इंसानियत की मिसाल: बुजुर्गों को घर बैठे मिला आयुष्मान कार्ड

बुजुर्गों की मदद से मानवता का उज्ज्वल पक्ष सामने
इंसानियत अभी जिंदा है, और इसका प्रमाण हाल ही में मध्य प्रदेश के किटियानी इलाके में देखने को मिला। सरकारी कार्यों में सभी समान नहीं होते, कुछ अधिकारी अपनी ड्यूटी से आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण पृथ्वी राज चौहान ने प्रस्तुत किया। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत चौहान ने न केवल अपने लंच टाइम का त्याग किया, बल्कि बुजुर्गों के घर जाकर उनकी सहायता की।
70 प्लस आयुष्मान कार्ड का लाभ देने की पहल
केंद्र सरकार द्वारा 70 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए फ्री आयुष्मान कार्ड की योजना चलाई जा रही है। किटियानी इलाके के एक बुजुर्ग दंपति, जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं, इस योजना का लाभ लेने में असमर्थ थे। आयुष्मान केंद्र तक आने-जाने की उनकी असमर्थता को देखते हुए, उनकी परेशानी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचाई गई।
सूचना मिलने पर, पृथ्वी राज चौहान ने बिना समय गंवाए कदम उठाया। उन्होंने लंच ब्रेक के दौरान बुजुर्ग दंपति के घर जाकर आयुष्मान कार्ड बनवाया। इस सराहनीय कार्य ने न केवल बुजुर्ग दंपति को राहत दी, बल्कि उन्हें चौहान के प्रति कृतज्ञता से भर दिया।
प्रेरणा और सेवा का संकल्प
पृथ्वी राज चौहान ने इस घटना के बारे में बताते हुए कहा कि जिला कलेक्टर अदिति गर्ग और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों के प्रयासों से प्रेरित होकर उन्होंने यह कार्य किया। उन्होंने आगे कहा, “मैंने संकल्प लिया है कि शहरी सीमा क्षेत्र में किसी भी अक्षम बुजुर्ग को उनकी जरूरत के अनुसार मदद पहुंचाऊंगा। आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद तक पहुंचे, यह मेरी प्राथमिकता है।”
मानवता का संदेश
इस घटना ने यह साबित किया कि सरकारी अधिकारी केवल आदेशों तक सीमित नहीं रहते। कुछ अधिकारी अपनी ड्यूटी से आगे बढ़कर सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। चौहान की इस पहल ने यह संदेश दिया कि समाज में सभी के लिए मदद का हाथ बढ़ाना मानवता का असली उद्देश्य है।
बुजुर्ग दंपति ने चौहान को आशीर्वाद दिया और उनके प्रयासों की सराहना की। यह घटना न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि यदि सभी लोग अपनी जिम्मेदारी को इसी प्रकार निभाएं, तो समाज में बदलाव संभव है।