नीमचमध्यप्रदेश
क्या मजबूरी है सीएम राईज शहर से दूर ले जाने की…..? – किशोर जेवरिया
////////////////////////////////
सी.एम.राइज स्कूल शहर के मध्य खुले इसके लिये सभी की सहमति और हवाई अड्डे के समीप सुझाई गई भूमि की भोपाल से लगाकर नीमच तक की असहमति के बावजूद क्या मजबूरी है कि पुनः सी.एम.राइज स्कूल उसी जगह खोलने की बात की जा रही है।
उक्त आशय का बयान जारी करते हुए समाजसेवी किशोर जेवरिया ने कहा कि इसके पीछे जो कारण समझ में आ रहे हैं वह यह है कि नेताओं और प्रशासन में बैठे लोगों पर निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों का दबाव हो सकता है, क्योंकि शहर के मध्य शा.बा.उ.मा.वि.क्र.2 स्कूल के ग्राउण्ड में यदि सी.एम.राइज स्कूल खुल गया जो कि दो हजार छात्र-छात्राओं की क्षमता का होगा तो वह सीधे-सीधे निजी शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राओं की संख्या को प्रभावित करेगा।
दूसरा सुझाई गई जगहों में कुछ जगह ऐसी है जो सीधे-सीधे सत्ताधारी पार्टी के लोगों के हित को प्रभावित करती है। उनके हाथों से करोडों रूपयों की जमीन निकल जाएगी। गरीबों के प्रति प्रशासन व जनप्रतिनिधि हमेशा क्रूर रवैया क्यों अपनाते हैं ? त्यौहारी दूकानदारों को तो सख्ती से हटा सकते हैं, क्योंकि वे गरीब हैं, पर करोडों रूपयों की जमीन के कब्जाधारियों को खरोंच तक नहीं आए इसका पूरा ध्यान रखते हैं।
तीसरा हमारे जनप्रतिनिधि व प्रशासन दूरदर्शी फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं, वे केवल तत्कालिक फायदे देखकर ही कार्य करते हैं।
जेवरिया ने कहा कि यह स्पश्ट दिखाई दे रहा है कि शिक्षा के भारी खर्च को वहन नहीं कर पाने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर सी.एम.राइज स्कूल की योजना सरकार द्वारा बनाई और चलाई जा रही है, हमारे प्रतिनिधि व प्रशासन उसकी पूरी तरह उपेक्षा कर रहे हैं। दो वर्शों से ये एक ऐसे घेरे (वृत्त) में घूम रहे हैं कि बार बार वहीं पहुंच जाते हैं।
उक्त आशय का बयान जारी करते हुए समाजसेवी किशोर जेवरिया ने कहा कि इसके पीछे जो कारण समझ में आ रहे हैं वह यह है कि नेताओं और प्रशासन में बैठे लोगों पर निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों का दबाव हो सकता है, क्योंकि शहर के मध्य शा.बा.उ.मा.वि.क्र.2 स्कूल के ग्राउण्ड में यदि सी.एम.राइज स्कूल खुल गया जो कि दो हजार छात्र-छात्राओं की क्षमता का होगा तो वह सीधे-सीधे निजी शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राओं की संख्या को प्रभावित करेगा।
दूसरा सुझाई गई जगहों में कुछ जगह ऐसी है जो सीधे-सीधे सत्ताधारी पार्टी के लोगों के हित को प्रभावित करती है। उनके हाथों से करोडों रूपयों की जमीन निकल जाएगी। गरीबों के प्रति प्रशासन व जनप्रतिनिधि हमेशा क्रूर रवैया क्यों अपनाते हैं ? त्यौहारी दूकानदारों को तो सख्ती से हटा सकते हैं, क्योंकि वे गरीब हैं, पर करोडों रूपयों की जमीन के कब्जाधारियों को खरोंच तक नहीं आए इसका पूरा ध्यान रखते हैं।
तीसरा हमारे जनप्रतिनिधि व प्रशासन दूरदर्शी फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं, वे केवल तत्कालिक फायदे देखकर ही कार्य करते हैं।
जेवरिया ने कहा कि यह स्पश्ट दिखाई दे रहा है कि शिक्षा के भारी खर्च को वहन नहीं कर पाने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर सी.एम.राइज स्कूल की योजना सरकार द्वारा बनाई और चलाई जा रही है, हमारे प्रतिनिधि व प्रशासन उसकी पूरी तरह उपेक्षा कर रहे हैं। दो वर्शों से ये एक ऐसे घेरे (वृत्त) में घूम रहे हैं कि बार बार वहीं पहुंच जाते हैं।