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भगवान कभी किसी का बुरा नहीं करते, जो भगवान करते है वो अच्छे के लिए करते है – ज्ञानांदजी महाराज

मंदसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चल रहा है चातुर्मास सत्संग हरिद्वार के परम पूज्य संत ज्ञानानंद जी महाराज कर रहे हैं चातुरमासिक प्रवचन दान की महिमा बताते हुए संत श्री ने कहा कि हमें देवताओं पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए दान अवश्य करना चाहिए।
ऋषि पंचमी के संबंध में बताते हुए आपने कहा कि ऋषियों के ग्रंथों को अवश्य पढ़ना चाहिए जिससे हमें हमारे जीवन के बारे में सोचने समझने क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए जीवन का लक्ष्य क्या है इन सारी बातों को हमारे ऋषि ही बताते आ रहे हैं ऋषि पंचमी पर हमें हमारे इन महान ऋषियों का स्मरण करते हुए उनके द्वारा बताए गए जीवन को सार्थक करने के मार्ग को अवश्य अपनाना चाहिए। इसी में ऋषि पंचमी  मनाने की सार्थकता है भगवान का प्रत्येक विधान हमारे लिए कल्याणकारी होता है। परंतु नहीं समझने के कारण जो हमारे लिए अच्छा होता है उसमें तो हम खुश हो जाते हैं परंतु जो बुरा  होता है उसका दोप भगवान पर ठोक देते हैं हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भगवान हमारे लिए जो भी करते हैं हमेशा अच्छा ही करते हैं संत श्री ने एक दृष्टांत सुनते हुए कहा कि एक राजा चाकू से कुछ कार्य कर रहा था तब उसकी उंगली कट गई राजा ने पास में बैठे हुए मंत्री ने कहा देखो मेरी उंगली कट गई मंत्री ने तपाक से बोल दिया बहुत अच्छा हुआ राजा ने गुस्सा होकर मंत्री से कहा मेरी तो उंगली कट गई और तुम कह रहे हो कि बहुत अच्छा हुआ और गुस्सा होकर मंत्री को बाहर कर दिया और जब एक दिन राजा सैनिकों के साथ आखेट खेलने जंगल में गया और शेर का पीछे करते हुए जब दूर निकल गया और साथ में चल रहे सैनिक पीछे छूट गए तब राजा को अचानक सामने देवी की पूजा करते हुए कुछ लोग दिखाई दिए राजा उनके पास पहुंच गया उन लोगों को देवी की बली देने के के लिए एक मनुष्य की आवश्यकता थी सुंदर और हष्ट  पुष्ट राजा को देखकर बड़े प्रसन्न हुए राजा को पकड़ लिया और बलि चढ़ाने के लिए देवी के सामने ले गए राजा बहुत गिड़गिड़ाया उसने अपना परिचय दिया परंतु राजा की एक नहीं  सुनी और बलि चढ़ाने के लिए जैसे ही तलवार उठाई राजा की उंगली कटी हुई देखकर अंग भंग व्यक्ति की बली नहीं दी जा सकती यह सोचकर उन्होंने राजा को छोड़ दिया।
राजा अपने नगर में आया तब उसने सोचा कि मैंने मंत्री को निकाल कर अच्छा नहीं किया उसने मंत्री को फिर से बुलाया और  कहा कि उस दिन तुमने मेरी उंगली कट जाने पर जो कहा था कि अच्छा हुआ यह मेरे लिए वास्तव में अच्छा हुआ कि आज मेरी जान बच गई परंतु मैं जब तुमको नौकरी से अलग कर दिया था वह तुम्हारे लिए बुरा ही हुआ इसमें भला तुम्हारा क्या अच्छा हुआ तब मंत्री ने कहा कि राजन  आप तो उंगली कटने से बच गए परंतु जैसा कि मैं हमेशा आपके साथ रहता हूं उसे दिन यदि साथ में रहता तो मेरा कोई अंग भंग नहीं होने से मेरी बली अवश्य चढ़ा देते इसलिए हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि परमात्मा हमारा कभी  भी कैसी भी विपरीत विषम परिस्थिति उपस्थित होने पर वह स्थिति चाहे कितनी भी बड़ी भयानक लगकर हमें बुरी क्यों नहीं लगे परंतु परिणाम में अंत में  परिणाम अच्छा ही निकलता है संत श्री ने  समय का महत्व बताते हुए कहा कि हम समय का कितना  सदुपयोग करते हैं और कितना दुरुपयोग करते हैं इस पर हमें प्रतिक्षण ध्यान देना चाहिए संसार में वही व्यक्ति सुख और आनंद का लाभ उठा सकता है । जो जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करता है सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास का समापन आगामी भाद्रपद की पूर्णिमा 29 अगस्त को होगा जानकारी ट्रस्टी बंसीलाल टाँक द्वारा दी गई।

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