भगवान राम और राजा भरत का राज सिंहासन के प्रति त्याग पूरे विश्व के राजाओं के लिए आदर्श बना

भगवान राम और राजा भरत का राज सिंहासन के प्रति त्याग पूरे विश्व के राजाओं के लिए आदर्श बना
सीतामऊ-पाटीदार धर्मशाला रावटी में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा के आज पांचवे दिन पंडित खुशीराम महाराज ने भगवान राम के वनवास की मार्मिक कथा सुनते हुए कहा कि एक तरफ तो पूरी अयोध्या में भगवान राम के राजतिलक की तैयारी से बड़ी प्रसन्नता छाई हुई थी और दूसरी तरफ माता कैकई ने राजा दशरथ से अपने उधार वचन मांग लिए। भगवान राम अपने पिता दशरथ से मिलने गए तो उन्होंने देखा कि पिताजी बड़े उदास है पिताजी को उदास देख राम ने माता कैकेई से पूछा हे माता पिता जी दुःखी क्यों है माता कैकई ने कहा हे राम उनके दुःख का केवल एक ही कारण है तुम्हारे पिता का तुमसे प्रेम है मेने केवल इनके द्वारा दिए हुए दो वचन मांगे हैं पहला वचन भरत को राजतिलक और दुसरा तुझे 14 वर्ष का वनवास,बस इतनी सी बात पर तेरे पिता दुखी हो रहे हैं भगवान राम ने पिता से कहा हे पिता श्री यह तो बड़ी खुशी की बात है कि मेरा छोटा भाई राजा बने और मुझे 14 वर्षों का वनवास इतनी सी बात के लिए आप दुःखी हो रहे हो। राम ने पिता को समझाया और सीता और लक्ष्मण सहित वन को निकल गए। पंडित जी ने कहा कि एक भगवान राम है जो पिता की आज्ञा पर जनमत अपने साथ होते हुए भी राज सिंहासन को त्याग कर वन को चले गए और दूसरा भाई भरत है जो राज सिंहासन मिलने के बाद भी राजा बनने को तैयार नहीं है और आज वर्तमान में एक भाई दूसरे भाई के अधिकारों को छिनने में लगा है भगवान राम और भरत दोनों भाइयों का त्याग पूरे विश्व के राजाओं के लिए बहुत बड़ा आदर्श बना। कथा सुनते सुनते कई राम भक्तों की आंखों में आंसू आ गए।इस अवसर पर कथा सुनने सभी ग्रामवासी व आसपास के गांव रावटा, कोचरियाखेड़ी, दूधिया,आक्या, साखतली आदि कई गांव के भक्त जन भी कथा सुनने पधारे।



