गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है गुरु बिना घोर अंधेरा- पं.कमल किशोर जी नागर

गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है गुरु बिना घोर अंधेरा- पं.कमल किशोर जी नागर

पं नागरजी ने उदाहरण देते हुए कहा बस कंडक्टर कभी भी सीट पर नहीं बैठता है हमेशा दूसरों को बिठाने का प्रयास करता है हाथ में पेन रहता है कहता है कि आओ मैं जगह कर दूंगा शाम को सेठ जी को हिसाब देना होता है जब शाम को सेठ को हिसाब देता है तो सेठ अच्छी सवारी मिलती है तो प्रसन्न हो जाता है इस तरह हमारा सतगुरु बैकुंठ नहीं जाता है भेज देता है अगर लोग यहां गुरु शरण में चले जाते हैं तो भगवान अवश्य प्रसन्न होता है पंडित नगर ने कहा कि अच्छे से जुड़े रहना। देव पुरुष का कभी अपमान नहीं करना चाहिए उन्हें प्रणाम करना चाहिए
जिस प्रकार राम जी ने हनुमान जी से राम रावण युद्ध के बाद पूछा था आप भी बैकुंठ चलो तब हनुमान जी ने कहा नहीं चलूंगा मैं तो जहां आपकी कथा होगी वही रहूंगा
जिनके कंठ में राम नाम की कंठी बंधी रहती है वह स्वयं बैकुंठ है कंठ में केशव नाम रहे
श्री मुख से भजन करते जो आत्मा दर्शन योग्य होती हैं एक परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि एक परिवार में एक दिन घर में सांप जैसी रस्सी की छाया उस,घर वाले के लोगों ने देखी वह जान रहे थे क हमारे घर में सांप घुस गया वहां से नहीं हिल सब टोटके कर लिए परंतु घर में सांप नहीं था एक डोरी पड़ी हुई थी तब वहां से एक महात्मा गुजरते हैं और परिवार वाले से पूछते हैं गुरुजी हमारे घर में एक सांप कल से बैठा है और ठस से मस नहीं हो रहा है तब संत ने कहा अगर मेरी बात मानो तो एक दीपक जला दो, तब उसे परिवार वाले ने दीपक जलाकर देखा तो वहां पर एक रस्सी पड़ी हुई थी उसी प्रकार जीवन में हमेशा सद्गुरु की आवश्यकता होती है
पंडित नागर भक्त शब्द पर जोर देते हुए कहा भगत वह होता है जो गलत कण अंदर नहीं जाने देता है सबसे मिलकर रहता है,कभी दुख में जाकर खड़ा हो जाता है ऐसे लोगों से परमात्मा से तार जुड़ा होता है इन लक्षणों से भरा व्यक्ति भगत होता है।
सब देशों में भारत महान क्यों कहलाया,,,? इसलिए कहलाया मेरा भारत हमेशा संयम बरसता है भारत में गंगा ग्रंथ संत है इसलिए हमारा भारत महान है।
व्यास पीठ से पंडित नागर ने सरहद पर रिटायर्ड हुए सैनिकों का सम्मान किया इस घड़ी पर पंडित नागर का भी सैनिक वर्दी से सैनिकों ने सम्मान किया ।
सम्मान का आभार प्रकट करते हुए पंडित नागर ने कहा हम सरहद पर तो नहीं जा सकते हैं परंतु अन्याय के खिलाफ लड़ते रहेंगे
हमारा सैनिक जब भी सीमा पर जाता है धन के लिए नहीं वतन के लिए जाता है पंडित नागर ने कथा के बीच में. “समदर्शी नाम तुम्हारा चाहो तो पर करो अवगुण चित ना धरो”, प्रभु हमारे अवगुण माफ करो, जल बिन मछली प्यासी मुझे सुन सुन आवे हंसी भजनों के माध्यम से श्रोताओं कथा का रसपान करवाया