भारत में सतयुग से ही नारी को यथा योग्य सम्मान प्राप्त होता रहा है किंतु फिर भी जहा अपवाद रहे- जिपं अध्यक्ष श्रीमती पाटीदार

सुवासरा में अधिमान्य पत्रकार एकता कल्याण संघ के द्वारा मातृ शक्तियों को किया सम्मानित
पंकज़ बैरागी रिपोर्टर सुवासरा।
सुवासरा। अधिमान्य पत्रकार एकता कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय ओ पनसोरिया के मार्गदर्शन में एवं अधिमान्य पत्रकार एकता कल्याण संघ के मंदसौर जिलाध्यक्ष पंकज बैरागी के नेतृत्व में, स्थानीय हॉस्पिटल रोड स्थित पुलिस थाने के पास सांसद प्रतिनिधि घनश्याम धनोतिया के निवास स्थान पर, सुवासरा नगर परिषद की पूर्व नपा उपाध्यक्ष श्रीमती सीमा धनोतिया की गरिमा उपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन सुवासरा ब्लॉक मुख्यालय पर अधिमान्य एकता कल्याण संघ के तत्वाधाम में हुआ। जिसमें सभी मातृ शक्तियों को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।
जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा डॉक्टर विजय पाटीदार के द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस आयोजन में अपने कई विचार व्यक्त किये गए। जिसमें उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर 8 मार्च सन 1975 को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया था। उसके पीछे का उद्देश्य यह था कि महिलाओं को उनकी योग्यता के आधार पर राजनीतिक, सामाजिक एवं सरकारी नौकरियों में उचित स्थान प्राप्त हो। उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो। यह बात उन्होंने कही श्री दुर्गा पाटीदार ने आगे बताते हुए कहा कि भारत में तो महिला दिवस का कोई ज्यादा औचित्य नहीं है। क्योंकि हमारे भारत में सतयुग से ही नारी को यथा योग्य सम्मान प्राप्त होता रहा है। किंतु फिर भी जहा अपवाद रहे हैं, उन्हें ठीक करने के लिए निरंतर प्रयास का फल यह है कि आज राजनीतिक से लेकर शासकीय और अशासकीय सेवाओं में भी महिलाओं पुरुष से समक्ष ही नहीं वरना उनसे भी ऊंचे स्थान पर कार्य करने में सफल दिखाई दे रही है। परंतु नई पीढ़ी जब से आर्थिक रूप से स्वतंत्र हुई है तब से विलासीता की और बढ़ने लगे हैं तथा स्वाभिमानी होने के स्थान पर इतनी अभिमानी होती जा रही है कि वह अपने वैवाहिक जीवन और गृह जीवन के महत्व को भी भूलती जा रही है। इसके परिणाम आए दिन भयावह होते जा रहे हैं, इसलिए अंतः और फिर दृष्टि स्वतंत्र होने के बाद भी नारी को हमेशा पुरुष का निर्णय स्वीकार करना चाहिए।
महिला दिवस हो या नारी सशक्तिकरण को लेकर जो भी अभियान चला जाता है वह नारी की योग्यता स्वतंत्रता के लिए होता है ताकि उसे अंतर्निहित योग्यताओं को अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान किये जा सके। किंतु इसका यह कदापि अर्थ नहीं है कि नारी स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छण्ड निरँकुश तथा मर्यादाहीन हो जावे, इस हेतु भर्तहरि शतक के अनुसार नारी को स्वतरू ही पुरुष का नियंत्रण स्वीकार कर लेना चाहिए। जैसे अविवाहित रहने पर पिता का और पिता के ना रहने पर भाई का एवं विवाह होने पर पति का तथा पति का ना रहने पर पुत्र का नियंत्रण स्वीकार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पुत्र न होने पर पौत्र अथवा दामाद या आपने परिवार में अन्य किसी पुरुष को सलाहकार के रूप में स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि जो नारी पुरुष का नियंत्रण स्वीकार नहीं करती है वह कभी-कभी पथ-भृष्ट भी हो सकती है। अथवा संसार में अपनी रक्षा करने में असमर्थ हो सकती हैं। उसे अपने जीवन में मार्गदर्शन के लिए पुरुष का सहारा आवश्यक है अतः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी का अभिवादन करते हुए उन्होंने आग्रह किया है कि उक्त विचार को अपने मन और मस्तिष्क में रखकर कार्य करने से ही महिलाओं का कल्याण हो सकता है।
अन्यथा महर्षि वेदव्यास ने अपने महाभारत काव्य में लिखा है कि स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य देवता भी नहीं जानते तो मनुष्य कैसे जान सकते हैं। इ
सके बाद और भी कई मात्तृ शक्तियों ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किया। जिसमें , सुवासरा नगर परिषद की अध्यक्ष श्रीमती सविता डॉ. बालाराम परिहार, वार्ड क्रमांक 11 की पार्षद एवं सभापति श्रीमती रेनू प्रकाश जायसवाल, श्रीमती संगीता जायसवाल, श्रीमती किमी चौधरी, श्रीमती संगीता धनोतिया, श्रीमती अर्चना मुजावदिया, श्रीमती शिक्षिका संगीता काला, श्रीमती शिक्षिका श्रद्धा पाठक, मैडम श्रीमती शिक्षिका पायल डांगी, श्रीमती नीलिमा फरक्या, श्रीमती मीना सोनी, और भी कई मातृशक्तियों ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का संचालन सुवासरा नगर परिषद की पूर्व नपा उपाध्यक्ष श्रीमती सीमा धनोतिया ने किया। अंत में आभार श्रीमती किमी चौधरी ने माना। उक्त आशय की जानकारी अधिमान्य एकता कल्याण संघ के जिला मीडिया प्रभारी ताहा मोहम्मद ने दी।