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गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में तीन दिवसीय गिद्धों की गणना शुरू

गणना 17 से 19 फरवरी तक प्रतिदिन सुबह 7 से 9 बजे के बीच होगी

मंदसौर 17 फरवरी 25/ वनमंडलाधिकारी श्री संजय रायखेरे द्वारा बताया गया कि, प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना वर्ष 2025 के अन्तर्गत मन्दसौर जिले के

मंदसौर जिले में आज से तीन दिवसीय शीतकालीन गिद्ध गणना प्रारंभ हो गई है। यह गणना 17 से 19 फरवरी तक प्रतिदिन सुबह 7 से 9 बजे के बीच की जाएगी। इस दौरान वन एवम राजस्व क्षत्रों जहाँ पर गिद्धों की उपस्थिति देखी जा रही हैं, जिसमें अधिकारी-कर्मचारी और वॉलंटियर्स तैनात किए गए हैं, जो चंबल नदी से लगे ऊंचे चट्टानी क्षेत्रों में गिद्धों की गणना कर रहे हैं। पहले दिन की गणना के बाद अभ्यारण्य एवम अन्य क्षेत्रों में सात प्रजातियों के गिद्धों की कुल 728 गिद्धों की संख्या होना पाया गया।

 

गिद्धों की संख्या और उनके आश्रय स्थलों का आकलन करने के लिए यह गणना पूरे प्रदेश में चल रही है। अधिकारी और कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बैठे हुए गिद्धों की गिनती कर रही हैं एवं उनकी प्रजाति की पहचान कर रही हैं, और घोंसलों की स्थिति का निरीक्षण कर रहे हैं।

गिद्धों का जीवन और गांधीसागर अभयारण्य में उनकी स्थिति

गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे मृत जीवों को खाकर प्रकृति की सफाई करने का कार्य करते हैं। गांधीसागर में गिद्धों की सात प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें राज गिद्ध (King Vulture), भारतीय गिद्ध (Indian Vulture), लंबी चोंच वाला गिद्ध (Long-billed Vulture), सफेद पीठ वाला गिद्ध (White-rumped Vulture) और मिस्र गिद्ध (Egyptian Vulture) प्रमुख हैं।

गिद्धों के आवास और पर्यावरण

गांधीसागर सेंचुरी में गिद्धों के लिए आदर्श वातावरण मौजूद है, जिसमें ऊँची चट्टानें, घने वृक्षों वाले क्षेत्र और जल स्रोत शामिल हैं। गिद्ध ज्यादातर खुले क्षेत्रों और खुले चट्टानी क्षेत्रों, पर्वतों पर घोंसला बनाते हैं, जहां उन्हें भोजन और सुरक्षित प्रजनन स्थल मिल सके।

गिद्धों का भोजन और आहार

गिद्ध मुख्य रूप से मृत जानवरों के मांस (Carrion) पर निर्भर होते हैं। वे शिकारी नहीं होते, बल्कि प्राकृतिक सफाईकर्मी के रूप में कार्य करते हैं। वे अपनी तीव्र दृष्टि और गंधशक्ति की मदद से दूर से ही मृत जानवरों को खोज लेते हैं।

प्रजनन और जीवन चक्र

गिद्ध साल में एक ही बार अंडे देते हैं और यह प्रक्रिया चट्टानों या ऊँचे पेड़ों पर होती है। गिद्ध का जीवनकाल औसतन 15 से 30 वर्ष तक होता है।

*गांधीसागर अभयारण्य में गिद्धों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास*

1. डाइक्लोफेनैक एवम निमेसुलाइड के सभी फार्मूलेशन पर प्रतिबंध: गिद्धों के लिए घातक इस दवा का उपयोग प्रतिबंधित किया गया है।

2. संरक्षित क्षेत्र: गिद्धों के घोंसले वाले क्षेत्रों को संरक्षित किया गया है ताकि वे बिना किसी बाधा के प्रजनन कर सकें।

3. निगरानी और गणना: गिद्धों की गणना नियमित रूप से की जाती है, ताकि उनकी जनसंख्या पर नजर रखी जा सके।

4. स्थानीय जागरूकता अभियान: ग्रामीणों और किसानों को गिद्धों के महत्व और उनके संरक्षण के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है।

ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना अप्रैल में होगी

गिद्धों की संख्या और उनकी स्थिति का बेहतर अध्ययन करने के लिए यह गणना वर्ष में दो बार आयोजित की जाती है।

ग्रीष्मकालीन गणना 29 अप्रैल 2025 को होगी। शीतकालीन गणना के दौरान प्रवासी गिद्ध जैसे : हिमालयन और यूरेशियन ग्रिफान, सीनेरियस गिद्ध भी गणना में पाये जाते हैं। गर्मियों में गिद्धों की गतिविधियाँ और उनके प्रजनन स्थल अलग-अलग हो सकते हैं।

गांधीसागर अभयारण्य गिद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक आश्रय स्थल है। यहां की जैव विविधता, ऊँची चट्टानें और भोजन की उपलब्धता गिद्धों के जीवन के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती हैं। संरक्षण प्रयासों और नियमित निगरानी के माध्यम से गिद्धों की संख्या को स्थिर बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।

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