सम्मानमंदसौरमध्यप्रदेश

श्री चैतन्य आश्रम मेनपुरिया युवाचार्य पू. स्वामी मणि महेश चैतन्यजी महाराज और कुम्भ में सेवादार कार्यकर्ताओं का हुआ सम्मान

महाकुम्भ प्रयाग से लौटने पर –

 


मंदसौर। प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ श्री चैतन्य आरम मेनपुरिया में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी से माघ पूर्णिमा 12 फरवरी तक आश्रम के युवाचार्य पूज्य महन्त स्वामी श्री मणि महेश चैतन्यजी महाराज के सानिध्य में शिविर लगाया गया था। शिविर में प्रतिदिन लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं-सन्तों का भण्डारा संतो-विद्वतजनों के आशीर्वचन हुए।
महाकुम्भ से 15 फरवरी को स्वामीजी का महाकुंभ से चैतन्य आश्रम पर लौटने पर स्वामीजी वं साथ गये संत स्वामी शिवचैतन्यजी महाराज एवं मोहनानंदजी महाराज का सम्मान किया गया। कुम्भ में अहर्निश सेवा देने वाले सेवादार कार्यकर्ताओं-लोक न्यास अध्यक्ष प्रहलाद काबरा, श्रीमती आशा काबरा, श्रीमती काशीबाई को प्रशस्ति पत्र एवं मोतियों की माला से सम्मान किया।
काबरा दम्पत्ति ने स्वामीजी मणि महेश चैतन्यजी महाराज को भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिमा भेंटकर आशीर्वाद लिया। लोकन्यास ट्रस्टी प्रद्युम्न शर्मा, सचिव रूपनारायण जोशी, कोषाध्यक्ष महेश गर्ग, जगदीश सेठिया, राधेश्याम गर्ग, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष एवं ट्रस्टी ब्रजेश जोशी, अजय सिखवाल, रमेशचन्द्र शर्मा, बंशीलाल टांक आदि ने सम्मान किया। कुम्भ में निरंतर एक माह तक सेवा देने वाले स्वामी रामेश्वरजी खड़ेश्वरी गौशाला जग्गाखेड़ी, लक्षित माली बनी, डॉ. शुभम बड़गुर्जर बिजवाड़, श्यामसुंदर माली बनी, भरत माली धुंधड़का, विनोद गोस्वामी बनी, मधुसूदन नागर धुंधड़का, मनीष जामुनिया बिजवाड़, अनिल नरवरिया बिजवाड़, भरत माली दलौदा रेल, ब्रजमोहन माली बिजवाड़, सोम पाठक हरिद्वार, प्रद्युम्न शर्मा हरिद्वार, शिवा माली एलची, विनोद एलची, अनिलदास बैरागी एलची का विशेष सहयोग से प्रशस्ती पत्र एवं मोतियों की माला भेंटकर सम्मान किया गया।
स्वागत उद्बोधन एवं आश्रम के संबंध में निर्माण प्रगति-आगामी सिंहस्थ की प्रस्तावना सचिव रूपनारायण जोशी ने प्रस्तुत की। ब्रजेश जोशी, जगदीश सेठिया ने स्वामीजी द्वारा कुंभ में चैतन्य आश्रम का शिविर लगाने और कार्यकर्ताओं द्वारा उसमें सेवा कर सफल बनाने की सराहना करते हुए इसे मंदसौर का गौरव बताया।
इस अवसर पर स्वामीजी ने प्रयागराज की महिमा के संबंध में प्रयाग शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस शब्द के आगे प्र उत्सर्ग का प्रयोग होता है उसका साधारण अर्थ से हटकर विशिष्ट रूप में प्रयोग माना जाता है। सम्मान में प्रतिष्ठा, प्रयोजन आदि, याग का अर्थ है यज्ञ, परन्तु यज्ञ के प्र लगने से जिस भूमि पर सर्वाधिक यज्ञ होते है। वह फिर प्रयाग कहलाने लगता है। 12 वर्षों में लगने वाले कुंभ मेले को कुम्भ कहा जाता है परन्तु 144 वर्षों बाद 12 कुम्भ लगने के बाद जो कुम्भ लगता है उसे फिर महाकुम्भ कहा जाता है जो इसलिये इस वर्ष का कुम्भ महाकुम्भ कहलाया।
जिस महाकुम्भ में लगभग 51 करोड़ श्रद्धालु के माघ पूर्णिमा तक स्नान किया जिसमें  भगवान पशुपतिनाथ की कृपा से चैतन्य आश्रम का कैम्प सानन्द सफल होने पर सबने सबने खुशी जाहिर की। इससे मंदसौर का गौरव बढ़ा है। स्वामीजी ने 2028 में उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ में भी सभी से प्रयाग महाकुम्भ की तरह कार्यकर्ताओं से सेवा सहयोग और श्रद्धालुओं से सम्मिलित होने का आव्हान किया। संचालन बंशीलाल टांक ने किया व आभार प्रहलाद काबरा ने माना।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}