धन्य है हमारा भारत सबसे पहले सूर्य भारत में उगता है हमारा धर्म यहीं से शुरू होता है- पं. नागर जी

धन्य है हमारा भारत सबसे पहले सूर्य भारत में उगता है हमारा धर्म यहीं से शुरू होता है- पं. नागर जी
सुवासरा। चिंतामन गणेश मंदिर श्री गोपाल कृष्ण गौशाला पर आयोजित श्रीमद् भागवत गीता के छठे दिन पंडित नागर ने कथा श्रवण करवाते हुए कहा भारत में इस पीले रंग के लोग भारत बैठे हैं ।सूर्य फिर दूसरे देशों में जाता है हमें अपने देश पर गर्व होना चाहिए हमें यहां का भोजन उपजाऊ खेती पहनावे और भाईचारे पर गर्व है।दूसरे देश आज के युग में भाई चारे पर भटक रहे हैं आज हमारे लोग बहन बेटियां उन देशों में सुरक्षित नहीं है अपनापन क्या होता है वह नहीं समझते हैं।उन्होंने एक नेताजी का उदाहरण देते हुए कहा एक होटल में एक नेताजी गए उनके पीछे-पीछे अन्य पुरुष हो हो गए होटल मालिक ने कहा यह सब आपके साथ है क्या,तब नेताजी ने कहा हां सब हमारे साथ है।नेताजी ने कहा इन सबको चाय दे दो,इतने में अन्य लोग भी नेताजी के साथ हो गए तब होटल मालिक ने पूछा कि चार लोग भी आपके साथ है तब नेताजी ने कहा हां यह भी मेरे साथ है, तब नेताजी का अपनापन झलका,पंडित नागर कथा की ओर इशारा करते हुए कहा आप सब इस कथा में आए तो बेकार नहीं जाएगा करीब-करीब अपनापन तो आ जाएगा अपनापन क्या होता है समझे वैभव पद प्रतिष्ठा कोई साथ नहीं देता है जुडो अपनापन बावरा कर देगा।जीवन में तीन व्यवस्था होती है बचपन जवानी और बुढ़ापा यह शरीर अवगुणों से भरा है महान उसी का नाम है जो क्षमा करें।कभी-कभी पुलिस वाले परिवार वाले को सूचना देते हैं कि कल कोर्ट में डायरी पेश होगी।नागर जी ने उदाहरण देते हुए कहा मरने से पहले कभी-कभी कथा में आ जाना नहीं तो यमराज को डायरी पेश करने के बाद कुछ नहीं परिवर्तन नहीं कर सकता हूं आपके कथा पर आने पर यह समय बेकार नहीं जाएगा,सोने के फूल और गुलाब के फूल में अंतर बताते हुए कहा सोने में सुगंध नहीं होती और गुलाब के फूल में सुगंध होती है कथा का श्रवण करते हुए श्रोताओं से भरा पंडाल भजनों से आनंदित हो गया।