आध्यात्ममंदसौर जिलासुवासरा

बिना डोर की पतंग मत उड़ाना, किसी जिम्मेदार के हाथ में होना चाहिए पंडित नागर

बिना डोर की पतंग मत उड़ाना, किसी जिम्मेदार के हाथ में होना चाहिए पंडित नागर

राजेंद्र धनोतिया

सुवासरा। श्री चिंतामन गणेश मंदिर किशोरपुरा की पावन धरती पर एवं श्री गोपाल कृष्ण गोपाल शाला के निकट  श्रीमद् भागवत कथा का समापन अवसर पर सरस्वती के वरद पुत्र पंडित कमल किशोर जी नागर ने कथा का रसपान करवाते हुए सातवें दिन श्रोताओं ध्यान कथा के अंतिम मोड पर लाकर निवेदन किया भगवान से प्रार्थना करना हे प्रभु जीवन की डोर को तेरे हाथ में रखना ।

परमात्मा आपका हाथ कब छोड़ते हैं?,

उत्तर देते हुए कहा जब हम पांव छोड़ देते हैं जो लोग पांव छोड़ रहे हैं वह सजा की ओर जा रहे हैं कथा यह,संदेश देती है कभी थोड़ा रूपया आ जावे तो पांव मत छोड़ना।

भिखारी का उदाहरण देते हुए पंडित नागर ने कहा, जब एक भिखारी एक गांव भिक्षा वृत्ति करने गया और दोनों आंखों से अंधा था तब एक मंदिर के सामने जाकर खड़ा हो गया तब किसी सज्जन से पूछा यहां भिक्षा मिल जाएगी तब सज्जन ने उत्तर दिया यहां मंदिर है यहां कौन भिक्षा देगा आगे जाओ तब भिखारी रट पकड़ ली, राम राम कहते पूरा रात बिताई और सुबह हो गई तब वहां कोई सज्जन आया और उसकी परीक्षा करी कि यह कोई ना कोई पहुंचा हुआ पुरुष है उसके बाद उसके हाल-चाल पूछे थोड़ी देर बाद उसके कई हाल-चाल पूछने के लोग आने लगे तब थोड़ी देर में वहां मिठाई वह कई प्रकार के पकवान का ढेर हो गया लोगों ने जाना अचंभा हुआ की है तो कोई ना कोई पहुंची हुई आत्मा है तब तब भिखारी ने कहा हमें पेर नहीं छोड़ना चाहिए और डोर जिम्मेदार के हाथ में देना चाहिए

मां का दूध और कथा अमृत है जो काटना है उसे काटो कुल्हाड़ी पत्थर पर मत चलाओ नहीं तो पाना टूट जाएगा पंडित नारायण मोबाइल की ओर इशारा करते हुए कहा जिनकी उम्र नहीं है उनसे,मोबाइल छोड़ोओ उन्हें अच्छे संस्कार दो काम करने वाले कम और कान भरने वाले अधिक है इस युग मे मोबाइल का,नाम मंत्रा रखा है कैकई ने श्री राम का घर बिगाड़ दिया था ।

दुख की बात है “हम दो हमारे दो ” इन बुडे माता पिता का आदर करो आशीर्वाद लो बूढ़े मां-बाप से लोगों का ध्यान भटक गया है।

पंडित नगर ने कथा की आखिरी मोड़ पर पहनावे व्यंजन गरीबी संघर्ष बचपन पीठ देना नकल ना गौ सेवा करने पर कथा को विराम दिया और शादियों में शुभ एवं मंगल गीत गाने का आग्रह किया ताकि भारतीय संस्कृति जीवित रहे संतों की 84 करोड़ की वाणी है इसे अपनाओ कथा के समापन के आखिरी अवसर पर जय श्री कृष्णा कहकर कथा को विराम दिया यजमान परिवार साधु बात,दिया कहां की फौजी परिवार के कारण सबको कथा,सुनने अवसर प्राप्त हुआ।

हमारा सौभाग्य सा दिन से माता बहने एवं क्षत्रिय विधायक हरदीप सिंह डंग सहित अपार् समूह कथा सुनने के लिए कोई पैदल अपने-अपने वाहनों से पंडाल में पहुंचा था।

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