श्री महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के शिखर स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन-

रावले परिवार काली कोटड़ी व ग्रामीणों ने चढ़ाया कलश-
विधायक परिहार ने लिया गुरूदेव का आर्शीवाद-
नीमच। जिले के जीरन तहसील के गांव केलूखेड़ा व बामनिया के बीच स्थित ग्राम हमेरिया में प्राचीन व चमत्कारी श्री महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के शिखर स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा महोत्सव पंचकुंडीय सतचंडी महायज्ञ और भागवत कथा का समापन गुरूवार को भक्तिमय माहौल के साथ किया गया। गांव में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में भक्ति रस की गंगा बही। इस दौरान विधायक दिलीप सिंह परिहार व नाथूसिंह सहित कई जनप्रतिनिधियों व समाजजनों गुरू देव का आशीर्वाद लिया।
यज्ञ आचार्य विक्रम शर्मा महाराज केलूखेड़ा वालें ने विधि-विधान से कलश पूजन के बाद कलश स्वर्ण प्रतिष्ठापन कराई। स्वर्ग कलश रावले होकम अजय सिंह जी जोधपुर साइंटिस्ट काली कोटडी वाले एवं सभी गांवों के भक्तों और माता-बहनों के सहयोग से चढ़ाया गया। कथा प्रारंभ होने के पूर्व कलश यात्रा भी निकाली गई। आज कथा के सातवें दिन भी व्यासपीठ से श्री श्री 1008 स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने धर्म की गंगा बहाई। कथा पंडाल में कथा को समाप्त किया। जिसके बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। हमेरिया में सात दिन तक चली कथा में यज्ञ आचार्य विक्रम शर्मा महाराज केलूखेड़ा वाले ने बताया कि पहले दिन मंगल कलश यात्रा निकाली गई, जिसके बाद सात दिन तक भागवत कथा का आयोजन किया गया, भगवान गणेश की आराधना के बिना कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जा सकता है। भगवान गणेश का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन-अर्चन किया गया।
व्यासपीठ से श्रीश्री 1008 स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने कहा कि आज श्री महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के शिखर पर कलश स्वर्ण प्रतिष्ठापन किया और आप सभी ने कलश के दर्शन किए। जहां कही भी स्वभूय देवता होते हैं जैसे ये जो मंदिर है इसके इतिहास की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है ये इतना प्राचीन है 200 वर्षो तक बताते ही है और सभी गांव वालों ने मिलकर श्री महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के शिखर मंदिर बनाया। आस पास के जो भी गांव है विशेषकर हमेरिया, जो माता की छत्रछाया में है बामनिया, कलूखेड़ा, काली कोटड़ी अन्य आसपास के गांव और आज जिसकी शिखर व कलश प्रतिष्ठा की और उस कलश प्रतिष्ठाना का शुभ सौभाग्य यहां के रावले परिवार जिनकी प्रति मैंने अनुभव किया कि यहां के लोगों का गहन सम्मान है, ये सम्मान जबरदस्ती प्राप्त नहीं किया जा सकता है। स्वयं के व्यवहार का सुंदर होना जरूरी है, निश्चित है रावले परिवार दरबार अपने व्यवहार के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्व होगा। काली कोटडी राज परिवार के लोग बैठे है, एक तो सुंदर बात है कि जिस समय कोई 10 वीं और गेजुएशेन नहीं जानता था उस समय इनके घर में आईपीएस आईएएस हुआ करता था और ये परिवार चाहता है कि गांव के लोग आगे रहे। गांव वालों ने भी इनको आगे किया और आज श्री महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के शिखर पर कलश स्वर्ण प्रतिष्ठापन का ऐतिहासिक समापन राज परिवार व ग्रामीणों के मदद से हुआ है।
सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास पीठाधीश्वर ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र सखा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथा व्यास पीठाधीश्वर ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है।