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अवैध उत्खनन के दो प्रकरणों में जिला कलेक्टर ने कि कार्यवाही, दो व्यक्तियों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस 

अवैध उत्खनन के दो प्रकरणों में जिला कलेक्टर ने कि कार्यवाही, दो व्यक्तियों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस 

 

किशनगढ़ ताल

ठाकुर शंभू सिंह तंवर

कलेक्टर श्री राजेश बाथम द्वारा जिले में अवैध उत्खनन के प्रकरणों में बड़ी कार्रवाई की जा रही है। जिले की ताल तहसील में अवैध उत्खनन के प्रकरणों में दो व्यक्तियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए हैं। संबंधित व्यक्तियों द्वारा समय सीमा में समाधान कारक उत्तर मय प्रमाण के प्रस्तुत नहीं करने पर दोनों से कुल 17 करोड़ 28 लाख रुपए अर्थदंड वसूला जाएगा। कलेक्टर द्वारा जिला खनिज अधिकारी तथा खनिज निरीक्षक को भी कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं।

जानकारी में बताया गया है कि तहसील ताल के ग्राम मंडावल निवासी ऋतुराज सिंह पिता शिवराज सिंह को ग्राम नापाखेड़ा में 35200 घन मीटर अवैध उत्खनन पर 5 करोड़ 28 लाख रुपए की शास्ती अधिरोपित किया जाना प्रस्तावित है। उक्त प्रकरण में बताया गया है कि ग्राम नापाखेड़ा की शासकीय भूमि में से रकबा एक हेक्टेयर में क्रशर मशीन आधारित गिट्टी उत्खनीत पट्टा 10 वर्ष की अवधि हेतु 7 फरवरी 2021 तक के लिए ही स्वीकृत था। ग्रामवासियों के माध्यम से अवैध उत्खनन संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर जांच की गई जिसमें पता चला कि स्वीकृत अवधि अवसान होने के पश्चात भी अवैध उत्खनन में संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस थाने में प्रकरण पंजीबद्ध करवाया गया था।

कलेक्टर के निर्देश पर अधीक्षक भू अभिलेख द्वारा जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि पूर्व स्वीकृत उत्खनित पट्टा स्थल के अतिरिक्त 0.880 हेक्टेयर पर पत्थर अवैध उत्खनन पाया गया। जांच में 35200 घन मीटर अवैध उत्खनन में अवैध उत्खनित खनिज रॉयल्टी 50 रुपए प्रति घन मीटर की दर से 17 लाख 60 हजार रुपए होती है। अवैद्य उत्खनित खनिज रॉयल्टी की 15 गुना राशि तथा उसके समतुल्य पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि, इस प्रकार रॉयल्टी की कुल 30 गुना राशि 5 करोड़ 28 लाख रुपए की शास्ती ऋतुराज सिंह के विरुद्ध अधिरोपित किया जाना प्रस्तावित है।

इसी प्रकार ग्राम नापाखेड़ा तहसील ताल में रकबा दो हेक्टेयर में क्रेशर मशीन आधारित गिट्टी उत्खानित पट्टा निष्पादन के पूर्व ही प्रश्नाधीन भूमि पर 80 हजार घन मीटर में अवैध उत्खनन के प्रकरण में ग्राम मंडावल तहसील ताल निवासी बीनू कुंवर पति ऋतुराज सिंह के विरुद्ध कुल 12 करोड रुपए की शास्त्ती मध्यप्रदेश खनिज अवैध खनन परिवहन तथा भंडारण का निवारण नियम 2022 के नियम 18 के अंतर्गत अधिरोपित किया जाना प्रस्तावित है।

खनिज अधिकारी तथा निरीक्षक को भी कारण बताओ सूचना पत्र

कलेक्टर द्वारा उपरोक्त प्रकरणों में जिला खनिज अधिकारी सुश्री आकांक्षा पटेल तथा खनिज निरीक्षक श्री देवेंद्र कुमार चिडार को भी कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं। जिला खनिजन अधिकारी को जारी पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा कलेक्टर के समक्ष कोई भी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे प्रथम दृष्टया अवैध उत्खननकर्ता के साथ संलिप्तता परिलक्षित होती है, उनकी उदासीनता के कारण शासन को भारी राजस्व हानि हुई है। प्रथम दृष्टया उनके द्वारा अवैध उत्खनन प्रतिवेदन नहीं किया गया। थाना प्रभारी के माध्यम से संज्ञान आने के बाद भी उनके द्वारा स्वयं सत्यापन या निरीक्षण नहीं किया गया और ना अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की चेष्टा की, इस कारण से अवैध उत्खनन जारी रहा, शासन को राजस्व हानि हो रही है। उक्त तथ्य अधीक्षक भू अभिलेख की रिपोर्ट से प्रकाश में आया जबकि यह उनका प्राथमिक एवं पदीय दायित्व है जिससे विदित होता है कि वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को गंभीरता से नहीं लेते। यह गंभीर रूप से आपत्तिजनक होकर अनुशासनहीनता का द्योतक है तथा अपने पदीय दायित्व के प्रति उदासीनता है। वे शासकीय सेवा के प्रति कर्तव्य परायण नहीं है, उक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा के प्रतिकूल होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है।

इसी प्रकार खनिज निरीक्षक को जारी कारण बताओ सूचना पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा उचित माध्यम से कलेक्टर के समक्ष जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया, गणना राशि भी निर्धारित प्रावधान अनुसार ना कर गणना मूल्यांकन त्रुटिपूर्ण किया गया जिसके आधार पर प्रथम दृष्टया उनकी अवैध उत्खननकर्ता के साथ संलिप्तता परिलक्षित होती है, साथ ही उनके द्वारा प्रावधान अनुसार गणना न कर शासन को राजस्व हानि पहुंचाई है। प्रथमतया उनके द्वारा अवैध उत्खनन प्रतिवेदित नहीं किया गया, थाना प्रभारी के माध्यम से संज्ञान आने के बाद भी उनके द्वारा स्वयं सत्यापन निरीक्षण नहीं किया गया, उनके कृत्य से शासन को राजस्व हानि हो रही है। उक्त तथ्य अधीक्षक भू अभिलेख की रिपोर्ट से प्रकाश में आया जबकि यह उनका प्राथमिक एवं पदीय दायित्व है, स्थिति से विदित होता है कि वह अपने पदीय दायित्वों के प्रति उदासीन है, शासकीय सेवा के प्रति कर्तव्य परायण नहीं है जो गंभीर रूप से आपत्तिजनक होकर अनुशासनहीनता का द्योतक है। उनका कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है।

दोनों अधिकारियों द्वारा समयावधि में उत्तर नहीं होने पर यह मान्य किया जाएगा कि उनको अपने पक्ष समर्थन में कुछ नहीं कहना है। ऐसी स्थिति में उनके विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी।

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