अध्यक्ष जीवन शर्मा, धुंधड़का मण्डल अध्यक्ष राजेश धाकड़, मण्डल महामंत्री पुष्कर बैरागी, पुलकित पटवा आदि ने गुरूजी का वंदन कर आशीर्वाद लिया। आयोजन समिति द्वारा अतिथियों का दुपट्टा धारण कराकर सम्मान किया। संचालन गोपाल गुजरिया ने किया।
जिस कथा से समाज में परिवर्तन नहीं होता वह कथा नहीं व्यथा है। पत्रकार-कथाकार और कलाकार सत्यम शिवम सुंदरम के प्रतीक है।
ललाट पर तिलक अवश्य होना चाहिये- जिस प्रकार जो शादीशुदा माताएं बहने सिर पर सिन्दूर नहीं भरती वे विधवाएं-अभागन समझी जाती है इसी प्रकार जो सनातनी धर्मी हिन्दू अपने ललाट पर तिलक नहीं लगाता है वह अभागा कहा जायेगा। कहा है जिसका करम (ललाट) सूना उसका किस्मत सूना।
दाढ़ी जेहाद से युवकों को बचना चाहिए-
आजकल युवाओं में जो आधी दाढ़ी-सिर पर आधे बाल रखना और मूंछे नीचे की ओर रखना यह अपसंस्कृति है। चेहरे पर या तो दाढ़ी पूरी होना चाहिये। छत्रपति शिवाजी जैसे वीरों जैसी या फिर पूरी साफ होना चाहिए। सिर पर से आधे बाल कटवाना और आधे रखना उचित स्वरूप नहीं है। इसी प्रकार मूंछे नीचे की ओर नहीं बल्कि महाराणा प्रताप की तरह तनी हुर्ह ऊंची होना चाहिये।
कथा प्रसंग में भगवान गिरीराज को 56 भोग का नैवेद्य लगाया। कथा में भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित, पूर्व मण्डल अध्यक्ष जीवन शर्मा, धुंधड़का मण्डल अध्यक्ष राजेश धाकड़, मण्डल महामंत्री पुष्कर बैरागी, पुलकित पटवा आदि ने गुरूजी का वंदन कर आशीर्वाद लिया। आयोजन समिति द्वारा अतिथियों का दुपट्टा धारण कराकर सम्मान किया। संचालन गोपाल गुजरिया ने किया।