एकल आंख विधि और आधुनिक यंत्रों से बढ़ेगी गन्ना किसानों की आय

गोरखपुर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन ने घोषणा की है कि गन्ने की एकल आंख विधि (सिंगल बड टेक्नीक) पर शोध किया जाएगा। इस तकनीक से कम जगह में तेजी से अधिक पौध तैयार होंगे। वहीं, महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर. के. सिंह ने कहा कि यह शोध क्षेत्र के किसानों को रोगमुक्त गन्ना खेती का अवसर देगा।हाल ही में डॉ. आर. के. सिंह ने डॉ. विश्वनाथन, प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) डॉ. अरुण बैठा और वैज्ञानिक (पादप रोग) डॉ. चंद्रमणि राज को केंद्र का दौरा कराया। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के उपकार प्रोजेक्ट के तहत उपलब्ध कराए गए गन्ना बीज शोधन यंत्र और गन्ना कटाई यंत्र का किसानों के सामने व्यवहारिक प्रदर्शन किया गया।डॉ. विश्वनाथन ने बताया कि एकल आंख विधि और प्रो-ट्रे तकनीक से कम समय में अधिक पौध तैयार करना संभव है। खेत खाली न होने पर नर्सरी तैयार कर बाद में रोपण किया जा सकता है। डॉ. अरुण बैठा और डॉ. चंद्रमणि राज ने गन्ने में रोग प्रबंधन, रेड रोट और दीमक से बचाव के लिए बीज शोधन यंत्र की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। यह यंत्र कम दवा से अधिक बीज का शोधन कर सकता है।गन्ना कटाई यंत्र के प्रदर्शन में दिखाया गया कि यह बीज कटाई के साथ बचे गन्ने को शुगर मिल भेजने या गुड़ बनाने के लिए उपयोगी बनाता है। इन यंत्रों से मजदूरी लागत घटेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।कार्यक्रम में सस्य वैज्ञानिक डॉ. अवनीश कुमार सिंह, मृदा वैज्ञानिक डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, मैनेजर आशीष कुमार सिंह, लैब टेक्नीशियन जितेंद्र कुमार सिंह और दर्जनभर किसान शामिल हुए। यह पहल गोरखपुर के गन्ना किसानों के लिए उत्पादन और आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।