मंदसौरमध्यप्रदेश

जनभागीदारी के मायने समझना होगा ,तभी सफल होगा जल गंगा संवर्धन अभियान

जनभागीदारी के मायने समझना होगा ,तभी सफल होगा जल गंगा संवर्धन अभियान

मंदसौर – मध्यप्रदेश शासन व भारत सरकार द्वारा गंगा जल संवर्धन अभियान संचालित करने हेतु विभिन्न विभागों व ग्राम पंचायतों को लक्ष्य दिए व मॉनिटरिंग की जा रही हे .

अभियान के तहत किये जा रहे कार्यो के फोटो भी समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित हो रहे हे जिनमे शासकीय अधिकारी जनप्रतिनिधि व ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे श्रमदान करते दिखते हैं . तालाब गहरीकरण,बावड़ी सफाई हो रही हे . शासकीय अमला व जन प्रतिनिधि प्रतिदिन श्रमदान का प्रयास कर रहे हे .यह श्रमदान नागरिकों को प्रेरित करने के लिए हो सकता हे परन्तु परिणाम मूलक नही है .

जल संवर्धन अभियान के पीछे शासन की मूल अवधारणा हे की नागरिक I स्वयम तन मन धन से जन भागीदारी करते हुए जल संवर्धन के कार्य करने हेतु प्रेरित हो और ऐसा करने के लिए जनप्रतिनिधियों  व अधिकारियों को बेहतर लीडरशिप की आवश्यकता होती हे .

जल गंगा संवर्धन अभियान में प्रदेश के मुख्य सचिव की विशेष रूचि हे कि इस अभियान में वास्तविक जनभागीदारी हो .नागरिक पानी की कीमत को समझे ,चुकी वर्तमान मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन साहब वर्ष 2000 में मंदसौर कलेक्टर रहे तब गांव गांव जाकर किसानों  को पानी का महत्व समझाया और उन्हें सहमत किया की शासकीय राशि स्वीक्रति पर निर्भर न रहे बल्कि थोडा थोडा धन एकत्र करे ग्रामीण स्वयं जन भागीदारी समिति बनाकर कार्य करावे शासन तकनीकी सहयोग देगा और ऐसा करने में वे बहुत सफल रहे

परिणाम यह  रहा की शिवना सोमली व तुम्बाड  नदी पर पूर्ण जन भागीदारी से बड़े बड़े स्टॉप डेम बने जो नन्दावता,बादाखेडी ,लिलदा , पाडलिया मारू ,बिल्लोद ,नाहरगढ़ , व खूंटी में देखे जा सकते हे . रिस्थल तालाब भी इसका उदाहरण हे , कुवा रिचार्ज ,सोखते गद्दे ,खेत में पोखर , चारो और नाली जैसे कार्य तो व्यापक स्तर पर हुए  स्टॉप डेमो की मरम्मत आज भी जनभागीदारी समिति के सदस्य करते हे .इन्ही जनभागीदारी समिति के सदस्यों को जल दूत बनाकर ग्रामीणों को जन भागीदारी करने के लिए प्रेरित करने का दायित्व देना चाहिए

रिटायर्ड सहायक यंत्री सुनील व्यास ने उक्त जानकारी देते हुए बताया की आज के परिपेक्ष में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रत्येक खेत में खेत तालाब निर्माण , पोली पोंड निर्माण शहरी क्षेत्र में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग जैसे कार्य की बहुत आवश्यकता हे और इन्ही प्रकार के कार्यों को पूर्ण जनभागीदारी से कराया जा सकता हे खेत तालाब के उत्कृष्ट कार्य जिला  देवास के टोंक खुर्द में देखे जा सकते जिसने उस जनपद की तस्वीर ही बदल दी / मंदसौर जिले में भी अनेक किसानों ने खेत तालाब व पोली पोंड बनाये तथा अच्छा लाभ भी ले रहे हैं

सुनील व्यास ने बताया की खेत तालाब से किसानों को तो फायदा होगा ही, भू जल स्तर में गिरावट को रोकने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी साथ ही खेत की मिट्टी व्यर्थ बहने से रुकेगी जो अभी स्टॉप डेम व तालाबो में पहुंचकर उनकी भराव क्षमता को कम करती है इसी मिट्टी को किसान धन खर्च करके वापस अपने खेत में लाता है

इसी प्रकार प्रत्येक खेत पर 10 पौधे लगाने की अनिवार्यता  आवश्यक हे , पंचायतों से वृक्षारोपण कराने की तैयारी जैसे स्थल चयन ,गड्ढे खुदाई, सुरक्षा  व सिंचाई की व्यवस्था आदि अभी कराना चाहिए तथा 15 जून के बाद इन गड्ढों में केवल पोधे लगाने की तैयारी रहना चाहिए अन्यथा हमारे यहाँ परंपरा बनी हुई हे की जुलाई माह में वृक्षारोपण के लिए वातावरण बनाया जाता हे पर्यावरण प्रेमी पौधे लगाने हेतु  चिंतित होने लगते हे

ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब से मिट्टी ले जाने की अनुमति प्रदान करना चाहिए . मिट्टी माफिया पर नियंत्रण भी आवश्यक हे  किसान स्वयं अपने साधन से मिटटी ले जावे तो बगेर खर्च के सभी तालाब का गहरीकरण हो जावेगा इसका हिसाब रखने हेतु एक समिति बनायी जावे तो उचित होगा

नगरीय क्षेत्र में मकानों की छत से व्यर्थ बहने वाले वर्षा जल के उपयोग हेतु रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक अपनाने की अनिवार्यता होनी चाहिए इस कार्य में वर्ष 2000 से इसी प्रकार के कार्य कराने वाली अनुराग संस्था जेसी अन्य संस्थाओं का सहयोग लेना चाहिए /एक मकान  की 1000 वर्ग फिट छत  से बहने वाला साथ हजार लीटर वर्षा जल का उपयोग किया जा सकता है /

मंदसौर जिले में जन भागीदारी की बहुत अछि परम्परा रही हे यदि प्रशासन जन भागीदारी के लिए प्लानिंग से व ग्रामीणों की चौपाल लगाकर चर्चा करे तो वर्षा पूर्व बेहतर परिणाम मिल सकते हे

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}