क्रोध करने वाले व्यक्ति को नहीं मिलता कर्मों का फल-स्वामी श्री यज्ञ मणि महाराज
गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाई,भजनों पर झूमे भक्त
- क्रोध करने वाले व्यक्ति को नहीं मिलता कर्मों का फल-स्वामी श्री यज्ञ मणि महाराज
गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाई,भजनों पर झूमे भक्त
पालसोड़ा- भैषा सुरी माताजी मंदिर पर दहिया परिवार द्वारा चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के पांचवें दिन शनिवार को भागवत प्रवक्ता स्वामी श्री यज्ञमणि महाराज सकरानी रैयत ने गोवर्धन पूजा के प्रसंग के दौरान बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र के घमंड को चुर करने के लिए बृजवासियों को गिरिराज की पूजा के लिए प्रेरित किया। इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए अपनी उंगली पर गिरिराज (गोवर्धन पर्वत) को धारण कर समस्त बृजवासियों को बचाया। स्वामी श्री ने गोवर्धन पर्वत कथा सुनाते हुए कहा कि बारिश वर्षा को देखकर भगवान श्री कृष्णा गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। इसके बाद ब्रज मैं भगवान श्री कृष्णा और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगने लगते हैं और भगवान इंद्र का घमंड चूर हो जाता है। इसलिए इंसान को कभी घमंड व क्रोध नहीं करना चाहिए भागवत में क्रोध को नर्क का द्वारा बताया गया है भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की जो मनुष्य बात-बात पर क्रोधित हो उठते हैं वह जीवन में कभी तरक्की नहीं करते और जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं। क्रोध करने वाले मनुष्य कभी भी सही निर्णय नहीं कर पता है जिसके फल स्वरुप मनुष्य का जीवन और भी कठिन हो जाता है। श्री कृष्ण के अनुसार बेवजह किए गए क्रोध और घमंड से मनुष्य को कोई लाभ नहीं होता उसको अपने कर्मों का फल भी नहीं मिलता और उसे कष्ट भोगने पड़ते हैं। मनुष्य को निरंतर कम करते रहना चाहिए फल की इच्छा नहीं करना चाहिए और किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम को जान लेना चाहिए। संयम के साथ कार्य करना चाहिए नित्य भगवान की भक्ति करनी चाहिए और हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए तभी हमें अपने कर्मों का फल मिलता है कथा प्रतिदिन 11 से 3:00 बजे तक चल रही है जिसमें सैकड़ो भक्ति जन ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा में डुबकी लगा रहे हैं