मांगमंदसौरमध्यप्रदेश

बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर अत्याचार और संतों की गिरफ्तारी के विरोध में उमड़ा हिंदू जनसैलाब

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विशाल प्रदर्शन कर निकाली गई रैली, सौंपा ज्ञापन बाजार बंद रखकर कई संगठनों ने की प्रदर्शन में सहभागिता

मंदसौर। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के धार्मिक, सामाजिक और मानवाधिकारों के निरंतर उल्लंघन और हिंसक घटनाओं के विरोध में बुधवार को सकल हिंदू समाज सड़कों पर उतरा, हजारों की संख्या में आमजन ने अनुशासित भाव से तीव्र विरोध प्रकट किया। सकल हिंदू समाज के आव्हान पर अभिव्यक्ति स्थल पर विशाल सभा हुई। उसके पश्चात एक रैली निकाली गई और शहर कोतवाली पहुंचकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया।

सकल हिंदू समाज के आव्हान पर बुधवार दोपहर हजारों लोग बांग्लादेश में हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचारों के प्रति रोष प्रकट करने सड़कों पर आए। हिन्दू समाज महाराणा प्रताप बस स्टेंड पर एकत्रित हुआ, जहां संतो ने विषय की गंभीरता और आज की आवश्यकता पर विचार प्रकट किए। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी नारायणानंद गिरिजी महाराज वामदेव आश्रम वृंदावन उत्तर प्रदेश, परम पूज्य राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज सोना कुटीर आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड, परम पूज्य संत श्री श्वानासनंद जी महाराज, श्री नारायण आश्रम वृंदावन धाम, बरडियाखेडी, जैनाचार्य संत श्री परम पूज्य जिन सुंदर सूरीश्वर जी महाराज साहब, परम पूज्य संत श्री अरविनानंद जी सरस्वती महाराज जूना अखाड़ा टेकरी बालाजी पिपलिया मंडी, भागवत प्रवक्ता संत श्री मिथिलेश जी नागर, राम कथा प्रवक्ता श्री दशरथ भाई जी, पिपलिया मंडी आश्रम सीता बहन जी,संत श्री प्रकाश नाथ जी आलोट, मंगल मुखी किन्नर गुरु अनीता दीदी मंचासीन रहे। सभा के पश्चात विशाल रैली के रूप में जन समुदाय शहर के प्रमुख मार्गों से होकर शहर कोतवाली पहुंचा।

यहां दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि संत श्री चिन्मय प्रभु की बिना शर्त रिहाई हो, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को तुरंत प्रभाव से रोकने के कदम उठाए जाएं। मंदिरों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। विस्थापित हिंदुओं को पुनर्वास प्रदान किया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश पर दबाव बनाया जाए।

विरोध प्रदर्शन में जिले में व्यापक बंद का असर देखने को मिला, सुबह से ही जहां रैली में संत समाज, मातृ शक्ति और हजारों की संख्या में नागरिकगण अपना व्यापार व्यवसाय और दैनिक कार्यों को छोड़कर शामिल रहे।

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